Wednesday 20 July 2022

‘लैंगिक अंतराल सूचकांक’ में भारत की स्थिति

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum – WEF) द्वारा जारी ‘वैश्विक लैंगिक अंतराल सूचकांक’, 2022 (Gender Gap Index, 2022) में भारत कुल 146 देशों में 135वें स्थान पर है।

भारत “स्वास्थ्य और उत्तरजीविता” (Health and Survival) उप-सूचकांक में, दुनिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है, जिसमें यह 146 वें स्थान पर है।

प्रमुख बिंदु:

  • ग्लोबल जेंडर रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, अब भारत को ‘लैंगिक समानता’ (Gender Parity) तक पहुंचने में 132 साल लगेंगे।
  • वर्ष 2021 के बाद इस अंतराल में केवल चार साल की कमी हुई है और देश में लैंगिक अंतराल लगभग 1% है।
  • अपने पड़ोसियों की तुलना में भारत इस सूचकांक में काफी खराब स्थान पर है, और बांग्लादेश (71), नेपाल (96), श्रीलंका (110), मालदीव (117) और भूटान (126) से पीछे है।
  • केवल ईरान (143), पाकिस्तान (145) और अफगानिस्तान (146) का प्रदर्शन दक्षिण एशिया में भारत से भी खराब रहा।
  • 2021 में भारत 156 देशों में 140वें स्थान पर था।

 

संकेतक:

रिपोर्ट में 156 देशों द्वारा चार आयामों के मद्देनज़र लैंगिक समानता की दिशा में की गई प्रगति का मूल्यांकन किया जाता है:

  1. आर्थिक भागीदारी और अवसर,
  2. शैक्षणिक उपलब्धि;
  3. स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा; और
  4. राजनीतिक सशक्तीकरण।

सूचकांक में, उच्चतम स्कोर 1 होता है, जो ‘समानता’ को प्रदर्शित करता है, तथा निम्नतम स्कोर ‘0’ अर्थात ‘शून्य’ होता है, जो ‘असमानता’ के स्तर को दर्शाता है।

इसकी व्याख्या ‘लैंगिक समानता’ की ओर तय की गई दूरी या ‘लैंगिक अंतराल’ में कमी के प्रतिशत के रूप में की जा सकती है।

  • भारत, सूचकांक के चार आयामों – ‘स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा’ में 146, ‘आर्थिक भागीदारी और अवसर’ में 143, ‘शैक्षणिक उपलब्धि’ में 107 और राजनीतिक सशक्तिकरण में 48वें स्थान पर है।
  • रिपोर्ट में कहा गया है, कि भारत का 629 का स्कोर पिछले 16 वर्षों में इसका सातवां उच्चतम स्कोर था।
  • भारत ने 2021 से ‘आर्थिक भागीदारी और अवसर’ में भी “प्रगति’ की है, हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘श्रम बल की भागीदारी’ में पुरुषों (5 प्रतिशत अंक) और महिलाओं (3 प्रतिशत अंक) दोनों के लिए कम हुई है।

विभिन्न उप-सूचकांकों पर भारत की प्रवृत्ति:

आर्थिक भागीदारी और अवसर: इसमें, श्रम शक्ति में शामिल महिलाओं का प्रतिशत, समान कार्य के लिए समान वेतन, अर्जित आय आदि जैसे मीट्रिक शामिल हैं।

  • भारत को इस आयाम में 146 देशों में से 143वें स्थान पर रखा गया है, हालांकि इसके स्कोर में 2021 के 326 से 0.350 तक सुधार हुआ है।

शैक्षणिक उपलब्धि: इस उप-सूचकांक में साक्षरता दर और प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक शिक्षा स्तर पर नामांकन दर जैसे मेट्रिक्स शामिल हैं:

  • इस उपसूचकांक में, भारत 146 में से 107वें स्थान पर है, और इसका स्कोर पिछले वर्ष से मामूली रूप से खराब हुआ है। वर्ष 2021 में भारत 156 में से 114वें स्थान पर था।
  • भारत का स्कोर वैश्विक औसत से काफी कम है और इस मीट्रिक पर भारत से केवल ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही पीछे हैं।

स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा: इसमें जन्म के समय लिंगानुपात (प्रतिशत में) और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (वर्षों में)- दो मीट्रिक शामिल हैं।

  • इस उपसूचकांक में, भारत सभी देशों में अंतिम (146) स्थान पर है।
  • इसका स्कोर 2021 से नहीं बदला है, पिछले वर्ष यह 156 देशों में से 155वें स्थान पर था।

राजनीतिक सशक्तीकरण: इसमें, संसद में महिलाओं का प्रतिशत तथा मंत्री पद आदि में महिलाओं का प्रतिशत जैसे मापीय (मेट्रिक्स) शामिल होते हैं:

  • सभी उप-सूचकांकों में, इस आयाम में भारत का स्थान सर्वोच्च (146 में से 48वां) है।
  • इस उप-सूचकांक में, आइसलैंड 874 के स्कोर के साथ 1 और बांग्लादेश 0.546 के स्कोर के साथ 9वें स्थान पर है।

विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रकाशित कुछ प्रमुख रिपोर्टें:

  1. ऊर्जा संक्रमण सूचकांक।
  2. वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता रिपोर्ट
  3. ग्लोबल आईटी रिपोर्ट (WEF के साथ INSEAD, और कॉर्नेल यूनिवर्सिटी इस रिपोर्ट को प्रकाशित करती है।
  4. ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट।
  5. वैश्विक जोखिम रिपोर्ट।
  6. वैश्विक यात्रा और पर्यटन रिपोर्ट।

 

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