Monday 19 April 2021

केंद्र सरकार द्वारा जजों की नियुक्ति-प्रक्रिया तेज करने पर जोर

संदर्भ:

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार के लिए, उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी, छह महीनों से अधिक समय से लंबित, उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की सिफारिशों पर तीन महीने में फैसला करने का प्रस्ताव दिया गया है।

क्या भारत का संविधान, न्यायाधीशों की नियुक्ति हेतु कोई समय-सीमा निर्दिष्ट करता है?

नहीं।

एक ‘प्रक्रिया ज्ञापन’ (Memorandum of Procedure- MoP) के माध्यम से सरकार और न्यायपालिका को  नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में ‘गाइड’ किया जाता है। इस ‘प्रक्रिया ज्ञापन’ में किसी समय सीमा पर जोर नहीं दिया गया है, केवल अस्पष्ट से यह कहा गया है, कि नियुक्ति प्रक्रिया उचित समय के भीतर पूरी होनी चाहिए।

‘कॉलेजियम प्रणाली’:

‘कॉलेजियम प्रणाली’ (Collegium System), न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण संबंधी एक पद्धति है, जो संसद के किसी अधिनियम अथवा संविधान के किसी प्रावधान द्वारा गठित होने के बजाय उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के माध्यम से विकसित हुई है।

  • उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) द्वारा की जाती है, और इसमें न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
  • उच्च न्यायालय कॉलेजियम के अध्यक्ष संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होते हैं और इसमें संबंधित अदालत के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।

संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (2) के अंतर्गत प्रावधान किया गया है कि उच्चतम न्यायालय के और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श करने के पश्चात्‌, जिनसे राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए परामर्श करना आवश्यक समझे, राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर और मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा उच्चतम न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश को नियुक्त करेगा।
  2. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 217 कहता है, कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा, भारत के मुख्य न्यायमूर्ति, उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात्‌ तथा मुख्य न्यायाधीश के अलावा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में, संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के पश्चात्‌ की जाएगी।

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