Monday, 19 April 2021

सर्वोच्च न्यायालय का विस्तृत अधिकार क्षेत्र

 संदर्भ:

पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और शीर्ष अदालत के अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखकर कोविड-19 के कारण ख़राब होती स्थिति पर ध्यान देने तथा केंद्र एवं राज्य सरकारों को राजनीतिक रैलियों, विरोध सभाओं, धार्मिक समागमों अथवा त्यौहार मनाने हेतु 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाने हेतु “उपयुक्त निर्देश” जारी करने का आग्रह किया है।

उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय को अपने विस्तृत क्षेत्राधिकार (अनुच्छेद 142 के तहत) का प्रयोग करते हुए स्वतः संज्ञान से उपयुक्त दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा है।

आवश्यकता:

यह आधिकारिक रूप से स्वीकार किया जा चूका है और चिकित्सकीय रूप से इसकी पुष्टि भी हो चुकी है, कि कोरोना मामलों की संख्या में जानलेवा वृद्धि, जोकि दुनिया में सबसे अधिक है, राजनीतिक रैलियों, धार्मिक समागमों तथा त्यौहारों पर होने वाले कार्यक्रमों, जैसे आयोजनों के कारण मुक्त रूप से हो रही है।

हालांकि, एक पूर्ण लॉकडाउन लगाए जाने के खिलाफ कोई एक मामला हो सकता है, लेकिन कोविड​​-19 संक्रमण फैलाने वाली भीड़ के एकत्रित होने पर रोक लगाना अति आवश्यक है।

अनुच्छेद 142 क्या है?

अनुच्छेद 142 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय को पक्षकारों के मध्य ‘पूर्ण न्याय’ करने की अद्वितीय शक्ति प्रदान की गई है, अर्थात, जब कभी स्थापित नियमों एवं कानूनों के तहत कोई समाधान नहीं निकल पाता है, तो ऐसे में अदालत, मामले से संबंधित तथ्यों के मुताबिक़ विवाद पर ‘अंतिम फैसला’ सुना सकती है।

अनुच्छेद 142 (1) में कहा गया है कि “उच्चतम न्यायालय अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए ऐसी डिक्री अथवा ऐसा आदेश कर सकेगा जो उसके समक्ष लंबित किसी वाद या विषय में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो, और इस प्रकार पारित डिक्री या किया गया आदेश, भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र, संसद‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन विहित की गई रीति से, और जब तक इस निमित्त कोई उपबंध किए नहीं किया जाता है, तब तक राष्ट्रपति के आदेश द्वारा विहित रीति से प्रवर्तनीय होगा”।


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