राज्यसभा ने 16 मार्च 2021 को गर्भ के चिकित्सकीय समापन संशोधन विधेयक 2020 को पारित कर दिया है. लोकसभा ने पहले ही 17 मार्च, 2020 को बिल पास कर दिया था. इस विधेयक के तहत गर्भपात की अधिकतम मंजूर समय सीमा मौजूदा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते की गई है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इसे व्यापक विचार-विमर्श कर तैयार किया गया है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक लंबे समय से वेटिंग लिस्ट में था और लोकसभा में यह पिछले साल पारित हो चुका है. यह विधेयक वहां सर्वसम्मति से पारित हुआ था.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने क्या कहा?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने से पहले दुनिया भर के कानूनों का भी अध्ययन किया गया था. सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इससे पहले सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने सहित अन्य विपक्षी संशोधनों को नामंजूर कर दिया, वहीं सरकार की तरफ से लाए गए संशोधनों को स्वीकार कर लिया.
20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह
संसद में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी विधेयक-2020 पारित हो गया है. इसमें गर्भपात की सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते करने का प्रवाधान है. इससे पहले महिलाएं अधिकतम 20 हफ्ते तक ही गर्भपात करा सकती थीं. डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस विधेयक को हर संभव संबंधित पक्ष से चर्चा के बाद तैयार किया गया तथा इसमें ऐसा भी प्रावधान किया गया है कि प्रस्तावित कानून का दुरुपयोग नहीं हो.
किसको मिलेगा फायदा
यह प्रावधान विशेष वर्ग की महिलाओं के लिए किया गया है. इस प्रावधान में दुष्कर्म पीड़िता, सगे-संबंधियों की बुरी नजर की शिकार पीड़िताएं, दिव्यांग और नाबालिग शामिल हैं. चिकित्सकीय, मानवीय और सामाजिक आधार पर इस प्रावधान को लागू किया जा सकता है.
इस विधेयक का उद्देश्य
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य स्त्रियों की सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक पहुंच में वृद्धि करने तथा असुरक्षित गर्भपात के कारण मातृ मृत्यु दर और अस्वस्थता दर एवं उसकी जटिलताओं में कमी लाना है. सरकार के मुताबिक इस विधेयक के तहत गर्भपात की सीमा को बढ़ाकर 24 सप्ताह करने से दुष्कर्म पीड़िता और निशक्त लड़कियों को सहायता मिलेगी.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने विधेयक को रखा और इसे प्रगतिशील बताते हुए कहा कि महिलाओं के सुरक्षित गर्भपात के लिहाज से यह समय की जरूरत है. 20 सप्ताह में गर्भपात करवाना सुरक्षित नहीं था. इससे कई महिलाओं की मौत हो जाती थी. लेकिन 24 सप्ताह में गर्भपात करवाना ज्यादा सुरक्षित होगा. इससे गर्भपात के दौरान होने वाली मौत होने की संभावनाएं घटेंगी.
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