Friday 12 February 2021

प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक, 2020

 (Major Ports Authority Bill)

संदर्भ:

‘प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण विधेयक’ (Major Ports Authority Bill), 2020, राज्य सभा में, 44 मतों के मुकाबले 84 मतों से पारित हो गया है।

  • इस विधेयक का उद्देश्य बंदरगाहों को विश्व-स्तरीय बनाना और बंदरगाह अधिकारियों के लिए निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करना है।
  • यह विधेयक, ‘प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट कानून’ (Major Port Trusts Act), 1963 की जगह लेगा।

अभिप्राय और उद्देश्य:

  1. निर्णय लेने की प्रक्रिया का विकेंद्रीकरण और प्रमुख बंदरगाहों के प्रशासन में पेशेवर रवैये का समावेश करना।
  2. तीव्र और पारदर्शी निर्णय प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों एवं और परियोजना को बेहतर तरीके से लागू करने की क्षमता को लाभान्वित करना।
  3. सफल वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप केन्द्रीय बंदरगाहों में प्रशासन मॉडल का लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल (landlord port model) के रूप में पुनर्विन्यास करना।

प्रमुख विशेषताऐं:

विधेयक में प्रत्येक प्रमुख बंदरगाह के लिए एक ‘प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण बोर्ड’ के गठन का प्रस्ताव किया गया है। ये बोर्ड, ‘प्रमुख बंदरग्राह ट्रस्ट अधिनियम’ 1963 के अंतर्गत मौजूदा पोर्ट ट्रस्टों की जगह लेंगे। इनमे, केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए गए सदस्य के शामिल होंगे।

बोर्ड की संरचना:

बोर्ड में एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष शामिल होंगे। दोनों को एक चयन समिति की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा बोर्ड में, ‘प्रमुख बंदरगाह’ से संबंधित राज्य की सरकार; रेल मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, और सीमा शुल्क विभाग, से प्रत्येक का एक सदस्य शामिल होगा। बोर्ड में, दो से चार स्वतंत्र सदस्य भी होंगे, जो मेजर पोर्ट अथॉरिटी से कर्मचारियों के हितों का प्रतिनिधित्व करेंगे, और एक सदस्य, केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाएगा, जो निदेशक के पद से ऊपर का होगा।

बोर्ड की शक्तियाँ:

विधेयक में, बोर्ड को प्रमुख बंदरगाह के विकास हेतु, अपने हिसाब से अपनी संपत्ति, परिसंपत्तियों, और धन का उपयोग करने की अनुमति प्रदान की गयी है। बोर्ड, (i) बंदरगाह संबंधी गतिविधियों और सेवाओं के लिए बंदरगाह परिसंपत्तियों की उपलब्धता संबंधी घोषणा, (ii) नए बंदरगाह, जेटी स्थापित करने जैसी बुनियादी सुविधाएं विकसित करने, और (iii) जहाजों पर अथवा किसी भी सामान पर भुगतान किये जाने वाले शुल्क से छूट संबंधी नियम भी बना सकता है:

न्यायनिर्णायक बोर्ड (Adjudicatory Board)

विधेयक में, एक न्यायिक निर्णय करने वाला (Adjudicatory) बोर्ड बनाने का प्रस्ताव किया गया है। जो, 1963 अधिनियम के तहत मौजूदा टैरिफ प्राधिकरण को प्रतिस्थापित करेगा। इसके सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी और इसमें एक पीठासीन अधिकारी और दो सदस्य शामिल होंगे।

न्यायनिर्णायक बोर्ड के कार्य:

न्यायिक निर्णय करने वाले बोर्ड, प्रमुख बंदरगाहों के लिए पूर्ववर्ती 1963 अधिनियम अधीन टैरिफ प्राधिकरण के बचे हुए कार्य को पूरा करने, बंदरगाहों और सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP) से संबंधित रियायत पाने वालों के बीच उत्पन्न विवादों को हल करने, संकट में पड़ी PPP परियोजनाओं की समीक्षा करने का कार्य करेगा।

विधेयक के संदर्भ में चिंताएं:

  1. यह विधेयक, शिपिंग और पोर्ट्स क्षेत्र के निजीकरण को प्रोत्साहित कर सकता है।
  2. न्यायनिर्णायक बोर्ड के अध्यक्ष को नियुक्त करने वाली चयन समिति के बारी में कोई स्पष्टता नहीं है।

‘लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल’:

  • लैंडलॉर्ड पोर्ट मॉडल (landlord port model) में, सार्वजनिक रूप से शासित बंदरगाह प्राधिकरण, एक नियामक निकाय और एक लैंडलॉर्ड के रूप में कार्य करता है, जबकि निजी कंपनियां बंदरगाह परिचालन-मुख्य रूप से कार्गो-हैंडलिंग संबंधी गतिविधियां करती हैं।
  • इस मॉडल में, बंदरगाह प्राधिकरण का बंदरगाह पर स्वामित्व अधिकार बना रहता है, जबकि बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे के लिए निजी फर्मों को पट्टे पर दिया जाता है। निजी फर्में, कार्गो को संभालने हेतु, अपने निजी उपकरण स्थापित करते हैं।
  • बदले में, निजी इकाइयां, लैंडलॉर्ड पोर्ट के लिए, अर्जित होने वाले राजस्व का एक हिस्सा देती हैं।
  • लैंडलॉर्ड पोर्ट प्राधिकरण का कार्य, मालवाहक टर्मिनलों और इनकी सफाई के लिए बोली का आयोजन करना तथा सभी सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाओं के परिचालन होता है।

No comments: