सुभाष चंद्र बोस
संदर्भ:
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर, 1943 को पोर्ट ब्लेयर में तिरंगे को फहराया था।
पृष्ठभूमि:
जापान द्वारा आजाद हिंद सरकार सौंपे जाने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस वर्ष 1943 में पोर्ट ब्लेयर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पहुंचे। जापान द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इन द्वीपों पर कब्जा कर लिया गया था।
आज़ाद हिंद सरकार के बारे में:
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1943 में जापान के कब्जे वाले सिंगापुर में आज़ाद हिंद की अस्थायी सरकार का गठन करने की घोषणा की।
- इस सरकार को आरज़ी हुकुमत-ए-आज़ाद हिंद (Arzi Hukumat-e-Azad Hind) के नाम से भी जाना जाता है। इस सरकार को धुरी राष्ट्रों, जापान साम्राज्य, नाजी जर्मनी, सोशल रिपब्लिक इटली और इनके सहयोगियों का सर्मथन प्राप्त था।
- उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तरार्ध काल में अस्थाई निर्वासित सरकार (Provisional Government-in– Exile) के बैनर तले भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए संघर्ष शुरू किया।
आज़ाद हिंद सरकार में भागीदार:
सुभाष चंद्र बोस की अस्थाई सरकार के अंतर्गत विदेशों में रहने वाले भारतीय एकजुट होकर सम्मिलित हुए। भारतीय राष्ट्रीय सेना में मलाया (वर्तमान मलेशिया) और बर्मा (म्यांमार) में भारतीय प्रवासी आबादी के हजारों स्वयंसेवकों और पूर्व कैदियों को शामिल किया गया।
- अस्थाई सरकार के अंतर्गत, सुभाष चन्द्र बोस ने राज्य के प्रमुख, प्रधान मंत्री और युद्ध और विदेशी मामलों के मंत्री का कार्यभार संभाला हुआ था।
- कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने महिलाओं के संगठन का नेतृत्व किया और एस ए अय्यर ने प्रचार तथा प्रसार का दायित्व संभाला।
- क्रांतिकारी नेता रासबिहारी बोस को सरकार के सर्वोच्च सलाहकार के रूप में नामित किया गया था।
सुभाष चंद्र बोस से संबंधित प्रमुख तथ्य:
- सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दो बार अध्यक्ष चुना गया, (हरिपुर अधिवेशन-1938 और त्रिपुरी अधिवेशन–1939)।
- उन्होंने 1939 में कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और बंगाल में कांग्रेस के भीतर ही ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया।
No comments:
Post a Comment