भारतीय और चीनी सेनाओं के मध्य मई में हुए लद्दाख गतिरोध के बाद से, अरुणाचल प्रदेश द्वारा युद्ध जैसी परिस्थितयां होने पर सैन्य बलों की तीव्र आवाजाही में सुगमता के लिए ‘भारत-तिब्बत सीमा’ से लगे हुए एक महत्वाकांक्षी फ्रंटियर राजमार्ग परियोजना (Frontier Highway Project) पर जोर दिया जा रहा है।
‘सीमांत राजमार्ग परियोजना’ के बारे में:
- इसे अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे तथा मागो-थिंग्बु-विजयनगर बॉर्डर हाईवे (Mago-Thingbu–Vijaynagar Border Highway) भी कहा जाता है।
- यह 2,000 किलोमीटर लंबी सड़क मैकमोहन रेखा के साथ-साथ चलती है।
- यह ट्रांस-अरुणाचल हाईवे (बीच से होते हुए) और अरुणाचल पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (असम की सीमा के साथ तलहटी में) के साथ अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख राजमार्गों के रूप में लुक ईस्ट कनेक्टिविटी (Look East connectivity) अवधारणा को आगे बढ़ाता है।
- यह राजमार्ग, अरुणाचल प्रदेश की तलहटी में भैरवकुंड, असम और भूटान की त्रिक-संधि (Tri-Junction) पर प्रस्तावित पूर्वी-पश्चिम औद्योगिक गलियारे राजमार्ग से होकर गुजरेगा और पूर्वी सियांग जिले में रुक्सिन तक जाएगा।
- यह राजमार्ग दिबांग वन्यजीव अभयारण्य से होकर गुजरेगा, जिससे पर्यावरणीय मुद्दे उठने की संभवना है।
आवश्यकता:
- यह राजमार्ग इन दुर्गम क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देगा और रोजगार उत्पन्न करेगा।
- यह राजमार्ग भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ पर रोक लगाएगा। चीन द्वारा अपनी सीमा में सड़क और रेलवे नेटवर्क का विस्तृत निर्माण किया है, जिससे भारत को सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हुआ है। यह क्षेत्र भारतीय सीमा की ओर से अपेक्षाकृत अधिक दुर्गम है।
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