Tuesday, 24 November 2020

‘चंडीगढ़’ पर हरियाणा तथा पंजाब का दावा

 हाल ही में, हरियाणा सरकार ने सुझाव दिया है, कि यह उचित होगा कि हरियाणा और पंजाब दोनों एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में चंडीगढ़ पर सहमत हों तथा दोनों प्रदेश अपनी स्वतंत्र राजधानियाँ और उच्च न्यायालयों की स्थापना करें।

चंडीगढ़ का निर्माण क्यों किया गया था?

  • विभाजन के दौरान तत्कालीन पंजाब की राजधानी लाहौर, पाकिस्तान का हिस्सा बन गयी थी, इसके पश्चात पंजाब की नयी राजधानी के रूप में चंडीगढ़ का निर्माण किया गया था।
  • 1952 से 1966 तक (हरियाणा राज्य के पंजाब से अलग होने तक) चंडीगढ़, पंजाब की राजधानी रहा।
  • 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के समय से इस शहर को पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी होने का अनूठा गौरव प्राप्त है। हालांकि, इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया और इस पर केंद्र का प्रत्यक्ष नियंत्रण है।

तत्कालीन घोषणा

तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने उस समय घोषणा की थी कि उचित समय पर हरियाणा की अपनी राजधानी होगी तथा चंडीगढ़ पंजाब राज्य में सम्मिलित हो जाएगा।

पुनः वर्ष 1985 में, राजीव-लोंगोवाल समझौते (Rajiv-Longowal accord) के तहत, 26 जनवरी, 1986 को चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपा जाना था, लेकिन राजीव गांधी सरकार ने अंतिम समय पर निर्णय वापस ले लिया।

हालिया घटनाक्रम

वर्ष 2018 में, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा चंडीगढ़ के विकास हेतु एक विशेष निकाय गठित करने का सुझाव दिया गया, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री ने इसे अस्वीकार कर दिया गया, और शहर को “निर्विवाद रूप से पंजाब का भाग बताया”।

हरियाणा, अपनी ओर से, एक अलग उच्च न्यायालय की मांग कर रहा है तथा विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमे विधानसभा परिसर में पंजाब के कब्जे वाले 20 कमरों की मांग की गयी है।

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