Friday, 28 August 2020

अंतर्राष्ट्रीय_नृत्य_दिवस

✅ #अंतर्राष्ट्रीय_नृत्य_दिवस : GS PAPER 1 (कला एवं संस्कृति – नृत्य शैली) / निबंध

👉 चर्चा में क्यों :
प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। एक महान् रिफॉर्मर जीन जार्ज नावेरे के जन्म की स्मृति में यह दिन अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इन्हें नृत्य जगत में सुधारक के रूप में जाना जाता है। इसे पहली बार 1982 में मनाया गया था। भारत में भी नृत्य की परंपरा सदियों पुरानी है। ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में नृत्य की उत्पत्ति हुई है। वर्तमान में भारत में कई तरह के नृत्य प्रसिद्ध हैं, जिनमें भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़ी,  कथकली, मोहिनीअट्टम, कथक आदि प्रमुख हैं। 

👉 अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस का इतिहास :
 यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल 1982 को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाने को घोषणा की। इस दिन को चुनने का मुख्य कारण नृत्य जगत के सुधारक माने जाने वाले महान नृतक जीन जार्ज नावेरे का जन्मदिन है। 29 अप्रैल को जीन जार्ज नावेरे का जन्म हुआ था। इसके बाद से हर साल दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है। नावेरे ने नृत्य पर एक किताब लिखी थी, जिसका नाम 'लेटर्स ऑन द डांस' है। इस किताब में नृत्य कला के सभी गुर सिखाए गए हैं, जिसे पढ़कर लोग नृत्य कर सकते हैं अथवा नृत्य करने में दक्षता हासिल कर सकते हैं।

👉 उद्देश्य :
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फैले। साथ ही सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराना था। सन 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। विद्यालयों में बच्चों द्वारा नृत्य पर कई निबंध व चित्र भी बनाए गए। 2007 में नृत्य को बच्चों को समर्पित किया गय

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