Tuesday, 11 February 2020

ONE BELT ONE ROAD क्या है ये प्रोजेक्ट

ONE BELT ONE ROAD क्या है ये प्रोजेक्ट?
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चीन ने आर्थिक मंदी से उबरने, बेरोजगारी से निपटने और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए 'वन बेल्ट, वन रोड' परियोजना को पेश किया है. चीन ने एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क मार्ग, रेलमार्ग, गैस पाइप लाइन और बंदरगाह से जोड़ने के लिए 'वन बेल्ट, वन रोड' के तहत सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और मैरीटाइम सिल्क रोड परियोजना शुरू की है.

इसके तहत छह गलियारे बनाए जाने की योजना है. इसमें से कई गलियारों पर काम भी शुरू हो चुका है. इसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी शामिल है, जिसका भारत कड़ा विरोध कर रहा है.

भारत का कहना है कि पीओके में उसकी इजाजत के बिना किसी तरह का निर्माण संप्रभुता का उल्लंघन है. कुछ दिन पहले ही चीन ने भारत को शामिल करने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का नाम बदलने पर भी राजी हो गया था, लेकिन बाद में इससे पलटी मार गया.
इन गलियारों से जाल बिछाएगा चीन
न्यू सिल्क रोड के नाम से जानी जाने वाली 'वन बेल्ट, वन रोड' परियोजना के तहत छह आर्थिक गलियारे बन रहे हैं. चीन इन आर्थिक गलियारों के जरिए जमीनी और समुद्री परिवहन का जाल बिछा रहा है.
1.चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा
2. न्यू यूराशियन लैंड ब्रिज
3. चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा
4. चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा
5. बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा
6. चीन-इंडोचाइना-प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा

भारत की आपत्ति क्या है?
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 चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भारत की गहरी आपत्ति है. दरअसल सीपीईसी गिलगिट और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बालटिस्तान से होकर गुजरता है. भारत PoK सहित समूचे जम्मू-कश्मीर राज्य को अपना अखंड हिस्सा मानता है.
सीपीईसी चीन की विशिष्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की महत्वपूर्ण परियोजना है और राजधानी बीजिंग में दो दिनों तक चलने वाली बैठक में इस परियोजना के प्रमुखता से उठने की संभावना है. बीते वर्ष मई में चीन में इसका उद्घाटन समारोह भी हुआ था, चीन की कई कोशिशों के बावजूद भारत इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ था.

भारत को मिला ब्रिटेन का साथ
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OBOR पर भारत, ब्रिटेन के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी इस प्रोजेक्ट पर विरोध जता चुके हैं.

 

ओबीओआर के मामले में अब भारत को इस मुद्दे पर ब्रिटेन का भी साथ मिला है. ब्रिटेन ने चीन के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर चिंता व्यक्त की है. ब्रिटेन की ओर से कहा गया है कि उन्हें चीन की इस प्रोजेक्ट के पीछे की लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म की सोच पर शक है. इसके बावजूद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि जो बीत गया वह बीत गया.

 एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने साफ तौर पर चीन के इस प्रोजेक्ट के समर्थन से अपने आप को दूर ही रखा. अपने पहले चीन दौरे पर उन्होंने चीन को अपना नेचुरल पार्टनर बताया, लेकिन इस मुद्दे पर चुप्पी ही साधी. गौरतलब है कि चीन का ये प्रोजेक्ट करीब 60 देशों को जोड़ता है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन से यूरोप तक आना-जाना, व्यापार करना काफी आसान हो जाएगा.

ब्रिटेन सरकार इस प्रोजेक्ट से जुड़े किसी भी समझौते पर अपनी मंजूरी नहीं देगी. थेरेसा मे के मुताबिक, चीन और ब्रिटेन दोनों साथ मिलकर एक साथ दुनिया के लिए काम कर सकते हैं. जहां तक इस प्रोजेक्ट की बात है हमें अभी यह देखना होगा कि ये किस तरह अंतरराष्ट्रीय मापकों पर खरा उतरता है और इसका हमारे क्षेत्र में किस तरह असर पड़ता है. इस प्रोजेक्ट को सही तरीके लागू किया जाना चाहिए.

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