गणतंत्र दिवस परेड
* भारत में 26 जनवरी को एक राष्ट्रीय पर्व का दर्जा प्राप्त है
* 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन सन 1950 में हमारे देश में संविधान लागू किया गया था
* इस दिन लगभग 2 लाख लोग गणतंत्र दिवस की परेड को देखने आते हैं
* परेड के दौरान राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दिए जाने की प्रथा है
* परेड से कुछ दिन पहले ही इंडिया गेट और आसपास के क्षेत्र को एक अभेद्य किले में बदल दिया जाता है
* परेड को सुचारू ढ़ंग से संचालित करने के लिए सेना के हजारों जवानों के अलावा कई अन्य लोग भी सक्रिय रूप से जुटे रहते हैं
* परेड के आयोजन की औपचारिक जिम्मेवारी रक्षा मंत्रालय की होती है जिसमें कम से कम 70 विभिन्न संगठन उसकी मदद करते हैं
* हम सभी को पता है कि हर वर्ष 26 जनवरी की परेड का आयोजन नई दिल्ली स्थित राजपथ पर किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि 1950 से लेकर 1954 ईस्वी तक परेड का आयोजन स्थल राजपथ नहीं था? इन वर्षों के दौरान 26 जनवरी की परेड का आयोजन क्रमशः इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में किया गया था
* 1955 ईस्वी से राजपथ 26 जनवरी की परेड का स्थायी आयोजन स्थल बन गया उस समय राजपथ को “किंग्सवे” के नाम से जाना जाता था
* 26 जनवरी की परेड के दौरान हर साल किसी ना किसी देश के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/शासक को अतिथि के रूप में बुलाया जाता है
* 26 जनवरी की परेड की शुरूआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है
* परेड के दिन परेड में भाग लेने वाले सभी दल सुबह 2 बजे ही तैयार हो जाते हैं और सुबह 3 बजे तक राजपथ पर पहुँच जाते हैं लेकिन परेड की तैयारी पिछले साल जुलाई में ही शुरू हो जाती है जब सभी दलों को परेड में भाग लेने के लिए अधिसूचित किया जाता है
* अगस्त तक वे अपने संबंधित रेजिमेंट केन्द्रों पर परेड का अभ्यास करते हैं और दिसंबर में दिल्ली आते हैं
* 26 जनवरी की परेड में औपचारिक रूप से भाग लेने से पहले तक विभिन्न दल लगभग 600 घंटे तक अभ्यास कर चुके होते हैं
* परेड में शामिल होने वाले टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों तथा भारत की सामरिक शक्ति को प्रदर्शित करने वाले अत्याधुनिक उपकरणों के लिए इंडिया गेट परिसर के भीतर एक विशेष शिविर बनाया जाता है
* प्रत्येक हथियार की जाँच एवं रंग-रोगन का कार्य 10 चरणों में किया जाता है
* 26 जनवरी की परेड के लिए हर दिन अभ्यास के दौरान और फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान प्रत्येक दल 12 किमी की दूरी तय करती है जबकि परेड के दिन प्रत्येक दल 9 किमी की दूरी तय करती है
* पूरे परेड के रास्ते पर जजों को बिठाया जाता है जो प्रत्येक दल पर 200 मापदंडों के आधार पर बारीकी से नजर रखते हैं, जिसके आधार पर “सर्वश्रेष्ठ मार्चिंग दल” को पुरस्कृत किया जाता है
* 26 जनवरी की परेड के शरूआत से लेकर अंत तक हर गतिविधि सुनियोजित होती है अतः परेड के दौरान छोटी-से-छोटी गलती या कुछ ही मिनटों के विलम्ब के कारण भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता
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