राष्ट्रीयता और नागरिकता के बीच क्या अंतर होता है?
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राष्ट्रीयता उस स्थान या देश के बारे में बताती हैं जहाँ पर व्यक्ति का जन्म होता है, जबकि नागरिकता सरकार द्वारा प्रदान की जाती है. नागरिकता अधिनियम, 1995 भारत में नागरिकता प्राप्त करने के 5 तरीके बताता है जिसमे जन्म के आधार पर और वंश के आधार पर नागरिकता मुख्य आधार है.
आइये इस लेख में राष्ट्रीयता और नागरिकता में अंतर जानते हैं.
सामान्य रूप से लोग राष्ट्रीयता और नागरिकता को समानार्थक शब्द के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन वास्तव में ये दोनों शब्द एक-दूसरे से कई तरह से भिन्न हैं. यह लेख इन्ही दो शब्दों के बीच के अंतर पर आधारित है.
भारतीय संविधान में नागरिकता से सम्बंधित प्रावधान संविधान के भाग II में अनुच्छेद 5 से 11 तक दिए गए हैं. नागरिकता अधिनियम, 1995 भारत में नागरिकता प्राप्त करने के 5 तरीके बताता है.
1. जन्म के आधार पर
2. वंश के आधार पर
3. पंजीकरण के आधार पर
4. प्राकृतिक रूप से
5. किसी क्षेत्र विशेष के अधिकरण के आधार पर
राष्ट्रीयता की परिभाषा:
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"किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता से उसकी जन्मभूमि का पता चलता है या यह पता चलता है कि व्यक्ति किस मूल का है." राष्ट्रीयता एक व्यक्ति को कुछ अधिकरों और कर्तव्यों को प्रदान करती है. एक राष्ट्र अपने नागरिकों को विदेशी आक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है जिसके बदले में वह नागरिकों से यह उम्मीद करता है कि राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का भी पालन करें.
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार, हर संप्रभु देश अपने देश के कानून के अनुसार यह तय कर सकता है कि कौन व्यक्ति उस देश का सदस्य बन सकता है.
नागरिकता की परिभाषा:
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किसी व्यक्ति को किसी देश की नागरिकता उसे देश की सरकार द्वारा तब दी जाती है जब वह व्यक्ति कानूनी औपचारिकताओं का अनुपालन करता है. इस प्रकार नागरिकता के आधार पर किसी व्यक्ति की जन्म भूमि का पता नही लगाया जा सकता है.
एक बार जब कोई व्यक्ति किसी देश का नागरिक बन जाता है, तो उसे देश के राष्ट्रीय आयोजनों जैसे वोट डालने का अधिकार, नौकरी करने का अधिकार, देश में मकान खरीदने और रहने का अधिकार मिल जाता है . भारतीय संविधान में नागरिकों को अधिकार देने के साथ साथ कुछ कर्तव्यों पर भी जोर दिया गया है जैसे करों का भुगतान, राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान, राष्ट्रगान का सम्मान, महिलाओं की अस्मिता की रक्षा और जरुरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिए लड़ना इत्यादि.
अब राष्ट्रीयता और नागरिकता के बीच कुछ प्रमुख अंतर इस प्रकार हैं:
1. राष्ट्रीयता एक व्यक्तिगत सदस्यता है जो कि व्यक्ति को देश में जन्म लेने के साथ ही मिल जाती है. दूसरी ओर नागरिकता राजनीतिक/कानूनी स्थिति है, जो कि किसी व्यक्ति को कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के साथ ही मिल जाती है.
2. राष्ट्रीयता उस स्थान या देश के बारे में बताती हैं जहाँ पर व्यक्ति का जन्म होता है जबकि नागरिकता सरकार द्वारा व्यक्ति को प्रदान की जाती है. जैसे अदनान सामी (गायक) पाकिस्तानी मूल का नागरिक है लेकिन उसे कुछ औपचारिकतायें पूरी करने के कारण भारत की नागरिकता मिल गयी है.
(अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की राष्ट्रीयता भारतीय (माता या पिता किसी एक के भारतीय होने के कारण) है लेकिन वह अमेरिकी नागरिक हैं)
3. राष्ट्रीयता की अवधारणा देशज या जातीय है, जबकि नागरिकता की अवधारणा कानूनी या न्यायिक प्रकृति की है.
4. राष्ट्रीयता को जन्म और विरासत के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है जबकि नागरिकता को जन्म, विरासत, प्राकृतिक रूप से और विवाह आदि से आधार पर प्राप्त किया जा सकता है.
5. राष्ट्रीयता को बदला नहीं जा सकता जबकि नागरिकता को बदला जा सकता है क्योंकि एक व्यक्ति किसी दूसरे देश की नागरिकता ले सकता है.
6. एक व्यक्ति के पास राष्ट्रीयता केवल एक देश की हो सकती है जबकि एक व्यक्ति एक से अधिक देशों का नागरिक बन सकता है.
7. राष्ट्रीयता को छीना नही जा सकता है जबकि नागरिकता को छीना जा सकता है.
इसलिए उपर्युक्त बिंदुओं से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि राष्ट्रीयता किसी भी व्यक्ति से साथ पूरी जिंदगी के लिए जुड़ जाती है लेकिन नागरिकता को कभी भी बदला जा सकता है.
भारतीय संविधान में एकल नागरिकता की व्यवस्था की गयी है अर्थात यहाँ पर किसी व्यक्ति को नागरिकता देने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है राज्यों को नही जबकि अमेरिका में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था है अर्थात वहां पर नागरिकता देने का अधिकार राज्यों के पास भी है.
इसके अलावा भारतीय संविधान में यह प्रावधान भी है कि यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार कर लेता है तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः ख़त्म हो जाती है.
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