Saturday 1 February 2020

महादेव गोविंद रानाडे

🇮🇳 अपने देश की सेवा के समक्ष अपने संपूर्ण व्यक्तिगत स्वार्थो की आहूति देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी,ब्रिटिश काल के भारतीय न्यायाधीश,समाज सुधारक,भारतीय अर्थशास्त्र के आधार एवं बम्बई हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, 📙"राइज़ ऑफ द मराठा पावर" के लेखक,पूर्व प्राध्यापक #महादेव_गोविंद_रानाडे_जी की ११८वीं पुण्यतिथि पर स्मरणांजलि🌹

महादेव गोविंद रानाडे एक विशिष्ट भारतीय विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। साथ ही वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के संस्थापक सदस्य थे, जो बॉम्बे लेजिस्लेटिव कौंसिल के सदस्य रहते हुए बहुत से पदों पर काम कर चुके है। इसके अलावा वे केंद्र में फाइनेंस समिति के सदस्य और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज भी थे।

एक प्रसिद्ध हस्ती होने के साथ-साथ उनका व्यक्तित्व काफी शांत और प्रभावशाली था। ब्रिटेन के साथ समझौता कर वे भारत में सुधार लाना चाहते थे। अपने जीवनकाल में उन्होंने वक्तृत्वतेजक सभा, पूना सार्वजानिक सभा और प्रार्थना समाज की स्थापना में काफी सहायता की है और साथ ही वे बॉम्बे एंग्लो-मराठी अखबार, इन्दुप्रकाश अखबार को एडिट भी करते थे। जिनकी स्थापना सामाजिक और धार्मिक सुधार के लिए उनकी विचारधारा के अनुरूप की गयी थी।

महादेव गोविंद रानाडे का जन्म चित्पावन ब्राह्मण परिवार में नाशिक जिले के निफाड गाँव में हुआ था। उनकी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उनके मित्र चाहते थे की वे किसी विधवा से विवाह कर ले। अपने परिवार की इच्छाओ का पालन करते हुए उन्होंने कुर्लेकर परिवार की बालिका वधु से शादी कर ली। उनकी मृत्यु के बाद (रमाबाई रानाडे) वह समाज में सामाजिक और शैक्षणिक सुधार का काम करने लगी थी।

रानाडे सामाजिक कांफ्रेंस अभियान के संस्थापक थे, जिसका समर्थन उन्होंने मृत्यु तक किया था। बाल विवाह, महिलाओ का सर मुंडवाना और शादी में होने वाला अतिरिक्त खर्च और सामाजिक भेदभाव इन सभी समस्याओ का विरोध उन्होंने जीवनभर किया और हमेशा इन प्रथाओ में सुधार करने की कोशिश करते रहे। 1861 में विधवा वैवाहिक संस्था के संस्थापक सदस्यों में रानाडे एक थे। रानाडे हमेशा से ही अंधविश्वास की आलोचना करते थे। उन्होंने सभी धर्मो को भी इन अंधविश्वास को ना मानने की सलाह दी थी।

न्यायविद रानाडे, इतिहासकार डॉ. आर.जी. भंडारकर और वामन आबाजी मोदक ने मिलकर महाराष्ट्र महिला शैक्षणिक विभाग और पुणे की सबसे प्राचीन महिला स्कूल हुज़ुर्पगा की स्थापना 1885 में की।

कार्य:

• रानाडे, महादेव गोविंद, राइज ऑफ़ दी मराठा पॉवर (1990), पुनर्प्रकाशन (1999)।
• बिपन चन्द्र, रानाडे के आर्थिक लेख, ज्ञान बुक्स प्राइवेट लिमिटेड।

प्रसिद्धि:

जी मराठी टेलीविज़न चैनल पर ‘उंच माझा झोका’ नामक सीरियल में रमाबाई और महादेवराव के जीवन और उनके द्वारा महिलाओ के हक्क के प्रति की जानी लढाई को दर्शाया गया है। जिसे मार्च 2012 में टेलीकास्ट किया गया था। इस सीरियल की प्रशंसा महाराष्ट्र में सभी भागो में की गयी थी। यह टेलीविज़न सीरियल रमाबाई रानाडे की किताब ‘आमच्या आयुष्यातील काही आठवणी’ पर आधारित थी। इस किताब में न्यायविद रानाडे को “महादेव” की जगह “माधव” नाम दिया गया था।

1. गोविंद रानाडे का जन्म 18 जनवरी 1842 को पुणे में हुआ था।
2. उनके पिता का नाम ‘गोविंद अमृत रानाडे’ था।
3. पुणे में आरंभिक शिक्षा पाने के बाद रानाडे ने ग्यारह वर्ष की उम्र में अंग्रेज़ी शिक्षा आरंभ की थी।
4. 1859 ई. में उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से प्रवेश परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और 21 मेधावी विद्यार्थियों में उनका अध्ययन मूल्यांकन शामिल था।
5. महादेव गोविंद रानाडे ने ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थापना का समर्थन किया था।
6. 1943 में, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने, रानाडे की प्रशंसा की, एवं उन्हें गाँधी और जिनाह के विरोधी का दर्जा दिया था।
7. गोविंद रानाडे बी.ए. और एल.एल.बी. की कक्षा में प्रथम स्थान पर रहे थे।
8. महादेव गोविन्द रानाडे का चयन प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट के तौर पर हुआ था।
9. वे बाल विवाह के कट्टर विरोधी और विधवा विवाह के समर्थक थे।
10. 16 जनवरी, 1901 को इनका दुखद: निधन हो गया था।

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