Wednesday 19 February 2020

रैपिडजेन

#रैपिडजेन

इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) ने फसल चक्रों के समय को कम करने के उद्देश्य से भारत की पहली सार्वजनिक अनुसंधान सुविधा रैपिडजेन (RapidGen) शुरू की।

🌺मुख्य बिंदु:
•रैपिडजेन (रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट के लिये एक उपनाम) तकनीक पौधों के जीवन चक्र के दौरान प्रकाश, तापमान और आर्द्रता नियंत्रित करने वाली स्थितियों में तेज़ी लाएगी।
•इस सुविधा से फसल उत्पादन के समय एवं लागत में कमी आएगी।
•वर्तमान में एक नई फसल की किस्म तैयार करने में लगभग एक दशक या उससे अधिक समय लगता है, जबकि नई सुविधा से यह कार्य 6-7 वर्षों में ही पूरा हो जाएगा।
•विशेषज्ञों ने बताया है कि इस सुविधा से नई फसल की किस्म तैयार करने का समय कम हो जाएगा जो अपेक्षाकृत अधिक उपज देने वाली होती हैं और प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों के लिये अधिक उपयुक्त हैं।

🌺इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT):
•ICRISAT एक गैर-लाभकारी कृषि अनुसंधान संगठन है। इसका मुख्यालय हैदराबाद (तेलंगाना) में है।
इसकी स्थापना वर्ष 1972 में फोर्ड एवं रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा बुलाए गए संगठनों के एक संघ द्वारा की गई थी।
•इसके चार्टर पर खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization- FAO) तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme- UNDP) ने हस्ताक्षर किये थे।
•इसके दुनिया भर में कई क्षेत्रीय केंद्र हैं- निआमी (नाइजीरिया), नैरोबी (केन्या) और रिसर्च स्टेशन बामाको (माली), बुलावायो (ज़िम्बाब्वे)।
•गौरतलब है कि इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research- ICAR), राजकीय कृषि विश्वविद्यालयों, औद्योगिक भागीदार और कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर फसल उत्पादन के समय में कमी लाने का प्रयास कर रहा है।

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