Saturday 18 January 2020

(Current Affairs/ GS Capsule) - नागरिकता संशोधन कानून (CAA)

नागरिकता संशोधन कानून (CAA)
* संसद ने 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को मंजूरी दे दी है
* केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद कहा कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने वाला नहीं है उन्होंने कहा कि यदि देश का विभाजन न हुआ होता और धर्म के आधार पर न हुआ होता तो आज यह विधेयक लेकर आने की कोई जरूरत नहीं पड़ती
* इस विधेयक को कानून का रूप लेने से पाकिस्तान, अफगानिस्तान तथा बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के वजह से वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को नागरिकता (संशोधन) विधेयक के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी
* भारतीय नागरिकता लेने हेतु अभी 11 साल भारत में रहना अनिवार्य है नए विधेयक में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक यदि पांच साल से भी भारत में रहे हों तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है
* इस संशोधन के तहत ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता हेतु सरकार के पास आवेदन कर सकेंगे
* नए विधेयक के तहत यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता हेतु उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी
* नागरिकता (संशोधन) बिल नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने हेतु पेश किया गया है इसमें बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के शरणार्थियों हेतु नागरिकता के नियमों को आसान बनाना है
* इस बिल संशोधन का मुख्य उद्देश्य चुनिंदा श्रेणियों में अवैध प्रवासियों को छूट देना है इससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा
* पिछले विधेयक से कैसे अलग नया कानून 
> 2016 के विधेयक में 11 वर्ष की शर्त को घटाकर 6 वर्ष किया गया
> नए कानून में इसे घटाकर पांच वर्ष कर दिया गया है
> छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों को छूट देने का बिंदु भी पिछले विधेयक में नहीं था
> अवैध प्रवास के संबंध में सभी कानूनी कार्यवाही बंद करने का प्रावधान भी नया है
* विधेयक को लेकर विपक्षी दल सबसे ज्यादा विरोध कर रहे है विपक्षी दल का कहना यह है कि इसमें मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया है उनका कहना यह भी है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की बात करता है
* पूर्वोत्तर के कई राज्यों का कहना है कि अभी भी बड़ी संख्या में उनके राज्य या इलाके में इस समुदाय के लोग ठहरे हुए हैं, अगर अब उन्हें नागरिकता मिलती है तो वह स्थाई हो जाएंगे. इससे उनकी संस्कृति, भाषा, खानपान और अन्य पहचान को खतरा पैदा हो जायेगा
* पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों/राज्यों को केंद्र सरकार ने इनर लाइन परमिट में रखा है, जिसके कारण नागरिकता कानून वहां लागू नहीं होता इनमें मणिपुर, अरुणाचल, मेघालय के कुछ इलाके शामिल हैं

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