कट मोशन
* संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत सरकार हर साल संसद के समक्ष एक वार्षिक वित्तीय विवरण पेश करती है जिसे हम बजट कहते हैं
* बजट जब संसद में पेश हो जाता है तो उसके बाद उस पर सामान्य चर्चा होती है इसके बाद लोकसभा विभागवार अनुदान की मांगों पर अलग से चर्चा करती है और अपनी मुहर लगाती है
* सदन में अनुदान की मांगों पर चर्चा के दौरान अगर कोई सदस्य बजट में किसी विभाग के लिए आवंटित राशि में कटौती करना चाहता है तो वह एक नोटिस देकर इस आशय का प्रस्ताव पेश कर सकता है जिसे कट मोशन (कटौती प्रस्ताव) कहते हैं
* कट मौशन 3 वजह से लाया जा सकता है पहला सरकार की नीति को अस्वीकार करने के इरादे से पॉलिसी कट
* पॉलिसी कट में संसद सदस्य संबंधित विभाग के अनुदान की पूरक मांगों में से महज ₹1 की कटौती का प्रस्ताव करते हैं ऐसा करने के पीछे सदस्य का इरादा स्पष्ट होता है कि वह सरकार की उक्त नीति को अस्वीकार कर रहे हैं इसलिए अनुदान की मांगों में यह कटौती चाहते हैं
* अगर यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो सरकार के लिए बड़ी असहज स्थिति बन जाती है और उसे इस्तीफा भी देना पड़ सकता है
* दूसरा है इकॉनामी कट जिसके तहत सदस्य किसी क्षेत्र की अनुदान की मांगों में से एक निश्चित राशि की कटौती का प्रस्ताव करते हैं हालांकि यह प्रस्ताव पेश करते समय उन्हें सदन को बताना होता है कि अनुदान की मांगों में आवंटित की गई राशि से अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा
* तीसरा होता है टोकन कट जिसके तहत सदस्य किसी मंत्रालय की अनुदान की मांगों में से ₹100 की टोकन कटौती का प्रस्ताव करते हैं जब उन्हें सरकार से कोई विशेष शिकायत होती है तभी वह ऐसा करते हैं
* संसद में कट मोशन का जवाब उसी मंत्रालय का मंत्री देता है जिस मंत्रालय की अनुदान की मांगों पर चर्चा हुई है
* संसदीय प्रणाली में कट मोशन के जरिए संसद सदस्य बजट के संबंध में सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने का काम करते हैं
* एक प्रकार से सदस्यों के हाथ में यह वीटो पावर जैसा होता है
* वैसे कट मोशन पेश करने के लिए स्वीकार किया जाएगा या नहीं इस बात का निर्णय लोकसभा अध्यक्ष करते हैं
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