गंगा प्रसाद विमल (साहित्यकार)
* हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल हाल ही में श्रीलंका में एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया वे 80 वर्ष के थे
* गंगा प्रसाद विमल अपनी बेटी और पोती के साथ यात्रा कर रहे थे जो उसी सड़क दुर्घटना में मारे गए
* गंगा प्रसाद हिंदी के जाने माने लेखक, अनुवादक और जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के पूर्व प्रोफेसर थे
* मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गंगा प्रसाद विमल अपने परिवार के साथ दक्षिण गेले टाउन से कोलंबो की ओर एक वैन में सवार होकर जा रहे थे
* गंगा प्रसाद विमल का जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी में साल 1939 में हुआ था
* वे केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक भी रह चुके थे
* वे ओस्मानिया विश्विद्यालय और जेएनयू में शिक्षक भी रहे थे
* वे दिल्ली विश्विद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज से भी जुड़े थे
* उन्हें हिंदी साहित्य जगत में ‘अकहानी आंदोलन’ के जनक के रूप में जाना जाता था
* वे पंजाब विश्विद्यालय से साल 1965 में पीएचडी किये थे
* वे कवि, कहानीकार, उपन्यासकार और अनुवादक भी थे
* उन्होंने 12 से अधिक लघु कहानी संग्रह, उपन्यास और कविता संग्रह लिखे हैं
* उनका पहला काव्य संग्रह साल 1967 में ‘विज्जप’ नाम से आया था
* उनका पहला उपन्यास ‘अपने से अलग’ साल 1972 में आया था
* उनका पहला कहानी संग्रह ‘कोई भी शुरुवात’ साल 1967 में आया था
* गंगा प्रसाद विमल ‘चंद्रकुंवर बर्थवाल संचयन’ का संपादन किया था
* उन्होंने प्रेमचंद तथा मुक्तिबोध पर किताबें लिखी थी
* उनकी लगभग 20 से अधिक पुस्तकें छपी थीं
* उन्हें कई राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले थे
* उन्होंने उपन्यास, नाटक, आलोचना भी लिखीं तो कई रचनाओं का संपादन कार्य भी किया
* उनके प्रसिद्ध कविता संग्रहों में 'बोधि-वृक्ष’, 'इतना कुछ’, 'सन्नाटे से मुठभेड़’, 'मैं वहाँ हूँ’ एवं 'कुछ तो है’ आदि हैं
* उनका अंतिम उपन्यास साल 2013 में प्रकाशित 'मानुसखोर’ है
* उनके कहानी संग्रह 'कोई शुरुआत’, 'अतीत में कुछ’, 'इधर-उधर’, 'बाहर न भीतर’ तथा 'खोई हुई थाती’ का भी हिंदी साहित्य में अपना स्थान है
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