Wednesday, 28 November 2018

_भारत में उम्रकैद की सजा कितने सालों की होती हैं

*_भारत में उम्रकैद की सजा कितने सालों की होती हैं_*
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_क्या आप जानते हैं कि उम्रकैद की सजा मिलने पर भी किसी कैदी को 14 या 20 साल के बाद ही जेल से रिहाई मिल जाती है ऐसा कैसे?  इसके पीछे क्या कारण हो सकता है? उम्रकैद की सजा कितने सालों के लिए होती है? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं._

_जब किसी कैदी का आरोप सिद्ध होने पर उम्रकैद की सजा मिलती है तो इसका मतलब उसे ताउम्र जेल में रहना पड़ेगा. परन्तु ऐसा सुनने या देखने को मिलता है कि उम्रकैद मिलने पर भी किसी कैदी को सिर्फ 14 साल में ही जेल से रिहाह कर दिया गया. क्या आपने कभी सोचा है ऐसा क्यों? उम्रकैद या आजीवन कारावास का अर्थ ही होता है दोषी की जिंदगी समाप्त होने तक जेल में रहना, यानी जब तक अपराधी की सांसें ना खत्म हो जाएं उसे रिहाई नहीं मिलनी चाहिए तो फिर कैसे कोई दोषी 14 साल में जेल से बाहर आ जाता है._

_हम आपको बता दें कि संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि उम्रकैद की सजा 14 साल की होगी. देश की हर अदालत आरोप साबित होने के बाद ये तय करती है कि अपराधी को उम्रकैद की सजा मिलेगी या कोई और सजा._

_सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में अपने निर्णय से यह स्पष्ट किया है कि आजीवन कारावास या उम्रकैद का अर्थ है जीवनभर के लिए जेल और इससे ज्यादा कुछ नहीं. उम्रकैद का मतलब उम्र भर के लिए जेल._

_दरअसल उम्रकैद की सजा 14 साल की नहीं होती है. भारत में इसको लेकर गलत अवधारणाएं हैं. भारतीय कानून में कई सारे नियम बनाएं गये हैं, अपराधी के अपराध के अनुसार उसको उम्रकैद की सजा मिलेगी या कुछ और ये बहुत सोच समझकर तय किया जाता है._

_ये तो हम जानते ही हैं कि अदालत का काम सजा सुनाना होता है परन्तु उसको एक्जीक्यूट करने का काम राज्य सरकार के हाथ में होता है. ये राज्य सरकार को अधिकार दिया गया है कि उम्रकैद के आरोपी को 14 साल में रिहा करे, 20 साल में या मौत होने तक जेल में रखे._

_भारत के संविधान में ऐसा नहीं लिखा है कि उम्रकैद की सजा 14, 20 या 30 वर्षों की होगी. अपराधी को आजीवन कारावास मिलने का अर्थ है कि जब तक उसकी मृत्यु ना हो जाए उसे जेल में ही सजा काटनी होगी._

*_आइये अब 14 साल की सजा के पीछे के कारण के बारें में अध्ययन करते हैं._*

_कैदी की अवधि को कम करने के लिए, संविधान की सीआरपीसी धारा 432 के तहत उचित सरकार को एक विशिष्ट आदेश को पारित करना होगा._

_साथ ही संविधान की सीआरपीसी की धारा 433-ए के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार मिला हुआ है कि वह कैदियों की सजा को कम कर सकती है या निलंबित कर सकती है. सजा कैसी भी हो चाहे कुछ महीनों की, वर्षों की या उम्रकैद, राज्य सरकारों के पास उसे कम कर देने की गुजारिश करने की पूरी छूट होती है._

_कैदी राज्य सरकार की निगरानी में होता है इसलिए राज्य सरकार पर यह जिम्मा सौपा गया है, ऐसे में अगर राज्य सरकार उसकी सजा कम करने की अपील करे तो उसे सुन लिया जाता है. इसमें ध्यान देने वाली बात यह है कि उम्रकैद 16 साल या 30 साल या हमेशा के लिए हो सकती है लेकिन 14 साल से कम नहीं हो सकती है._

_यह संविधान के द्वारा तय किया गया है कि राज्य सरकार ये सुनिश्चित करे कि उम्रकैद की सजा मिला हुआ अपराधी 14 साल से पहले रिहा न हो._

*_क्या आप जानते हैं कि रिहाई के क्या कारण हो सकते हैं?_*

_राज्य सरकार 14 साल के बाद कैदी के चाल चलन, बिमारी, पारिवारिक मुद्दों या इस प्रकार कोई भी कारण जो वाकई सही हो या जरूरी हो, उसके आधार पर उसे 14 साल के बाद कभी भी रिहाह कर सकती है._

_ऐसा कहना गलत होगा कि उम्रकैद या आजीवन कारावास 14 वर्षों के लिए ही होता है. सभी मामलों में उम्रकैद की सजा 14 वर्षों के लिए नहीं हो सकती है. उम्रकैद का अर्थ ही है उम्र भर के लिए सजा._

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