#_डूम्स_डे_क्लॉक_क्या_है
वर्ष 1945 में जब #_अमेरिका_ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के 2 बड़े शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए तो वैज्ञानिकों को लगा कि इतने खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल से इस दुनिया का खात्मा सिर्फ कुछ मिनटों में किया जा सकता है.
इसलिए दुनिया के वैज्ञानिकों को इस बात की चिंता हुई कि आगे आने वाले समय में परमाणु बम जैसे हथियार दुनिया के हर देश के पास हो जायेंगे.
इसी विनाशक विकास ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्यों ना वे एक घड़ी बना कर धरती के समक्ष मौजूद विनाश की चुनौतियों को दर्ज करें और दुनिया को इस बारे में आगाह करें कि इंसानों के कौन से कार्य पृथ्वी के खात्मे का कारण बन सकते हैं.
#_इस_उद्देश्य_से_15_वैज्ञानिकों के एक दल ( जिसमे वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग भी शामिल हैं) ने एक संगठन बनाया जिसका नाम #_द_बुलेटिन_ऑफ_द_अटॉमिक_साइंटिस्ट्स है.
#_डूम्स_डे_क्लॉक को आगे पीछे करने का काम वैज्ञानिकों का यह संगठन ही करता है.
डूम्स डे क्लॉक एक #_प्रतीकात्मक_घडी है जो मानव गतिविधियों के कारण वैश्विक तबाही की संभावना को बताती है. इसमें 12 बजने का मतलब यह होता है कि अब दुनिया कभी भी ख़त्म हो सकती है.
डूम्स डे क्लॉक में सबसे पहली बार #_समय_को_1947_में रात के 12 बजने से 7 मिनट पहले सेट किया गया था.
#_संगठन_द_बुलेटिन_ऑफ_द_अटॉमिक_साइंटिस्ट्स ऐसी मानवनिर्मित गतिविधियों के बारे में चेतवानी जारी करता है
जिनके कारण प्रथ्वी गृह और मानवता को खतरा पैदा होता हो. जब किसी परमाणु हमले या किसी और कारण से मानव के अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाता है
यह संगठन इस डूम्स डे क्लॉक की सुइयों को 12 बजे के करीब कर देते हैं और जब खतरा टल जाता है या खतरे को कम करने के उपाय कर दिए जाते हैं
तो सुइयों को दुबारा 12 बजने से कुछ मिनट दूर सेट कर दिया जाता है.
#_उदाहरण_के तौर पर जब #_हिरोशिमा_और_नागासाकी पर परमाणु हमले से भारी विनाश हुआ था
#_तो_2_साल_बाद_अर्थात_1947 में पहली बार डूम्स डे क्लॉक को आधी रात यानी 12 बजे से सिर्फ 7 मिनट की दूरी पर सेट किया गया था.
#_डूम्स_डे_क्लॉक_में_कितनी_बार_परिवर्तन_किये_जा_चुके_हैं
इस घड़ी में 12 बजने का अर्थ होगा कि अब पृथ्वी पर मानवनिर्मित प्रलय का समय आ गया है. डूम्स डे क्लॉक में अब #_तक_22_बार परिवर्तन किए जा चुके हैं.
(1). अभी हाल ही में उत्तरी कोरिया और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को देखकर परमाणु युद्ध की आशंका के मद्देनजर प्रतीकात्मक घड़ी के समय को 2 मिनट आगे खिसका दिया गया है. अर्थात इसे 12 बजे के और पास कर दिया गया है जिसका सीधा मतलब मानवता के विनाश का समय और करीब आना है.
(2). वर्ष 1947 के बाद डूम्स डे क्लॉक की सुइयां 1949 में आधी रात से सिर्फ 3 मिनट की दूरी पर सेट की गई थीं, क्योंकि उस वर्ष सोवियत संघ ने अपने पहले परमाणु हथियार का परीक्षण किया था.
(3). वर्ष 1953 में जब अमेरिका ने पहले हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया, तो प्रलय का वक्त सिर्फ 2 मिनट दूर माना गया.
(4). वर्ष 1969 में जब परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए गए, तो इस घड़ी की सुइयां पीछे हटा कर आधी रात से 10 मिनट की दूरी पर कर दी गयी थीं.
डूम्स डे क्लॉक में परिवर्तन के लिए #_कौन_कौन_से_कारक_जिम्मेदार हैं
(1) . परमाणु युद्ध या इसकी संभावना
(2). जलवायु परिवर्तन
(3). जैव सुरक्षा
(4). जैव आतंकवाद
(5). साइबर अपराध
(6). हैकिंग और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के कई खतरे
(7). उच्च पदस्थ लोगों की भड़काऊ बयानबाजी
इस प्रकार आपने पढ़ा कि यह डूम्स डे क्लॉक मानव की गतिविधियों के परिणामस्वरूप होने वाले दुष्परिणामों के बारे में कितना महत्वपूर्ण रोल निभा रही है. आगे आने वाले समय में वैज्ञानिक और मानव समाज से इस समझदारी की उम्मीद की जाती है कि वे ऐसी किसी भी गतिविधि को अंजाम ना दें जो कि सम्पूर्ण मानव जाति के विनाश का कारण बन जाये और डूम्स डे क्लॉक की #_सुइयां_12_बजाने को मजबूर हो जाएँ.
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