Wednesday, 19 September 2018

तीन तलाक के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से

Image result for triple talaqमीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सबसे ज्यादा मामला उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए. कोर्ट के जजमेंट जनवरी 2017 से अब तक यूपी में कोर्ट के जजमेंट के पहले 126 और कोर्ट के जजमेंट के बाद 120 इंस्टैंट ट्रिपल तलाक के मामले दर्ज हुए. ये सभी मीडिया से मिले आंकड़ों के मुताबिक हैं, और कई मामले तो अनरिपोर्टेड हैं. आगे उन्होंने बताया कि अभी तक पूरे देश में 430 तीन तलाक की घटनाएं सामने आईं. जिनमें 229 मामले जजमेंट के पहले की है और 201 जजमेंट के बाद की है. 

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रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वोट-बैंक के दबाव में कांग्रेस ने तीन तलाक बिल को समर्थन नहीं दिया
. उन्होंने कहा कि मीडिया ने इस मामले को विस्तार से छापा है. उन्होंने कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष मुल्क में बड़ी संख्या में महिलाओं के साथ नाइंसाफी हो रही थी. तीन तलाक का मुद्दा नारी न्याय और नारी गरिमा का है.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अपराध संज्ञेय तभी होगा, जब खुद पीड़ित महिला या उसके खून के रिश्ते के लोग शिकायत करेंगे. उन्होंने कहा कि सिर्फ पीड़िता पत्नी ही चाहेगी तभी समझौता होगा. मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है, मगर वह भी पीड़िता की सहमति से ही.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अध्यादेश लागू होने के बाद पीड़ित पत्नी से सुनवाई के बाद मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है. एफआईर सिर्फ पीड़ित पत्नी, खून के रिश्तेदार कर सकते हैं. रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा  और कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी को इंसाफ और इंसानियत में भी राजनीति दिखाई देती है तो उसे समझाने का काम हमारा नहीं है.

विभिन्न राज्यों में अब तक जनवरी 2017 से सितंबर 2018 तक तीन तलाक के मामले दर्ज-
बिहार- 19
झारखंड- 34
मध्य प्रदेश- 37
महाराष्ट्र- 27
तेलंगाना- 10
दिल्ली- 1
हरियाणा- 4

क्या हैं वे तीन संशोधन- 

पहला संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि इस मामले में पहले कोई भी केस दर्ज करा सकता था. इतना ही नहीं पुलिस खुद की संज्ञान लेकर मामला दर्ज कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि अब पीड़िता, सगा रिश्तेदार ही केस दर्ज करा सकेगा.

दूसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले गैर जमानती अपराध और संज्ञेय अपराध था. पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी. लेकिन अब नया संशोधन यह कहता है कि मजिस्ट्रेट को ज़मानत देने का अधिकार होगा. 

तीसरा संशोधन: इसमें पहले का प्रावधान था कि पहले समझौते का कोई प्रावधान नहीं था. लेकिन अब नया संशोधन ये कहता है कि मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी में समझौते का विकल्प भी खुला रहेगा

बिल के संशोधन में खास बातें-
  1. मामले के ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद भी मजिस्ट्रेट आरोपी को बेल दे सकता है.
  2. पीड़िता, रिश्तेदार और खून के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं.
  3. मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा.
  4. तीन तलाक बिल की पीड़िता और उसके बच्चे को मुआवजा भी मिलेगा.

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