राज्यव्यवस्था: पंथनिरपेक्षता,संसदीय लोकतंत्र एवं अध्यक्षात्मक / राष्ट्रपतिय लोकतंत्र
पंथनिरपेक्षता (Secularism)
- पंथनिरपेक्षता से तात्पर्य ऐसी व्यवस्था से है जिसमे राज्य का कोई राजकीय धर्म ना हो।
- नागरिको के बीच धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं।
- प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म का हो, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त हो।
भारत एक पंथनिरपेक्षता / धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में:
- संविधान भारत को पंथनिरपेक्ष घोषित करता है।
- भारत में राज्य का कोई राजकीय धर्मं नहीं है।
- भारत में समता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जिसमे धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होगा।
यहाँ किसी भी ग्रंथ की तुलना में संविधान को सर्वोच्चता प्राप्त है व शासन संविधान के आधार पर होगा। भारत मैं धार्मिक स्वतंत्रता का आधार एक मौलिक अधिकार है जो सभी नागरिको को किसी भी धर्म को मानने व आचरण की स्वतंत्रता देता है।
संसदीय लोकतंत्र (Parliamentary)
इसमें विधायिका व कार्यपालिका में घनिष्ठ सम्बंध होता है।
विधायिका = संसद
कार्यपालिका= मंत्री
इसमें नाममात्र कार्यपालिका (राष्ट्र्पति) व वास्तविक कार्यपालिका (प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद) में अंतर है। वास्तविक कार्यपालिका को कार्यकाल की सुनिश्चितता नहीं होगी। यह प्रणाली सामूहिक उत्तरदायित्व प्रणाली पर कार्य करती है।
- इसके दोष : राजनैतिक अस्थायित्व-- योग्य मंत्रीपरिषद का आभाव
- इसके : गुण: उत्तरदायित्व -- विधि निर्माण में सुगमता
अध्यक्षात्मक / राष्ट्रपतिय लोकतंत्र (Presidential)
इसमें शक्ति का पृथककरण होता है। विधायिका कार्यपालिका, न्यायपालिका एक दूसरे से अलग नहीं होती।
- विधायिका = कांग्रेस
- कार्यपालिका = मंत्री
इसमें नाममात्र की व वास्तविक जैसा कोई अंतर नहीं कार्यकाल की सुनिशिचतता नहीं। सामूहिक उत्तरदायित्व जैसा कोई मुददा नहीं होता।
- इसके दोष : तानाशाही - विधायिका / कार्यपालिका में टकराव
- इसके गुण : राजनितिक स्थायित्व -- योग्य शासन
भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने Parliamentary को संविधान का मूल ढांचा घोषित किया है।
गणराज्य (Republic)
- गणराज्य से तात्पर्य एक ऐसे देश से है जिसमे राज्य का प्रमुख मनोनीत या वंशानुगत ना हो बल्कि जनता द्धारा प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित हो।
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