😇😇😇😇'राष्ट्रीय आपदा' क्या है?😇😇😇😇
संदर्भ
हाल ही में केरल राज्य में बाढ़ के कहर से लाखों लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है और इस प्राकृतिक घटना ने पुनः सबका ध्यान ‘राष्ट्रीय आपदा’ की चर्चा की ओर आकर्षित किया है। दरअसल, हमारे देश में एक प्राकृतिक आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने के लिये कोई प्रावधान या कानून उपलब्ध नहीं है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया निधि (एसडीआरएफ)/राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (एनडीआरएफ) के मौजूदा दिशा-निर्देश भी किसी आपदा को 'राष्ट्रीय आपदा' के रूप में घोषित करने पर विचार नहीं करते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपदा के विभिन्न पक्षों की चर्चा करेंगे।
पृष्ठभूमि:
र्च 2001 में एमओएस (कृषि) श्रीपाद नायक ने संसद को बताया था कि सरकार ने वर्ष 2001 के गुजरात भूकंप और ओडिशा में वर्ष 1999 के भीषण चक्रवात को "अभूतपूर्व गंभीरता की आपदा" के रूप में माना था।
वर्ष 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय समिति के लिये राष्ट्रीय आपदा को परिभाषित करने वाले मानकों को देखना अनिवार्य किया गया था। हालाँकि, समिति ने कोई निश्चित मानदंड का सुझाव नहीं दिया था।
हाल ही में,राज्यों की प्राकृतिक आपदाओं यथा -2014 में उत्तराखंड में आई बाढ़, 2014 में आंध्र प्रदेश में चक्रवात हुदहुद और 2015 में असम में आई बाढ़ को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने की मांग की गई है।
सरकार आपदाओं को कैसे वर्गीकृत करती है?
10वें वित्त आयोग (1995-2000) ने एक प्रस्ताव की जाँच के आधार पर पाया गया कि एक आपदा की "दुर्लभ गंभीरता को राष्ट्रीय आपदा" तब कहा जाता है, जब यह राज्य की एक-तिहाई आबादी को प्रभावित करती है।
पैनल ने "दुर्लभ गंभीरता की आपदा" को परिभाषित नहीं किया था, किंतु यह कहा कि दुर्लभ गंभीरता की आपदा को केस-टू-केस आधार पर अन्य बातों के साथ-साथ आपदा की तीव्रता और परिमाण को भी ध्यान में रखना होगा।
इसमें समस्या से निपटने के लिये राज्य की क्षमता, सहायता और राहत प्रदान करने की योजनाओं के भीतर विकल्प और लचीलेपन की उपलब्धता शामिल है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड और चक्रवात हुदहुद फ्लैश बाढ़ को बाद में "गंभीर प्रकृति" की आपदाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया।
आपदा घोषणा के लाभ
जब एक आपदा "दुर्लभ गंभीरता"/"गंभीर प्रकृति" के रूप में घोषित की जाती है, तो राज्य सरकार को समर्थन राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है।
इसके अतिरिक्त केंद्र एनडीआरएफ की सहायता भी प्रदान कर सकता है।
आपदा राहत निधि (सीआरएफ) को स्थापित किया जा सकता है, यह कोष केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के साझा योगदान पर आधारित होता है।
इसके अलावा सीआरएफ में संसाधन अपर्याप्त होने की अवस्था में राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (एनसीसीएफ) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है, जो केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित होती है।
फंडिंग का निर्णय कैसे किया जाता है?
आपदा प्रबंधन की राष्ट्रीय नीति-2009 के अनुसार, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति का संबंध गंभीर और राष्ट्रीय स्तर पर विध्वंसक प्रमुख संकटों से है।
गंभीर प्रकृति की आपदाओं के लिये प्रभावित राज्यों के नुकसान और राहत सहायता के आकलन के लिये अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीमों को नियुक्त किया जाता है।
केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समूह मूल्यांकन का अध्ययन करता है और एनडीआरएफ/राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (एनसीसीएफ) से सहायता की मात्रा के लिये भी सिफारिश करता है।
इसके आधार पर एक उच्च स्तरीय समिति जिसमें वित्त मंत्री और अध्यक्ष, गृह मंत्री, कृषि मंत्री तथा योजना आयोग के उपाध्यक्ष शामिल हैं, जो केंद्रीय सहायता को मंज़ूरी देते हैं।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल
यह एक विशेषज्ञ दल है, जिसका गठन वर्ष 2006 में किया गया था। इसके गठन का उद्देश्य प्राकृतिक और मानवकृत आपदा या खतरे की स्थिति का सामना करने के लिये विशेष प्रयास करना है।
इस समय बल में 12 बटालियन हैं, जो पूरे देश में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण स्थानों पर तैनात हैं ताकि तुरंत प्रत्युत्तर दिया जा सके।
हाल ही में मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की चार अतिरिक्त बटालियन बनाने को मंज़ूरी दे दी है ताकि भारत में आपदा मोचन को मज़बूती प्रदान की जा सके।
एनडीआरएफ के तहत केंद्र ने कितना धन वितरित किया?
पिछले जनवरी में रिजिजू द्वारा संसद में दिये गए एक जवाब के मुताबिक, केंद्र ने 2014-15 में 3,460.88 करोड़ रुपए, 2015-16 में 12,451.9 करोड़ रुपए और 2016-17 में विभिन्न राज्यों में एनडीआरएफ के तहत 11,441.30 करोड़ रुपए जारी किये थे।
वर्ष 2017-18 में 27 दिसंबर तक 2,082.45 करोड़ रुपए वितरित किये गए थे।
रिजिजू द्वारा प्रस्तुत राज्यवार आँकड़े यह बताते हैं कि वर्ष 2016-17 के लिये उच्चतम राशि कर्नाटक (2,292.50 करोड़ रुपए), महाराष्ट्र (2,224.78 करोड़ रुपए) और राजस्थान (1,378.13 करोड़ रुपए) को वितरित की गई थी।
अन्य देश आपदाओं को वर्गीकृत कैसे करते हैं?
अमेरिका में अगर किसी तूफान या चक्रवात से नुकसान होता है तो वहाँ के राष्ट्रपति ही उसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हैं।
इसके बाद फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (फेमा) राहत कार्य की ज़िम्मेदारी लेती है।
राष्ट्रपति की घोषणा के बाद ही केंद्रीय एजेंसियाँ राज्यों की मदद के लिये आगे आती हैं।
उल्लेखनीय है कि स्टैफ़ोर्ड आपातकाल अधिनियम (सीमित) या प्रमुख आपदा (अधिक गंभीर) के रूप में घोषणा के बाद राष्ट्रपति द्वारा स्थानीय और राज्य सरकारों के कुछ निजी गैर-लाभकारी संगठनों तथा व्यक्तियों को वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करने के लिये अधिकृत किया जाता है।
हालाँकि, भारत में अमेरिका की तुलना में इस मामले में अच्छी व्यवस्था है क्योंकि जब भी किसी राज्य में ऐसी स्थिति उत्त्पन्न होती है तो वह केंद्र सरकार से मदद मांगता है।
केंद्र द्वारा संबंधित राज्य को मदद मुहैया कराई जाती है, साथ ही इसमें सेना, नौसेना, वायु सेना और एनडीआरएफ के लोग राज्य में फँसे हुए लोगों के बचाव का कार्य करते बचाते हैं और उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाते हैं।
No comments:
Post a Comment