लोकसभा ने दो तिहाई बहुमत से 123वीं संवैधानिक संशोधन विधेयक को पारित किया। इस संशोधन के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की भाँती वैधानिक मान्यता प्रदान की जाएगी।
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इस बिल के द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग तथा एंग्लो भारतीय की शिकायत व कल्याण संबधी कार्य सौंपा गया है। इस बिल के द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक संस्था बनाने के प्रस्ताव है, इसके लिए नया अनुच्छेद 338 बी बनाया गया है।
पिछड़ा वर्ग : इस बिल के संविधान में एक नए अनुच्छेद 342-A को जोड़ा गया है, इसके तहत राष्ट्रपति को विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग को चिन्हित करने की शक्ति दी गयी है। इसके लिए राष्ट्रपति सम्बंधित राज्य के राज्यपाल से विचार-विमर्श कर सकते हैं। परन्तु पिछड़ा वर्ग सूची में संशोधन के लिए संसद में कानून पारित किया जाना आवश्यक है।
संघटन : इस बिल के अनुसार राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में पांच सदस्य होंगे, इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। इनके कार्यकाल के सम्बन्ध में राष्ट्रपति द्वारा निर्णय लिया जायेगा। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को प्रतिवर्ष अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपनी होगी और बाद में यह रिपोर्ट संसद और राज्य विधान सभाओं में प्रस्तुत की जाएगी।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के कार्य :
संविधान द्वारा प्रदान किये गए अधिकारों इत्यादि की निगरानी करना।
पिछड़ा वर्ग के अधिकारों के हनन संबधी शिकायत का निवारण करना।
पिछड़ा वर्ग के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए सुझाव देना।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को शिकायतों की छानबीन इत्यादि के सम्बन्ध में सिविल कोर्ट के समान शक्तियां दी जाएँगी।
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