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1.ट्रंप ने बदली विवादित प्रवासी नीति : अब साथ रहेंगे परिवार
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय दबाव
के समक्ष झुकते हुए नए आप्रवासन आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। नए आदेश के अनुसार अवैध रूप अमेरिका-मैक्सिको सीमा को पार करने वाले विस्थापित परिवारों को हिरासत में लिए जाने पर एक साथ ही रखा जाएगा।इस आदेश के अनुसार अवैध रूप से सीमा पार करने वाले विस्थापितों पर पहले की तरह ही आपराधिक मुकदमा चलेगा। यानी अमेरिका की अवैध आप्रवासन पर तथाकथित जीरो टालरेंस नीति पहले की तरह ही जारी रहेगी।
• ट्रंप ने ओवल कार्यालय में नए आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, यह आदेश विस्थापित परिवारों को एक साथ रखने से संबंधित है लेकिन साथ ही हम अपनी सीमाओं के साथ कोई समझौता न करते हुए उनकी सुदृढ़ता सुनिश्चित करेंगे।
• अमेरिका की आप्रवासन नीति के तहत अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर अवैध रूप से विस्थापित हुए परिवारों के बच्चों को भी हिरासत में लेकर उनके माता-पिता से अलग से जेल में रखा जाता था। इन बच्चों के अमानवीय स्थिति के वीडियो और ऑडियो सामने आने के बाद अमेरिका को देश के भीतर और बाहर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।
• व्हाइट हाउस सूत्र के अनुसार ट्रंप ने परिवार अलगाव के इस मुद्दे की गंभीरता को समझा। साथ ही ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने भी उनसे इन बच्चों के लिए कुछ करने की अपील की थी। अमेरिका के दोनों सदनों में रिपब्लिक का बहुमत होने के बावजूद ट्रंप इस नीति की खामियों के लिए डेमाक्रेटिक पार्टी को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं लेकिन देश के भीतर और बाहर से होने वाले विरोध के चलते वह अमेरिका की इस नीति में परिवर्तन करने के समर्थन में आ गए हैं।
2. भारत ने सूरीनाम को 5.1 करोड़ डॉलर की विकास सहायता दी
• राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद और सूरीनाम के राष्ट्रपति डिजायर डेलानो बुतरसे के बीच दोनों देशों के मध्य आर्थिक और विकास संबंधों को मजबूत बनाने पर सहमति बनी है।
• भारत ने सूरीनाम को 5.1 करोड़ डॉलर की विकास सहायता देने का आश्वासन दिया है। इस 5.1 करोड़ डॉलर की राशि में से 3.1 करोड़ डॉलर बतौर ऋण सुविधा जबकि दो करोड़ डॉलर की राशि सस्ते ऋण के तौर पर दी जाएगी।लातिनी अमेरिकी देश के तीन दिवसीय दौरे पर गये राष्ट्रपति को¨वद ने कहा, भारत सूरीनाम के 49 ग्राम समूहों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने के लक्ष्य से सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने के लिए दो करोड़ डॉलर का सस्ता ऋण देगा।
• भारत पिकिनसारोनारिया में बिजली ट्रांसमिशन परियोजना के लिए 2.75 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा देगा जबकि चेतक हेलीकॉप्टरों के रख-रखाव के लिए 35 लाख डॉलर की ऋण सुविधा देगा। राष्ट्रपति को¨वद ने बुतरसे से सूरीनाम के अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का सहमति पत्र भी प्राप्त किया। भारत ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक केंद्र स्थापित करने में सूरीनाम की मदद करने पर हामी भरी।
• इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किया गया।इसके अलावा दोनों देशों ने चुनाव, राजनयिक अकादमी साझेदारी, राजनयिकों के जीवन साथी के रोजगार और पुरालेखों को लेकर भी सहमतिपत्रों पर हस्ताक्षर किए। सूरीनाम ने भारत से कृषि, खनन, ऊर्जा और लकड़ी के क्षेत्र में निवेश करने को कहा।
3. विदेश व्यापार : भारत ने अमेरिका से आने वाले 29 उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया
• भारत ने व्यापार में जवाबी कार्रवाई के तहत अमेरिका से मंगाई जाने वाले दाल-दलहन, लौह एवं इस्पात उत्पादों समेत 29 उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया है। भारत ने यह कदम अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने के जवाब में उठाया है।वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि बढ़े शुल्क चार अगस्त से प्रभावी होंगे। मटर, बंगाल चना और मसूर दाल पर शुल्क 30 फीसद से बढ़ाकर 70 फीसद कर दिया गया है।
• लिंटेल (मसूर) पर शुल्क 30 फीसद से बढ़ाकर 40 फीसद किया गया है।अमेरिका से आने वाले छिले बादाम पर 120 रपए प्रति किलोग्राम तथा छिलका समेत बादाम पर 42 रपए प्रति किलोग्राम की दर से शुल्क लगेगा। छिलका समेत अखरोट पर शुल्क को पहले के 30 फीसद से बढ़ाकर 120 फीसद तथा सफेद सेब पर शुल्क 50 फीसद से बढ़ाकर 75 फीसद कर दिया गया है।
• इनके अलावा शुल्क को बोरिक एसिड पर 17.50 फीसद, फास्फोरिक अम्ल पर 20 फीसद, चिकित्सकीय जांच में प्रयुक्त रीजेंट पर 20 फीसद कर दिया गया है। इनके अलावा चुनिन्दा किस्म के नटों, लोहा एवं इस्पात उत्पादों, सेब, नाशपाती, स्टेनलेस स्टील के चपटे उत्पाद, मिश्रधातु इस्पात, ट्यूब-पाइप फिटिंग, स्क्रू , बोल्ट और रिवेट पर शुल्क बढ़ाया गया है।
• आर्टेमिया पर शुल्क बढ़ाकर 30 फीसद कर दिया गया है। हालांकि, अधिसूचना में 800 सीसी से अधिक क्षमता वाले मोटरसाइकिलों का जिक्र नहीं किया गया है।
• अमेरिका ने चुनिन्दा इस्पात एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर बढा दिया था। इससे भारतीय माल पर 24.1 करोड़ डालर का शुल्क बोझ पड़ा है। भारत ने इसी के जवाब में ये शुल्क लगाए हैं।
4. अगले महीने भारत-अमेरिका के बीच पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता
• भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों में कारोबार व अन्य वजहों से तनाव के बीच दोनों देशों के बीच एक अहम वार्ता होने जा रही है। इस अहम यानी ‘टू प्लस टू’ वार्ता शुरू करने पर जून, 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सहमति बनी थी, लेकिन यह अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। अब भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई में यह वार्ता होगी। इसमें अमेरिकी पक्ष की अगुआई वहां के विदेश मंत्री माइकल आर. पोंपियो और रक्षा मंत्री जेम्स एन. मैटिस करेंगे।
• यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण तो होगी ही कि पहली बार भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व दो महिला कैबिनेट मंत्री करेंगी, बल्कि सामरिक व कूटनीतिक क्षेत्र में आपसी हितों को देखते हुए जो लक्ष्य तय किए गए हैं उसकी नए सिरे से समीक्षा की जाए।
• सनद रहे कि मोदी और ट्रंप के बीच मुलाकात में तय हुआ था कि द्विपक्षीय रिश्तों को बहुआयामी बनाने के लिए पुराने तरीके की जगह पर ‘टू प्लस टू’ वार्ता शुरू की जाएगी। इसके पहले राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत के साथ कूटनीतिक व वाणिज्यिक वार्ता होती थी जिसमें दोनों देशों के विदेश, रक्षा, वित्त, वाणिज्य व ऊर्जा मंत्री भी सदस्य होते थे।
• पहले बताया गया था कि दिसंबर, 2017 तक पहली ‘टू प्लस टू’ बातचीत होगी जिसे बाद में बढ़ाकर अप्रैल, 2018 कर दिया गया था। लेकिन अमेरिका में विदेश मंत्री बदले जाने से इसे तीन महीने और बढ़ा दिया गया है। बहरहाल, यह तय है कि मोदी सरकार के इस कार्यकाल में भारत-अमेरिका के बीच यह पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता होगी। विदेश मंत्रलय की तरफ से बताया गया है कि दोनों पक्ष सुरक्षा व रणनीतिक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर आपसी हितों पर चर्चा करेंगे।
• जानकारों का कहना है कि इस वार्ता में रणनीतिक गठजोड़ पर शायद ही कोई नया फैसला लिया जाए। कोशिश यह होगी कि 2015 में दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त स्ट्रेटेजिक विजन के तहत जो कदम उठाए गए हैं उनकी समीक्षा की जाए। तब पहली बार दोनों देशों ने कहा था कि वे एक दूसरे को एशिया प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर क्षेत्र में साझेदार मानेंगे। आने वाले समय में सामुद्रिक सहयोग को किस तरह आगे बढ़ाया जाए, यह भी बातचीत का अहम एजेंडा होगा। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में भारत को तकनीकी हस्तांतरण का मुद्दा भी उठेगा।
• 2016 में मोदी-ओबामा शीर्ष वार्ता और उसके बाद मोदी-ट्रंप वार्ता में इस बारे में कई अहम घोषणाएं हुई थीं, लेकिन वास्तविकता में अभी कोई प्रगति नहीं हुई है।
• जो अन्य मुद्दे महत्वपूर्ण होंगे उनमें अमेरिका की तरफ से रूस और ईरान पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध और इन दोनों देशों के साथ भारत के कारोबारी व अन्य रिश्ते शामिल हैं। अमेरिका पहले ही साफ कर चुका है कि अगर भारत इन देशों के साथ अपने कारोबारी व रणनीतिक रिश्ते खत्म नहीं करता है तो उसके लिए भारत को अन्य सहयोग करने में समस्या होगी। #_like_and__shares
1.ट्रंप ने बदली विवादित प्रवासी नीति : अब साथ रहेंगे परिवार
• अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अंतरराष्ट्रीय दबाव
के समक्ष झुकते हुए नए आप्रवासन आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। नए आदेश के अनुसार अवैध रूप अमेरिका-मैक्सिको सीमा को पार करने वाले विस्थापित परिवारों को हिरासत में लिए जाने पर एक साथ ही रखा जाएगा।इस आदेश के अनुसार अवैध रूप से सीमा पार करने वाले विस्थापितों पर पहले की तरह ही आपराधिक मुकदमा चलेगा। यानी अमेरिका की अवैध आप्रवासन पर तथाकथित जीरो टालरेंस नीति पहले की तरह ही जारी रहेगी।
• ट्रंप ने ओवल कार्यालय में नए आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, यह आदेश विस्थापित परिवारों को एक साथ रखने से संबंधित है लेकिन साथ ही हम अपनी सीमाओं के साथ कोई समझौता न करते हुए उनकी सुदृढ़ता सुनिश्चित करेंगे।
• अमेरिका की आप्रवासन नीति के तहत अमेरिका-मैक्सिको सीमा पर अवैध रूप से विस्थापित हुए परिवारों के बच्चों को भी हिरासत में लेकर उनके माता-पिता से अलग से जेल में रखा जाता था। इन बच्चों के अमानवीय स्थिति के वीडियो और ऑडियो सामने आने के बाद अमेरिका को देश के भीतर और बाहर कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।
• व्हाइट हाउस सूत्र के अनुसार ट्रंप ने परिवार अलगाव के इस मुद्दे की गंभीरता को समझा। साथ ही ट्रंप की पत्नी मेलानिया ट्रंप ने भी उनसे इन बच्चों के लिए कुछ करने की अपील की थी। अमेरिका के दोनों सदनों में रिपब्लिक का बहुमत होने के बावजूद ट्रंप इस नीति की खामियों के लिए डेमाक्रेटिक पार्टी को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं लेकिन देश के भीतर और बाहर से होने वाले विरोध के चलते वह अमेरिका की इस नीति में परिवर्तन करने के समर्थन में आ गए हैं।
2. भारत ने सूरीनाम को 5.1 करोड़ डॉलर की विकास सहायता दी
• राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद और सूरीनाम के राष्ट्रपति डिजायर डेलानो बुतरसे के बीच दोनों देशों के मध्य आर्थिक और विकास संबंधों को मजबूत बनाने पर सहमति बनी है।
• भारत ने सूरीनाम को 5.1 करोड़ डॉलर की विकास सहायता देने का आश्वासन दिया है। इस 5.1 करोड़ डॉलर की राशि में से 3.1 करोड़ डॉलर बतौर ऋण सुविधा जबकि दो करोड़ डॉलर की राशि सस्ते ऋण के तौर पर दी जाएगी।लातिनी अमेरिकी देश के तीन दिवसीय दौरे पर गये राष्ट्रपति को¨वद ने कहा, भारत सूरीनाम के 49 ग्राम समूहों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने के लक्ष्य से सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगाने के लिए दो करोड़ डॉलर का सस्ता ऋण देगा।
• भारत पिकिनसारोनारिया में बिजली ट्रांसमिशन परियोजना के लिए 2.75 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा देगा जबकि चेतक हेलीकॉप्टरों के रख-रखाव के लिए 35 लाख डॉलर की ऋण सुविधा देगा। राष्ट्रपति को¨वद ने बुतरसे से सूरीनाम के अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का सहमति पत्र भी प्राप्त किया। भारत ने सूचना एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अत्याधुनिक केंद्र स्थापित करने में सूरीनाम की मदद करने पर हामी भरी।
• इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए एक सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किया गया।इसके अलावा दोनों देशों ने चुनाव, राजनयिक अकादमी साझेदारी, राजनयिकों के जीवन साथी के रोजगार और पुरालेखों को लेकर भी सहमतिपत्रों पर हस्ताक्षर किए। सूरीनाम ने भारत से कृषि, खनन, ऊर्जा और लकड़ी के क्षेत्र में निवेश करने को कहा।
3. विदेश व्यापार : भारत ने अमेरिका से आने वाले 29 उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाया
• भारत ने व्यापार में जवाबी कार्रवाई के तहत अमेरिका से मंगाई जाने वाले दाल-दलहन, लौह एवं इस्पात उत्पादों समेत 29 उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया है। भारत ने यह कदम अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने के जवाब में उठाया है।वित्त मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि बढ़े शुल्क चार अगस्त से प्रभावी होंगे। मटर, बंगाल चना और मसूर दाल पर शुल्क 30 फीसद से बढ़ाकर 70 फीसद कर दिया गया है।
• लिंटेल (मसूर) पर शुल्क 30 फीसद से बढ़ाकर 40 फीसद किया गया है।अमेरिका से आने वाले छिले बादाम पर 120 रपए प्रति किलोग्राम तथा छिलका समेत बादाम पर 42 रपए प्रति किलोग्राम की दर से शुल्क लगेगा। छिलका समेत अखरोट पर शुल्क को पहले के 30 फीसद से बढ़ाकर 120 फीसद तथा सफेद सेब पर शुल्क 50 फीसद से बढ़ाकर 75 फीसद कर दिया गया है।
• इनके अलावा शुल्क को बोरिक एसिड पर 17.50 फीसद, फास्फोरिक अम्ल पर 20 फीसद, चिकित्सकीय जांच में प्रयुक्त रीजेंट पर 20 फीसद कर दिया गया है। इनके अलावा चुनिन्दा किस्म के नटों, लोहा एवं इस्पात उत्पादों, सेब, नाशपाती, स्टेनलेस स्टील के चपटे उत्पाद, मिश्रधातु इस्पात, ट्यूब-पाइप फिटिंग, स्क्रू , बोल्ट और रिवेट पर शुल्क बढ़ाया गया है।
• आर्टेमिया पर शुल्क बढ़ाकर 30 फीसद कर दिया गया है। हालांकि, अधिसूचना में 800 सीसी से अधिक क्षमता वाले मोटरसाइकिलों का जिक्र नहीं किया गया है।
• अमेरिका ने चुनिन्दा इस्पात एवं एल्युमीनियम उत्पादों पर बढा दिया था। इससे भारतीय माल पर 24.1 करोड़ डालर का शुल्क बोझ पड़ा है। भारत ने इसी के जवाब में ये शुल्क लगाए हैं।
4. अगले महीने भारत-अमेरिका के बीच पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता
• भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों में कारोबार व अन्य वजहों से तनाव के बीच दोनों देशों के बीच एक अहम वार्ता होने जा रही है। इस अहम यानी ‘टू प्लस टू’ वार्ता शुरू करने पर जून, 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच सहमति बनी थी, लेकिन यह अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। अब भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुआई में यह वार्ता होगी। इसमें अमेरिकी पक्ष की अगुआई वहां के विदेश मंत्री माइकल आर. पोंपियो और रक्षा मंत्री जेम्स एन. मैटिस करेंगे।
• यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण तो होगी ही कि पहली बार भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व दो महिला कैबिनेट मंत्री करेंगी, बल्कि सामरिक व कूटनीतिक क्षेत्र में आपसी हितों को देखते हुए जो लक्ष्य तय किए गए हैं उसकी नए सिरे से समीक्षा की जाए।
• सनद रहे कि मोदी और ट्रंप के बीच मुलाकात में तय हुआ था कि द्विपक्षीय रिश्तों को बहुआयामी बनाने के लिए पुराने तरीके की जगह पर ‘टू प्लस टू’ वार्ता शुरू की जाएगी। इसके पहले राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में भारत के साथ कूटनीतिक व वाणिज्यिक वार्ता होती थी जिसमें दोनों देशों के विदेश, रक्षा, वित्त, वाणिज्य व ऊर्जा मंत्री भी सदस्य होते थे।
• पहले बताया गया था कि दिसंबर, 2017 तक पहली ‘टू प्लस टू’ बातचीत होगी जिसे बाद में बढ़ाकर अप्रैल, 2018 कर दिया गया था। लेकिन अमेरिका में विदेश मंत्री बदले जाने से इसे तीन महीने और बढ़ा दिया गया है। बहरहाल, यह तय है कि मोदी सरकार के इस कार्यकाल में भारत-अमेरिका के बीच यह पहली ‘टू प्लस टू’ वार्ता होगी। विदेश मंत्रलय की तरफ से बताया गया है कि दोनों पक्ष सुरक्षा व रणनीतिक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर आपसी हितों पर चर्चा करेंगे।
• जानकारों का कहना है कि इस वार्ता में रणनीतिक गठजोड़ पर शायद ही कोई नया फैसला लिया जाए। कोशिश यह होगी कि 2015 में दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त स्ट्रेटेजिक विजन के तहत जो कदम उठाए गए हैं उनकी समीक्षा की जाए। तब पहली बार दोनों देशों ने कहा था कि वे एक दूसरे को एशिया प्रशांत महासागर और हिन्द महासागर क्षेत्र में साझेदार मानेंगे। आने वाले समय में सामुद्रिक सहयोग को किस तरह आगे बढ़ाया जाए, यह भी बातचीत का अहम एजेंडा होगा। इसके अलावा रक्षा क्षेत्र में भारत को तकनीकी हस्तांतरण का मुद्दा भी उठेगा।
• 2016 में मोदी-ओबामा शीर्ष वार्ता और उसके बाद मोदी-ट्रंप वार्ता में इस बारे में कई अहम घोषणाएं हुई थीं, लेकिन वास्तविकता में अभी कोई प्रगति नहीं हुई है।
• जो अन्य मुद्दे महत्वपूर्ण होंगे उनमें अमेरिका की तरफ से रूस और ईरान पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध और इन दोनों देशों के साथ भारत के कारोबारी व अन्य रिश्ते शामिल हैं। अमेरिका पहले ही साफ कर चुका है कि अगर भारत इन देशों के साथ अपने कारोबारी व रणनीतिक रिश्ते खत्म नहीं करता है तो उसके लिए भारत को अन्य सहयोग करने में समस्या होगी। #_like_and__shares
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