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=>गूगल मैप हुआ पुराना, अब मेड इन इंडिया 'नाविक' पहुंचाएगा मंजिल तक
- जब भी हम किसी अंजान जगह पर जाते हैं, और रास्ता भटक जाते हैं, तो हमारे जेहन में सबसे पहले ख्याल आता है Google Map का। जिसकी मदद से हम बिना किसी से पूछे अपनी डेस्टिनेशन तक आसानी से पहुंच जाते हैं।
- लेकिन अब आपको अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए Google Map पर डिपेंड नहीं रहना पड़ेगा। बल्कि सिर्फ एक क्लिक पर आप देसी डिजिटल मैप 'नाविक' के सहारे अपनी मंजिल तक का सफर तय कर पाएंगे।
=>ISRO और IT डिपार्टमेंट ने मिलकर किया तैयार
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO)और इंफोर्मेशन टेक्नॉलॉजी(IT) डिपार्टमेंट ने मिलकर भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का काम कर रहे हैं। ये प्रोजेक्ट अपने अंतिम चरण में है। इसे 'नाविक' नाम दिया गया है।
=>क्यों पड़ी नाविक की जरूरत
- चीन ने सुरक्षा कारणों से गूगल पर बैन लगा रखा है। माना जा रहा है कि इंडिया भी सुरक्षा कारणों के लिहाज से ही अपना डिजिटल मैप लेकर आ रहा है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक गूगल और नाविक मैप के इस्तेमाल के तरीके में कोई अंतर नहीं होगा। इसे ना सिर्फ भारत में बल्कि भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
=>2013 में हुई थी शुरुआत
०० इसरो ने नाविक के लिए साल 2013 में पहली बार सैटेलाइट IRNSS-1 अंतरिक्ष में भेजा था। अभी तक 7 सैटेलाइट के जरिए नाविक के लिए जरूरी इन्फोर्मेशन सिस्टम तैयार किया जा चुका है।
०० इसे ज्यादा सही और सटीक बनाने के लिए सैटेलाइट की संख्या 7 से बढ़ाकर 11 करने की योजना है। इस साल के आखिर तक इसके सारे टेस्ट पूरे हो जाएंगे। उम्मीद है कि अगले साल इसे आम आदमी तक उपलब्ध कराया जा सकेगा।
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