Current Affairs
1.सुरक्षा गारंटी के बदले किम ने ट्रंप से किया पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण का वादा
• उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से सुरक्षा गारंटी दिए जाने के बदले में बीती बातों को भुलाने और कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण की ओर काम करने का आज वादा किया। दोनों नेताओं ने यहां ऐतिहासिक वार्ता को खत्म करते हुए एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए।
• कई महीनों की कूटनीतिक उठापटक के बाद दोनों नेताओं ने सेंटोसा द्वीप पर कापेला सिंगापुर होटल में केवल अनुवादकों की मौजूदगी में एक-दूसरे से मुलाकात की और इसके बाद अपने शीर्ष सहायकों के साथ वर्किंग लंच पर मिले।बयान के अनुसार, ट्रंप और किम ने दोनों देशों के बीच नए संबंध बनाने और कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति स्थापित करने से संबंधित मुद्दों पर विस्तारपूर्वक, सघन तथा ईमानदारी से बातचीत की।
• बयान में कहा गया है, राष्ट्रपति ट्रंप डीपीआरके (कोरिया लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य) को सुरक्षा गारंटी देने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा चेयरमैन किम जोंग उन ने कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण की ओर दृढ़ एवं अटल प्रतिबद्धता जताई है। इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों ने युद्ध बंदियों और युद्ध में लापता लोगों के अवशेषों को बरामद करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
• ट्रंप ने वार्ता के अंत में मीडिया की मौजूदगी में किम के साथ दस्तावेज पर हस्ताक्षर करते हुए कहा, हम बेहद वृहद दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर रहे हैं और हमने साथ में अच्छा वक्त बिताया तथा अच्छे संबंध बनाए। अमेरिका के किसी राष्ट्रपति और उत्तर कोरियाई नेता के बीच यह इस तरह की पहली वार्ता रही। परमाणु निरस्त्रीकरण के बारे में एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा, हमने उस प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। किम ने एक अनुवादक की मदद से कहा, हमने बीती बातों को पीछे छोड़ने का फैसला किया है। दुनिया एक बड़ा बदलाव देखेगी।
• अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि आज जो भी हुआ उन्हें उस पर गर्व है और दोनों नेता दुनिया की सबसे खतरनाक समस्या का हल निकालेंगे। ट्रंप (71 वर्ष) ने कहा कि यह वार्ता उम्मीदों से कहीं बेहतर रही और उनका 34 वर्षीय किम के साथ काफी अनोखा रिश्ता बन गया है।
• यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों नेता फिर मिलेंगे, इस पर उन्होंने कहा, हम फिर मिलेंगे, हम कई बार मिलेंगे। उन्होंने कहा कि किम बेहद प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं जो अपने देश को बहुत प्यार करते हैं। ट्रंप ने कहा कि वह निश्चित तौर पर किम को व्हाइट हाउस में आने के लिए आमंत्रित करेंगे।
2. कोरियाई प्रायद्वीप को लेकर भारत बनाएगा वृहद नीति
• सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के बीच हुई ऐतिहासिक बैठक के बाद माना जा रहा है कि अमेरिका की पूर्वी एशिया संबंधी नीति में बड़ा बदलाव आएगा। यह बदलाव परोक्ष तौर पर भारत के हितों को भी काफी प्रभावित करेगा। खास तौर पर भारत आने वाले दिनों में उत्तर कोरिया व दक्षिण कोरिया के एकीकरण की कोशिशों और चीन-अमेरिका रिश्तों में होने वाले बदलाव पर खास तौर पर नजर रखेगा।
• जानकारों का मानना है कि भारत इस बात को लेकर भी सतर्क रहेगा कि प्रशांत महासागर क्षेत्र में मौजूदा सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर अमेरिका भविष्य में क्या नीति अपनाता है। ये सारे मुद्दे भारत के कूटनीतिक व आर्थिक हितों पर गहरा असर डालने वाले साबित हो सकते हैं। यही वजह है कि भारत समूचे कोरियाई प्रायद्वीप के लिए अपनी एक वृहद नीति बना रहा है।
• सूत्रों के मुताबिक, कोरियाई प्रायद्वीप अब एक साथ अमेरिका, चीन व जापान सरीखी विश्व शक्तियों की कूटनीतिक गतिविधियों का केंद्र होगा। ऐसे में भारत को भी अपने हितों को लेकर सतर्क रहना होगा। इस क्षेत्र को लेकर भारत की भावी नीति पर कई तथ्यों का असर होगा। मसलन, उत्तर कोरिया के साथ शांति वार्ता के बाद अमेरिका पूर्वी एशिया को लेकर क्या रणनीति अख्तियार करता है।
• प्रशांत महासागर को लेकर हाल के वर्षो में अमेरिका की आक्रामक कूटनीति में भी बदलाव के कयास लगाए जा रहे हैं। जापान और चीन के साथ अमेरिका की मौजूदा नीति में होने वाले बदलाव भी भारतीय हितों को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगे।1वैसे कोरियाई प्रायद्वीप को लेकर भारत ने अपनी गतिविधियां पहले ही तेज कर दी हैं।
• उत्तर कोरिया के लिए पहली बार विदेश मंत्रलय के एक वरिष्ठ अधिकारी अतुल गोतसुर्वे को राजदूत नियुक्त करना और उसके बाद विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह को प्योंगयांग की यात्र पर भेजना इसी प्रक्रिया का हिस्सा था। इन कदमों से भारत ने समय रहते साफ कर दिया है कि वह उत्तर कोरिया से अपने रिश्तों को लेकर कोई गोपनीयता नहीं बरतेगा।
• सनद रहे कि भारत उत्तर कोरिया के साथ अपने रिश्तों को लेकर मुखर नहीं रहा है, जबकि 1973 के बाद से दोनों देशों के बीच कारोबारी, शैक्षणिक व अन्य रिश्ते रहे हैं। भारत 2016 में चीन के बाद उत्तर कोरिया का दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साङोदार देश था। भारत बड़े पैमाने पर उत्तर कोरिया को खाद्यान्न की आपूर्ति भी करता रहा है।
• जानकार मान रहे हैं कि ट्रंप-किम मुलाकात के बाद कोरियाई प्रायद्वीप में बड़ी तेजी से बदलाव होंगे। दक्षिण कोरिया की भूमिका भी काफी अहम होगी। ऐसे में मून जे-इन की आगामी नई दिल्ली यात्र काफी अहम होगी। मून जे-इन के भारत आने की तैयारी काफी दिनों से चल रही है, लेकिन उत्तर कोरिया के हालात को देखते हुए ही वह लगातार टलती जा रही है।
3. सैन्य अभ्यास से प्रगाढ़ होंगे भारत और नेपाल के संबंध
• भारत-नेपाल सेनाओं का 13वां संयुक्त सैन्य अभ्यास मंगलवार को संपन्न हो गया। दो सप्ताह तक चले इस अभियान के अंतिम दिन दोनों देशों के मेजर जनरल स्तर के अधिकारियों ने अभ्यास में शामिल जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि सूर्य किरण अभ्यास से दोनों देशों के परंपरागत मैत्री संबंध और प्रगाढ़ हो रहे हैं।
• कार्यक्रम की शुरुआत दोनों देशों के जवानों के आकर्षक मार्च पास्ट से हुई। मार्च पास्ट के बाद भारतीय सेना के उत्तर भारत क्षेत्र के चीफ ऑफ स्टॉफ मेजर जनरल नीरज वर्मा ने कहा कि सदियों से भारत और नेपाल के संबंध प्रगाढ़ रहे हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच हर वर्ष होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास इन संबंधों को और मजबूत बना रहा है।
• उन्होंने कहा कि अभ्यास से दोनों देशों के जवानों का अनुभव और तालमेल बेहतर हो रहा है। आतंकवाद और आपदा की समस्या से जूझने का हुनर जवानों ने सीखा।
• नेपाल सेना की ओर से मिड वेस्टर्न डिवीजन के डिवीजनल कमांडर मेजर जनरल राजेंद्र कार्की ने कहा कि संयुक्त सैन्य अभ्यास के अनुभव जवानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस अनुभव का लाभ आतंकी गतिविधियों और आपदा की समस्या से संयुक्त रूप से निपटने में मिलेगा।
4. बैंक बोर्ड में न हों आरबीआइ निदेशक
• भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने बैंकों की निगरानी के लिए आरबीआइ को ज्यादा अधिकार देने की वकालत करते हुए कहा है कि हितों के टकराव से बचने के लिए सरकारी बैंकों के बोर्ड में आरबीआइके नामित सदस्य नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा कि आरबीआइ नामित निदेशकों को ऋण संबंधी निर्णय लेने वाले बोर्ड की प्रबंधन समिति से भी दूर रहना चाहिए।
• सूत्रों के मुताबिक पटेल ने यह बात मंगलवार को वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति की बैठक में कही। कांग्रेस सदस्य वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद रहे। समिति की बैठक में आरबीआइ गवर्नर को बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) और पंजाब नेशनल बैंक सहित कई बैंकों में हाल में सामने आए फ्रॉड के मामलों को लेकर सदस्यों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा।
• सूत्रों के अनुसार सदस्यों ने नोटबंदी के बाद सिस्टम में नकदी में कमी आने के बजाय बढ़ने और नीरव मोदी घोटाले के बारे में भी गवर्नर से सवाल किए। सदस्यों ने पूछा कि नीरव मोदी जब फ्रॉड को अंजाम दे रहा था तब आरबीआइ कहां था।
• सूत्रों के मुताबिक गवर्नर ने इस बारे में कहा कि आरबीआइ के लिए देश की प्रत्येक बैंक शाखा पर नजर रखना संभव नहीं है। हालांकि उन्होंने सदस्यों को आश्वस्त किया कि सिस्टम को मजबूत बनाने के उपाय किए जा रहे हैं।
• सूत्रों के मुताबिक पटेल ने पूर्व में पूछे गए कुछ सवालों के लिखित जवाब भी समिति के समक्ष रखे। पटेल ने इसमें निदेशकों की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि बैंक के बोर्ड में शामिल किसी भी निदेशक की भूमिका यह सुनिश्चित करने की है कि बैंक का प्रबंधन पेशेवर और प्रभावी ढंग से हो। हितों के टकराव से बचने के लिए सरकारी बैंकों के बोर्ड में आरबीआइ की ओर से नामित सदस्य नहीं होना चाहिए। साथ ही आरबीआइ नामित निदेशकों को ऋण संबंधी निर्णय लेने वाले बोर्ड की प्रबंधन समिति से दूर रहना चाहिए। आरबीआइ इस मुद्दे पर वित्त मंत्रलय से विचार विमर्श कर रहा है।
• पटेल ने कहा कि बैंकों में फ्रॉड रोकने की प्राथमिक और सामूहिक जिम्मेदारी उनके बोर्ड की होती है। राष्ट्रीयकृत बैंकों में चेयरमेन के पद को सीईओ और एमडी के पद से अलग करने का फैसला प्रबंधन पर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। पटेल ने नायक समिति की सिफारिशों के क्रियान्वयन की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे राष्ट्रीयकृत बैंकों के बोर्ड की भूमिका में सुधार आएगा।
• पटेल ने कहा कि सरकारी बैंकों पर आरबीआइ का पर्याप्त नियंत्रण नहीं है। उन्होंने इसके लिए आरबीआइ को और शक्तियां देने की वकालत की।1देश में 21 सरकारी बैंक हैं। सरकारी बैंकों को 2017-18 में कुल 87,300 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। सबसे ज्यादा घाटा 12,283 करोड़ रुपये पीएनबी को हुआ है।
• सिर्फ दो बैंकों इंडियन बैंक और विजया बैंक ने ही वित्त वर्ष 2017-18 में लाभ अर्जित किया है। वहीं दिसंबर 2017 के
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