Wednesday 13 June 2018

जैव ईंधन--

जैव ईंधन--

फसलों, पेडों, पौधों, गोबर , मानव-मल आदि जैविक वस्तुओं (बायोमास ) में निहित उर्जा को
जैव ऊर्जा कहते हैं। इनका प्रयोग करके उष्मा, विद्युत या गतिज ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है। धरातल पर विद्यमान सम्पूर्ण वनस्पति और जन्तु पदार्थ को 'बायोमास' कहते हैं।
जैव ईंधन का प्रयोग सरल है। यह प्राकृतिक तौर से नष्ट होने वाला तथा सल्फर तथा गंध से पूर्णतया मुक्त है।
पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा सौर उर्जा को जैव ऊर्जा में बदलते हैं। यह जैव ऊर्जा, विभिन्न प्रक्रियायों से गुज़रते हुए विविध ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन करती है। उदाहरण के लिए पशुओं को चारा, जिसके बदले हमें गोबर प्राप्त होता है, कृषि अवशेष के द्वारा खाना पकाना आदि। यद्यपि कोयला एवं पेट्रोलियम भी पेड-पौधों के परिवर्तित रूप हैं, किन्तु इन्हे जैव-ऊर्जा के स्रोत की तरह नहीं माना जाता है क्योंकि ये प्रक्रिया हजारों वर्ष पहले हुई होगी।
जैव ऊर्जा के उपयोग
जैव ईंधन ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जिसका देश के कुल ईंधन उपयोग में एक-तिहाई का योगदान है और ग्रामीण परिवारों में इसकी खपत लगभग 90 प्रतिशत है। जैव ईंधन का व्यापक उपयोग खाना बनाने और उष्णता प्राप्त करने में किया जाता है। उपयोग किये जाने वाले जैव ईंधन में शामिल है- कृषि अवशेष, लकड़ी, कोयला और सूखे गोबर।
भारत में जैव ईंधन की वर्त्तमान उपलब्धता लगभग 120-150 मिलियन मीट्रिक टन प्रतिवर्ष है जो कृषि और वानिकी अवशेषों से उत्पादित है और जिसकी ऊर्जा संभाव्यता 16,000 मेगा वाट है।🇮🇳

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