भारत में जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र
जैवमण्डल सरंक्षित क्षेत्र क्या हैं?
‘जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र’ विशेष प्राकृतिक भाग हैं, जो स्थलीय अथवा समुद्री या तटीय या संयुक्त पारिस्थितकी तंत्रों से मिलकर बन होते हैं, जो जैवविविधता के संरक्षण को बढ़ावा देते हैं और विकास और प्राकृतिक संरक्षण के मध्य संघर्ष को न्यूनतम करता है।
‘जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र’ वास्तव में एक अंतर्राष्ट्रीय विचारधारा है। इसे सर्वप्रथम यूनेस्को की अंतर्राष्ट्रीय समन्वय परिषद (आई.सी.सी.) द्वारा नवम्बर 1957 में पेश किया गया था।
जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र के लिए मानक
स्थल को अवश्यत: संरक्षित और महत्वपूर्ण प्राकृतिक संरक्षण का न्यूनतम अशांत कोर क्षेत्र होना चाहिए।
कोर क्षेत्र को पारिस्थितिकी तंत्र के सभी पोषक स्तरों का प्रतिनिधित्व करने वाली जीवित प्राणियों के संघर्षशील बने रहने के लिए पर्याप्त बड़ा होना चाहिए।
प्रबंधन प्राधिकरणों को स्थानीय समुदाय के साथ संघर्ष को संभालने और बने रहने के दौरान जैवविविधता संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास से जुड़ने के लिए स्थानीय समुदाय के ज्ञान और अनुभव के लाभ को सुनिश्चित करना होगा।
पर्यावरण के सद्भावपूर्ण प्रयोग के लिए पारंपरिक जनजातियों और ग्रामीण जीवन शैली का संरक्षण महत्वपूर्ण है।
जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र की संरचना
जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र को निम्नलिखित तीन क्षेत्र में विभाजित करते हैं।
कोर क्षेत्र
यह क्षेत्र जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र का सबसे अहम भाग है।
कोर में कई प्रकार के स्थानीय पौधों और जानवरों की सबसे अधिक विविधता पायी जाती है।
अधिकांशत: कोर वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के अंतर्गत राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारण्यों की भांति कानूनी रूप से संरक्षित क्षेत्र होते हैं।
पारिस्थितिकी विविधता और वन्यजीव को प्रभावित किए बिना कुछ सीमा तक प्रबंधन और अनुसंधान क्रियाकलापों की अनुमति होती है।
कोर क्षेत्र में चरना, मानव अधिवास जैसे क्रियाकलापों की जगह नहीं है। अत: यह मानव अतिक्रमण से सदैव मुक्त रहता है।
💐बफ़र क्षेत्र 💐
बफ़र क्षेत्र कोर क्षेत्र को चारों तरफ से घेरे होता है। यह कोर भाग के लिए कंबल के समान कार्य करता है।
बफ़र क्षेत्र में, पारिस्थितिकीय विविधता को प्रभावित किए बिना सख्त नियमों के अंतर्गत कुछ क्रियाकलापों जैसे चरना, मछली मारना, अनुसंधान, पर्यटन की अनुमति होती है।
संक्रमण क्षेत्र
यह क्षेत्र जैवमण्डल क्षेत्र का सबसे बाहरी भाग होता है।
इस क्षेत्र में जानवरों और पौधों की न्यूनतम विविधता पायी जाती है।
यह मानव-प्रकृति सहउपस्थिति’ का उदाहरण है।
इस क्षेत्र में मानव अधिवास, कृषि और वन इत्यादि होते हैं।
जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र के कार्य
जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र के तीन मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
संरक्षण
प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के अंदर पौधों और जानवरों की विविधता और एकता का संरक्षण करना।
विकास
स्थानीय समुदाय के सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का धारणीय प्रयोग
आपूर्ति मदद (लॉजिस्टिक)
बहुक्षेत्रीय अनुसंधान और निगरानी के लिए जगह और सुविधाऐं प्रदान करना
भारत में जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्रों की सूची
वर्तमान में भारत में कुल 18 ज्ञात जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र हैं।
भारत में जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्रों की सूची, निम्न दी गई है।
नीलगिरी जैवमण्डल क्षेत्र
यह 1986 में घोषित भारत का प्रथम जैवमण्डल क्षेत्र है।
यह तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल राज्यों में फैला हुआ है।
नंदा देवी
यह उत्तराखण्ड में स्थित है।
नोकरेक
यह जैवमण्डल क्षेत्र मेघालय राज्य की गारो पहाड़ियों में स्थित है।
ग्रेट निकोबार
यह भारत में एकमात्र जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र है जो पूर्ण संघ-शासित प्रदेश अण्डमान और निकोबार में स्थित है।
मन्नार की खाड़ी
यह तमिलनाडु राज्य में भारत और श्रीलंका के मध्य मन्नार की खाड़ी के भारतीय हिस्से में स्थित है।
मानस
यह असम के कोरराझार, बरपेटा, नालबरी जिलों के हिस्सों में फैला हुआ है।
सुंदरबन
यह पश्चिम बंगाल राज्य में गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के डेल्टा में स्थित है।
शिमलीपाल
यह ओड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित है।
डिब्रु-साइखोवा
यह असम के दिब्रुगढ़ और तीनसुखिया जिले में फैला है।
देहांग-डिबांग
यह अरुणाचल प्रदेश राज्य में सियांग और दिबांग घाटी के हिस्सों में फैला है।
पंचमढ़ी
यह मध्य प्रदेश राज्य में भारत के मध्य में स्थित है।
कंचनजंझा
यह सिक्किम राज्य का भाग है और यह यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची में एकमात्र मिश्रित विरासत स्थल है।
अगस्तयमलाई
यह केरल के पूर्वी भाग में फैला है।
नय्यर, पेपारा और शेनडुरने वन्यजीव अभ्यारण्य इस जीवमण्डल के भाग हैं।
अचानकामर- अमरकंटक
यह मध्य प्रदेश के डिंडोरी, अनुपुर जिले और छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में फैला है।
कच्छ
यह गुजरात के मरुस्थलीय क्षेत्र में स्थित है।
शीत मरुरस्थल
यह हिमाचल प्रदेश राज्य में फैला है। पिन घाटी राष्ट्रीय उद्यान, चंद्रताल और सरचू एवं किब्बर वन्यजीव अभ्यारण्य इस जैवमण्डल क्षेत्र के भाग हैं।
सेशचलाम पहाड़ियां
यह आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है।
पन्ना
यह 2011 में जोड़ा गया सबसे नवीन जैवमण्डल क्षेत्र है।
यह मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।
भारत के इन 18 जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्रों में से 10 जैवमण्डल क्षेत्र को यूनेस्को के मैन एण्ड बायोस्फीयर कार्यक्रम के विश्व जैवमण्डल सरंक्षित क्षेत्र नेटवर्क के तहत अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हैं।
मैन एण्ड बायोस्फ़ीयर (MAB) कार्यक्रम
MAB कार्यक्रम की शुरुआत 1971 में हुई थी।
यह एक अंतर-सरकारी वैज्ञानिक कार्यक्रम है जिसका लक्ष्य प्रकृति और मानव के मध्य संबंध सुधारने के लिए एक वैज्ञानिक आधार तैयार करना है।
विश्व के जैवमण्डल नेटवर्क में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय सरकार द्वारा जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र का नाम दिया जाता है।
इसके बाद एम.ए.बी. (MAB) कार्यक्रम समिति मानक पूरा करने वाले जैवमण्डलों की पहचान करती है।
अभी मैन एण्ड बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम के विश्व के जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क (WNBR) में 120 देशों के 669 स्थल हैं।
इनमें से 10 जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्र भारत से हैं।
मैन एण्ड बायोस्फीयर (MAB) कार्यक्रम में जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्रों की सूची
नीलगिरी बायोस्फीयर- 2000 में भारत की ओर से सूची में सबसे प्रथम प्रवेश
मन्नार की खाड़ी
सुंदरबन
नंदा देवी
नोकरेक
शिमलीपाल
पंचमढ़ी
अचानकामर- अमरकंटक
ग्रेट निकोबार
अगस्तयमलाई- 2016 में भारत की ओर से सूची में नवीन प्रवेश
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