Friday, 1 June 2018

दैनिक समसामयिकी

*दैनिक समसामयिकी*

*01 June 2018(Friday)*

1.मोदी-महातिर में संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा
• प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को मलयेशिया के नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर सकारात्मक चर्चा  हुई। तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में बृहस्पतिवार को मलयेशिया पहुंचे मोदी ने पुत्राज्या के पेरदाना पुत्र कॉम्प्लेक्स स्थित महातिर के कार्यालय मे उनसे भेंट की।
• प्रधानमंत्री मोदी ने मलय और अंग्रेजी दोनो भाषाओं में ट्वीट किया है, तुन डॉक्टर महातिर मोहम्मद से मिलकर खुशी हुई। गर्मजोशी से स्वागत के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं। भारत-मलयेशिया संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए हमनें सकारात्मक र्चचा की।
• दोनों नेताओं ने भारत-मलयेशिया के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढावा देने के तरीकों पर भी चर्चा की।
• मलयेशिया के प्रधानमंत्री के रूप में 92 वर्षीय महातिर मोहम्मद ने 10 मई को शपथ ली थी। महातिर के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन ने हाल ही में संपन्न आम चुनावों में बारिसन नेशनल (बीएन) गठबंधन पर अभूतपूर्व जीत हासिल की जो मलेशिया में 1957 से सत्ता में था।
• दोनों नेताओ क बीच यह पहली मुलाकात थी। मोदी पिछली बार 2015 में मलेशिया आये थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पहले ट्वीट किया था कि दोनों नेताओं ने आपसी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने को लेकर सकारात्मक र्चचा की। प्रधानमंत्री ने डॉक्टर महातिर को मलयेशिया का प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी।
• प्रधानमंत्री ने देश की उपप्रधानमंत्री डॉक्टर वान अजीजा वान इस्माईल और उनके पति अनवर इब्राहीम से मुलाकात की। कुमार ने ट्वीट किया है, उपप्रधानमंत्री डॉक्टर वान अजीजा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के क्वालालंपुर में रूकने के दौरान उनसे मुलाकात की। हमारे संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने के लिए सकारात्मक चर्चा हुई

2. भारत और आसियान के बीच का पुल है सिंगापुर : मोदी
• तीन देशों की यात्रा  के आखिरी चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर पहुंच गए हैं। गुरुवार को यहां पर प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सिंगापुर के साथ हमारे संबंध गर्मजोशी से भरे हैं। हमने जब अपना दरवाजा दुनिया के लिए खोला और पूर्व का रुख किया, तो सिंगापुर भारत और आसियान के बीच एक पुल बन गया।
• मोदी ने कहा कि हमारे राजनीतिक संबंधों में कोई दरार नहीं या संदेह नहीं है। दोनों देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर एक आवाज में बात करते हैं। सिंगापुर के जहाज अक्सर हमारे यहां रुकते हैं। दो शेर (भारत और सिंगापुर) साथ मिलकर भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। हमारे रक्षा संबंध बेहद मजबूत हैं और दोनों देश समय के साथ कदम मिलाकर चल रहे हैं।
• आर्थिक सुधारों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था अब स्थिर हो गई है। आर्थिक सुधारों को तेजी से लागू किया जा रहा है। एक नए भारत का निर्माण हो रहा है।
• प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने 42 क्षेत्रों में कारोबार आसान कर दिया है। इसके अलावा 1,400 पुराने कानूनों को समाप्त कर दिया गया है। रिकॉर्ड गति से आधारभूत ढांचे का विकास हो रहा है और पूरे देश में रेल और सड़क नेटवर्क बिछाए जा रहे हैं।
• तीन भारतीय पेमेंट एप लांच : मोदी ने सिंगापुर में डिजिटल पेमेंट के तीन भारतीय एप लांच किए। इनमें भीम, रूपे और एसबीआइ एप शामिल हैं। इसका मकसद भारतीय डिजिटल पेमेंट सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाना है।
• रूपे पेमेंट सिस्टम को सिंगापुर के 33 साल पुराने नेटवर्क फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर से जोड़ा गया है।
• प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली एच लूंग के साथ बातचीत करेंगे और राष्ट्रपति हलीमा याकूब से शिष्टाचार भेंट करेंगे।

3. अमेरिका ने अपनी सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सैन्य कमान पैसिफिक कमान का नाम बदलकर इंडो-पैसिफिक कमान किया
• अमेरिका ने अपनी सबसे पुरानी और सबसे बड़ी सैन्य कमान पैसिफिक कमान का नाम बदलकर इंडो-पैसिफिक कमान कर दिया है। अमेरिका के लिए भारत के बढ़ते महत्व को दर्शाने वाला यह सांकेतिक कदम है। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच नाम बदलने का कदम उठाया है।
• अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने गुरुवार को कहा कि हंिदू और प्रशांत महासागर में बढ़ते कनेक्टिविटी को देखते हुए हम यूएस पैसिफिक कमान का नाम यूएस इंडो-पैसिफिक कमान रख रहे हैं। यह हमारी मुख्य लड़ाकू कमान है जिसके तहत करीब आधी दुनिया आती है। इसमें भिन्न-भिन्न आबादी शामिल हैं। यह हॉलीवुड से बॉलीवुड और ध्रुवीय भालू से लेकर पेंग्विन तक फैला है।
• उन्होंने कहा कि प्रशांत और हिन्द  महासागर के साङोदारों के साथ हमारे संबंध क्षेत्रीय स्थिरता कायम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
• मैटिस हवाई स्थित पैसिफिक कमान मुख्यालय में कमान नेतृत्व परिवर्तन के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। एडमिरल फिल डेविडसन ने एडमिरल हैरी हैरिस से कमान का दायित्व संभाला। हैरिस को दक्षिण कोरिया में अमेरिकी राजदूत बनाया गया है। भारत समेत प्रशांत क्षेत्र में निगरानी के लिए पैसिफिक कमान में 375,000 सैन्य और असैन्य कर्मी शामिल हैं।
• दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूएस पैसिफिक कमान या पैकोम का गठन किया गया था। कमान के नाम में बदलाव भारत के बढ़ते सैन्य महत्व को दर्शाता है। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। जबकि अमेरिका क्षेत्र में चीन पर नियंत्रण लगाने का प्रयास कर रहा है। 2016 में अमेरिका और भारत ने मरम्मत और सामान आपूर्ति के लिए एक दूसरे के अड्डों के इस्तेमाल का समझौता कर अपने सैन्य संबंधों को मजबूत किया था।

4. सबसे बड़े समुद्री सैन्य अभ्यास में भारत समेत 26 देश लेंगे भाग
• अमेरिका की अगुआई में होने वाले सबसे बड़े समुद्री सैन्य अभ्यास रिमपैक में भारत समेत दुनिया के 26 देश हिस्सा लेंगे। यह सैन्य अभ्यास प्रशांत महासागर में अमेरिका के हवाई द्वीप और दक्षिणी कैलिफोर्निया के आसपास 27 जून से दो अगस्त तक चलेगा। इसके लिए पहले अमेरिका ने चीन को भी न्योता दिया था, लेकिन दक्षिण चीन सागर में उसके रवैये के कारण बाद में उसे सैन्य अभ्यास से बाहर कर दिया गया। अमेरिका के इस कदम को चीन ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया था।
• अमेरिकी रक्षा मंत्रलय पेंटागन ने गुरुवार को कहा, रिमपैक में इस साल ब्राजील, इजरायल, श्रीलंका और वियतनाम पहली बार हिस्सा लेंगे। इस बार की थीम सक्षमता, अनुकूलता और साझेदारी  है।
• इन देशों के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, कनाडा, चिली, कोलंबिया, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, मलेशिया, मेक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पेरू, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, टोंगा और ब्रिटेन भी भाग लेंगे।
• 25 हजार सैनिक होंगे शामिल : इस साल होने वाले रिमपैक में 47 युद्धपोत, पांच पनडुब्बी और 200 से ज्यादा विमान हिस्सा लेंगे। इसके अलावा इस युद्ध अभ्यास में विभिन्न देशों के 25 हजार सैनिक भी शिरकत करेंगे।
• सैन्य अभ्यास की खासियत : करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले इस अभ्यास में लंबी दूरी तक मार करने वाली पोत रोधी मिसाइल (एलआरएएसएम), सतह से पोत पर मार करने वाली मिसाइल और नेवल स्ट्राइक मिसाइल (एनएसएम) भी दागी जाएगी। इस साल लाइव फायरिंग में पहली बार थल इकाइयां भी शामिल होंगी।
• प्रशांत महासागर में 27 जून से दो अगस्त तक चलेगा रिमपैक14>>चीन के रवैये को देखते हुए अमेरिका ने उसे अभ्यास से किया था बाहर
• 1971 में शुरू हुआ था रिमपैक
• रिम ऑफ द पैसिफिक एक्सरसाइज (रिमपैक) हर दो साल में गर्मी में होता है।
• यह दुनिया का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है। अमेरिका ने 1971 में इसकी शुरुआत की थी।

5. पाक में ब्रिटिश युग की 150 साल पुरानी व्यवस्था खत्म : कबाइली इलाकों का खैबर पख्तूनख्वा में समावेश
• पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने बृहस्पतिवार को एक महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए जिससे अफगानिस्तान की सीमा से लगते अशांत कबाइली इलाकों का विलय उत्तर-पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में हो गया और इसके साथ ही ब्रिटिश युग की 150 साल पुरानी व्यवस्था का अंत हो गया।
• विधेयक को राष्ट्रपति के पास औपचारिक मंजूरी के लिए भेजे जाने से पहले नेशनल असेंबली, सीनेट और खैबर पख्तूनख्वा की विधानसभा ने पारित कर दिया था। जियो टीवी के अनुसार विधेयक पर हस्ताक्षर के बाद राष्ट्रपति ने संघ शासित कबाइली इलाकों (फाटा) और खैबर पख्तूनख्वा के लोगों को बधाई दी।
•  विधेयक में पाकिस्तानी संघ के क्षेत्र को परिभाषित करने वाले अनुच्छेद -1 सहित संविधान के कई अनुच्छेदों में संशोधन किया गया है। नेशनल असेंबली में विधेयक को पारित कराने के लिए आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा, इससे कबाइली इलाकों में 150 साल पुरानी व्यवस्था बदल जाएगी।
• ब्रिटिश शासन ने अफगानिस्तान से सीधे संघर्ष से बचने के लिए बफर जोन के रूप में अर्ध-स्वायत्त कबाइली इलाके की स्थापना की थी। इसमें सात जिले बाजौर, खैबर, कुर्रम, मोहमंद, उत्तरी वजीरिस्तान, ओरकजई और दक्षिणी वजीरिस्तान शामिल हैं। यह इलाका अफगानिस्तान की सीमा से लगता है और यह अमेरिका में 9/11 हमलों के बाद अमेरिकी बलों की कार्रवाई के चलते अफगानिस्तान से भागे आतंकवादियों की मौजूदगी के कारण दुनियाभर में जाना जाने लगा था।
• इन सात जिलों में लगभग 80 लाख लोग रहते हैं जिनमें अधिकतर पश्तून हैं। पाकिस्तानी बलों ने क्षेत्र को आतंकियों से मुक्त कराने के लिए कई बार सैन्य कार्रवाई की है।

6. आर्थिक वृद्धि दर 6.7 फीसद पर लुढ़की
• वर्ष 2017-18 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घटकर सिर्फ 6.7 फीसद पर सिमट गई जबकि वर्ष 2016-17 में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फीसद थी। हालांकि वर्ष 2017-18 की अंतिम तिमाही में वृद्धि दर ने कुछ रफ्तार पकड़ी और यह साल की चौथी तिमाही में 7.7 फीसद तक पहुंच गई।
• केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार हालांकि वर्ष 2017-18 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.7% रह गई जो कि 2016-17 में 7.1% रही थी लेकिन विनिर्माण, निर्माण व सेवा क्षेत्र के शानदार प्रदर्शन की बदौलत जनवरी-मार्च 2018 में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.7% रही जो कि सात तिमाहियों में सबसे ऊंची है।
• आंकड़ों के अनुसार 2011-12 के मूल्यों के आधार पर 2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.7% रही। यह दर 2017-18 की पहली तीन तिमाहियों में क्रमश : 5.6%, 6.3% तथा 7% थी।
• सरकार के लिए अच्छी खबर यह रही कि वह वर्ष 2017-18 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने में सफल रही है। इस दौरान यह घाटा जीडीपी का 3.53 फीसद रहा।
• वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रहने से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और तेज गति से बढ़ने को तैयार है।

7. प्रति व्यक्ति आय में इजाफा
• देश की प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2017-18 में 8.6 फीसद बढ़कर 1,12,835 रूपये  पर पहुंच गई। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की रफ्तार पिछले साल के मुकाबले कुछ धीमी रही। इससे पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय उससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 10.3 फीसद बढ़कर 1,03,870 रूपये पर पहुंची थी।
• सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी वार्षिक आय के अनंतिम आंकड़ों के मुताबिक ‘‘वर्ष 2017-18 में वर्तमान मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 1,12,835 रूपये पर पहुंचने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े 1,03,870 रूपये की तुलना में यह 8.6 फीसद की वृद्धि दर्शाती है।’
• प्रति व्यक्ति आय को देश में समृद्धि का प्राथमिक संकेतक माना जाता है। आधार वर्ष 2011-12 के स्थिर मूल्यों की यदि बात की जाए तो वास्तविक आधार पर वर्ष 2017-18 में प्रति व्यक्ति आय 5.4 फीसद बढ़कर 86,668 रूपये रही जो वर्ष 2016-17 में 82,229 रूपये पर थी।
• आंकड़ों के अनुसार, ‘‘वर्ष 2017-18 प्रति व्यक्ति आय वृद्धि 5.4 फीसद रहने का अनुमान है जो कि इससे पिछले वर्ष में 5.7 फीसद रही थी।’ आंकड़ों के अनुसार वर्तमान कीमत पर 2017-18 में देश की सकल राष्ट्रीय आय 10 फीसद बढ़कर 165.87 लाख रूपये पर पहुंच गई।

8. कर सुधारों से बढ़ेगा राजस्व का आधार
• कर सुधारों से भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में राजस्व आधार बढ़ेगा। इसके साथ ही यदि राजस्व घाटा कम होता है और खर्च का दक्ष प्रबंधन किया जाता है, तो यह अधिक प्रभावी होगा।
• मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने यह बात कही। मूडीज ने बयान में कहा कि ज्यादातर देशों ने विशेषरूप से कई एजेंसियों के केंद्रीयकरण और प्रौद्योगिकी के अधिक इस्तेमाल के जरिये कर प्रशासन और अनुपालन सुधारों पर ध्यान दिया है।
• बयान में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि कर प्रशासन और अनुपालन फिलिपींस, भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड में अधिक प्रभावी है।’ मूडीज ने कहा कि कर सुधारों से तेजी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में राजस्व आधार बढ़ेगा।
• इन देशों में फिलिपींस, भारत, इंडोनेशिया और थाईलैंड शामिल हैं। मूडीज के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ क्रेडिट अधिकारी विलियम फॉस्टर ने कहा, ‘‘कई देशों के लिए कर आधार बढ़ाने से राजकोषीय स्थिति तब तक मजबूत नहीं होगी जब तक कि कर प्रशासन को सुधारा न जाए और खर्च वृद्धि का प्रभावी तरीके से प्रबंधन किया जाए।’

9. शहरी गरीबों के लिए 1.5 लाख किफायती मकानों को मंजूरी
• आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत शहरी गरीबों के हित के लिए 1.5 लाख और किफायती मकानों के निर्माण को मंजूरी दी है। इन मकानों पर 2209 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता सहित कुल 7227 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस मंजूरी के साथ ही अब तक मंजूर किये गये मकानों की संख्या 47,52,751 हो गई है।
• केन्द्रीय मंजूरी एवं निगरानी समिति की 34वीं बैठक में विभिन्न राज्यों के लिये 1.5 लाख किफायती आवासों के निर्माण को मंजूरी दी गई। आवास मंत्रालय के अनुसार आंध्र प्रदेश के लिए 848 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता से 3184 करोड़ रु पये के निवेश के साथ 22 शहरों एवं कस्बों में 56512 मकानों को मंजूरी दी गई है।
• उत्तर प्रदेश के लिए 346 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता से 870 करोड़ रु पये के निवेश के साथ 110 शहरों एवं कस्बों में 23060 मकानों को स्वीकृति दी गई है। इसी तरह मध्य प्रदेश के लिए 730 करोड़ रु पये के निवेश एवं 269 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता के साथ 32 शहरों में 17920 मकानों को मंजूरी दी गई है।
•  झारखंड के लिए 209 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता से 1075 करोड़ रु पये के निवेश के साथ 26 शहरों एवं कस्बों में 14526 मकानों को मंजूरी दी गई है। इसी तरह महाराष्ट्र के लिए 201 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता से 643 करोड़ रु पये के निवेश के साथ 15 शहरों एवं कस्बों में 13506 मकानों को स्वीकृति दी गई है।
• छत्तीसगढ़ को 234 करोड़ रु पये के निवेश एवं 114 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता के साथ 61 शहरों एवं कस्बों में 7615 मकान मिले हैं। राजस्थान के लिए 285 करोड़ रु पये के निवेश एवं 99 करोड़ रु पये की केन्द्रीय सहायता के साथ 30 शहरों में 6756 किफायती मकानों को मंजूरी दी गई है।

10. ग्लोबल वार्मिग का नकारात्मक असर सबसे ज्यादा पड़ेगा गरीब देशों पर
• वर्तमान में ग्लोबल वार्मिग वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसका असर दुनिया के हर कोने में देखा जा रहा है। कहीं अत्याधिक गर्मी पड़ रही है तो कहीं सामान्य से बहुत अधिक वर्षा हो रही है। यदि धरती की सतह का वैश्विक औसत तापमान बढ़ता है तो सबसे ज्यादा प्रभावित दुनिया के गरीब देश होंगे।
• यह बात एक अध्ययन में सामने आई है। बता दें कि पेरिस समझौते में यह सीमा 1.5 डिग्री या दो डिग्री सेल्सियस तक तय की गई है। यदि तापमान में इतनी वृद्धि होती है तो भी इसका असर गरीब देशों पर देखने को मिलेगा।
• जियोफिजिकल रिसर्च लैटर्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में जलवायु परिवर्तन के अमीर और गरीब देशों पर पड़ने वाले प्रभाव की तुलना की गई है। ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न के एंड्रयू किंग के मुताबिक, यह परिणाम ग्लोबल वार्मिग के साथ आने वाली असमानताओं का उदाहरण है।
• वह आगे कहते हैं, हैरत की बात यह है कि तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने पर सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले अमीर देशों पर इसका सबसे कम असर होगा। गरीब देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, जिनकी ग्लोबल वार्मिग में सबसे कम भूमिका है।
• ब्रिटेन सबसे कम प्रभावित : शोधकर्ताओं के मुताबिक, सबसे कम प्रभावित वे देश होंगे जहां तापमान न तो ज्यादा गर्म होता है और न ठंडा (टेंपरेट क्षेत्र)। इनमें सबसे आगे ब्रिटेन है। इसके विपरीत भूमध्यवर्ती क्षेत्र के देश जैसे कांगो ग्लोबल वार्मिंग से सर्वाधिक प्रभावित होंगे।
• उष्णकटिबंधीय क्षेत्र से बाहर के इलाकों में वामिर्ंग के प्रभाव का उतना पता नहीं चलेगा। हालांकि भूमध्यवर्ती इलाके, जहां पहले से औसत तापमान काफी अधिक होता है और सालभर तापमान में ज्यादा बदलाव नहीं होता वहां पर जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में थोड़ा भी बदलाव होने पर एकदम से महसूस होगा और इसका तत्काल प्रभाव भी पता चलेगा। टेंपरेट क्षेत्रों में आने वाले ज्यादातर राष्ट्र अमीर हैं और गरीब राष्ट्र उष्णकटिबंध क्षेत्र में आते हैं।

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