Thursday 21 June 2018

कश्मीर का इतिहास ई-पूर्व से अब तक

(((#कश्मीर का इतिहास ई-पूर्व से अब तक)))
कश्मीर में सबसे पहले मौर्यकाल हुआ करता था, इसके बाद कुषाण शासक का शासन हुआ जो बौद्ध धर्म से संबंधित था कुषाण के समय से ही कश्मीर में बुद्धिज़्म का बहुत तेजी से प्रचार हुआ और बौद्ध धर्म तेजी से फैला!
बौद्ध धर्म का बढ़ावा मिला बौद्ध स्तूप बनाए गए चौथी 4th शताब्दी में Buddhism councill बनाया गया!
इसके बाद कनिष्ठ शासन का आरंभ हुआ 5th शताब्दी से 14th शताब्दी तक अलग-अलग Hindu Dynastic रहा! इन्हीं में से एक हिंदू शासक ने एक प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण करवाया जिसका नाम #मार्तंड_सूर्य_मंदिर रखा गया जो अब तक पूरे विश्व में जानी जाती है,

फिर 14 से 16 शताब्दी के बीच इस्लाम धर्म का प्रचार हुआ कई कश्मीरी बौद्ध और हिंदू इस्लाम धर्म को कबूल किया और यहां पर 200 वर्ष तक इस्लामिक शासन रहा जो सल्तनत कश्मीर के नाम से जाना गया,
इसके बाद 1586 से मुगलों का शासन हुआ जो अकबर के नेतृत्व में हुआ,
इसके बाद अफगान शासक मोहम्मद शाह के नेतृत्व में दुर्रानी शासन का आरंभ हुआ जो 1751 से शुरू होकर 1819 तक चला,
1819 से कश्मीर पर सिखों शासन हुआ लेकिन कुछ ही साल बाद अंग्रेजों ने फर्स्ट first Anglo Sikhwar के युद्ध में #महाराणा_रणजीत_सिंह को शिकस्त दे दिया फिर कश्मीर अपने कब्जे में लेकर 1846 ईसवी में ब्रिटिश ने #डोगरा_घराने के एक सिख परिवार को इस पर शासन करने के लिए बैठा दिया जो कश्मीर के ही रहने वाला था,शासन करने का तोहफा इसलिए मिला क्योंकि यह अंग्रेजो को काफी मदद किए थे जिनका नाम #गुलाब_सिंह था जिन्होंने आजादी के समय तक कश्मीर पर शासन किया,
आजादी के समय #महाराज_हरि_सिंह का कश्मीर पर शासन हुआ करता था, इस बीच देश की आजादी हुई देश दो हिस्सों में बट गया एक तरफ पाकिस्तान दूसरी तरफ हिंदुस्तान पाकिस्तान #Two_nation_theory के अंतर्गत अपने देश का निर्माण किया जिसे इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया जहां पर मुसलमानों की संख्या 95% रहा वही भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का निर्माण किया जहां पर हिंदू बहुल देश होने के बावजूद सभी धर्मों को समान अवसर देने की व्यवस्था की,
कश्मीर में 75% मुसलमानों की जनसंख्या होने के कारण पाकिस्तान कश्मीर को अपनी तरफ #टू_नेशन_थ्योरी के अंतर्गत मिलाना चाह रहा था लेकिन राजा #हरि_सिंह ने पाकिस्तान के साथ अपने राज्य को विलय करने से साफ इनकार कर दिया और उन्होंने फैसला किया कि यह एक अलग राष्ट्र होगा जो किसी भी देश के साथ युद्ध नहीं करेगा एक न्यूटरल देश बन कर रहेगा एशिया का एक Neutral country होगा जैसे सिंगापुर है,

इस दौरान कश्मीर में एक नया राजनीतिक संगठन पैदा हुआ जिसका नेतृत्व #शेख_अब्दुल्ला कर रहे थे जो आगे चलकर #नेशनल_कांफ्रेंस_पार्टी के नाम से जाना गया इनकी मांग थी कश्मीर से राजा को हटाना या राजा के शक्ति को कम करना और ज्यादातर शक्ति संसद के पास हो जैसे कि इंग्लैंड में होता है,
पाकिस्तान और कश्मीर के मुसलमानों की दबाव के चलते कश्मीर के राजा हरि सिंह ने पाकिस्तान के साथ एक समझौता किया जिसे #स्टैंड_स्टिल_एग्रीमेंट के नाम से जाना गया इसके अंतर्गत पाकिस्तान के साथ व्यापार कम्युनिकेशन और रोड बॉर्डर बिल्कुल खुला रहेंगे जैसे की पहले था यानी के यथावत स्थिति बनी रहेगी जैसे समझौता यह एक आर्थिक साझेदारी था,
ऐसे ही स्तिथि महाराजा हरि सिंह भारत के साथ भी बनाना चाहते थे जिसका पाकिस्तान पुरजोर विरोध किया और इसके बाद कुछ घटनाएं हुई फिर युद्ध छीड गई,
युद्ध छेड़ने का कारण था जम्मू में सिख बहुल इलाका जहां पर मुसलमानों के साथ अत्याचार कुछ प्रशासन के द्वारा सरकार का विरोध,
पाकिस्तान ईसका फायदा उठाकर कश्मीर पर हमला कर दिया इसके जवाब में महाराजा हरि सिंह भारत से मदद मांगी भारत सरकार ने कुछ शर्तों के साथ 26 अक्टूबर 1947 को मदद के लिए तैयार हो गई!
शर्त था कि कश्मीर भारत के साथ विलय होगा इसी के अंतर्गत कश्मीर के राजा भारत के #इंस्ट्रूमेंट_ऑफ_एशियन पर 26 अक्टूबर 1947 को साइन कर दिए जिसे पाकिस्तान ने साफ इंकार कर दिया और इसका विरोध किया,
पाकिस्तान का कहना था यह जनता की राय नहीं है, इसके बाद नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष शेख अब्दुल्लाह ने युद्ध समाप्ति के बाद जनता से राय लेने की बात कही,
इसके बाद टेंपरेरी सरकार के अध्यक्ष शेख अब्दुल्ला को बना दिया गया जिसे बाद में चलकर कश्मीर का PM कहा गया, भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा लेकिन पश्चिमी कश्मीर पाकिस्तान के सपोर्ट से अपने आप को आजाद घोषित कर लिया और उसका नाम आजाद कश्मीर रख दिया एक अलग राज्य बना लिया जो बाद में चलकर पाकिस्तान से विलय हो गया इसके बाद कश्मीर दो हिस्सों में बट गया एक तरफ भारत प्रशासित कश्मीर और दूसरी तरफ पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर,
इसके बाद दोनों देश अपने अपने तर्क देकर पूर्ण कश्मीर को अपने देश में शामिल करने की मुहिम चलाने लगे इसी को देखते हुए दोनों देश 1948 में
यूएनओ चले गए जहां एक कमेटी बैठाया गया जिसके पांच सदस्य हुए जो कश्मीर पाकिस्तान तथा भारत के दौरा किया लेकिन किसी सफल परिणाम के तरफ नहीं पहुंच सके इसके बाद UNO  के द्वारा Resolution-47 of the UNSC के तहत
3- consequential non binding step पास किया गया,
जिसमें बिना शर्त 3 मांगों को पूरा करने का आदेश दिया गया जिस को मानना अनिवार्य नहीं था,
1) पाकिस्तान द्वारा सभी कबायली लोगों को कश्मीर से हटाना
2) भारत को अपनी आर्मी वापस बुलाना
3) लोगों द्वारा वोट के जरिय उनका राय लेना,
इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा हुई शांति समझौता नहीं
1972 के शिमला समझौता में शांति समझौता की कोशिश की गई थी ताकि फिर कभी युद्ध ना हो जो सफल नहीं रहा सीजफायर 1948 में हुआ था जहां वह D-facto Border कहलाने लगा शिमला समझौता में इस बॉर्डर को LOC के नाम से जाना गया इसी समझौते में यह तय किया गया कि भारत पाकिस्तान अपने मसले को आपस में सुलझा लेंगे किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं होने देंगे यूएनओ भी नहीं,
इसी बीच चाइना द्वारा 1962 के युद्ध में कश्मीर से सटे एक इलाका अक्साई चीन पर कब्जा कर लिया जो भारत के अधीन था इसके बॉर्डर को LAC-line actual control के नाम से जाना गया इसी युद्ध के बाद पाकिस्तान और चाइना के बीच गहरा दोस्ती हुआ इस दोस्ती में तोहफे के तौर पर पाकिस्तान कश्मीर के एक छोटे से हिस्सा चाइना को गिफ्ट कर दिया इसके बाद कश्मीर मामले में भारत-पाकिस्तान के साथ चीन भी तीसरे पक्ष के रूप में उभरकर सामने आया जो मामला और पेचीदा हो गया,
इसके बाद कश्मीर के दो हिस्सों में बांटने के कारण भारत प्रशासित कश्मीर के लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाने के लिए भारत सरकार की तरफ से भारतीय संविधान में एक अनुच्छेद लाया गया जो कश्मीर को एक विशेष राज्य के दर्जे में शामिल करता है जिसे 370 आर्टिकल के नाम से जानते हैं यह आर्टिकल कुछ विशेष और भारत के सभी राज्यों से अलग पहचान दिलाता है इस आर्टिकल के अंतर्गत कश्मीर का अलग झंडा कुछ मामले में अलग संविधान और भी कई विशेष पहचान दिलाया इसमें सबसे महत्वपूर्ण कश्मीर में भारत के किसी भी जनता द्वारा बसने का आदेश नहीं होना था,
मालूम हो कि 370 अनुच्छेद को लागू करने संविधान में शामिल करने से बी आर अंबेडकर तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल ने साफ इंकार कर दिया था अतत: इसे संविधान में जोड़ा गया इस आर्टिकल का सिफारिश शेख अब्दुल्ला तथा गोपाल स्वामी आयंकर ने किया था,
1947 से 1953 तक शेख अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर का PM बनाया गया केंद्र से अनबन के कारण 11 साल के लिए जेल में भी डाला गया 1964 में रिहा हुए बातचीत के लिए पाकिस्तान गए नेहरू की मृत्यु हुई फि जेल में डाला गया 1974 में पूर्ण रुप से जेल से बाहर हो गए
इसके बाद भारत 1984 में सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा किया जो पहले से किसी भी देश का उस पर कब्ज़ा नहीं था दुनिया के सबसे ऊंचे जगह तथा दुर्गम इलाके होने के कारण,
पाकिस्तान द्वारा फिर 1999 में कारगिल युद्ध किया गया जिसकी एक मनषा सियाचिन ग्लेशियर को हथियाना भी था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया,
1990 में विधानसभा इलेक्शन के बाद जनता द्वारा यह मांग उठने लगी यह निष्पक्ष चुनाव नहीं है आंदोलन होने लगा विद्रोह हो गया प्रदर्शन शुरू हो गई इसका फायदा उठाकर पाकिस्तान जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन का स्वरुप दे दिया इस संगठन को कश्मीर आजादी से जोड़ दिया 1990 में कश्मीरी पंडितों के खिलाफ एक मुहिम चलाया गया कश्मीर छोड़ने के लिए उस समय आवाज उठाई गई क्योंकि उस समय कश्मीरी पंडित भी काफी हताश थे राज्य में शासन प्रणाली चरमरा गई थी सरकार गिर गया था राज्यपाल शासन लागू था अंततः 200000 से अधिक कश्मीरी पंडित 1920 जनवरी को कश्मीर को छोड़कर जम्मू और दिल्ली में शरण लेने को मजबूर हुए जो अबतक तक स्थिति उनका यथावत है!
बढ़ते आतंकवाद के कारण भारत सरकार ने कश्मीर में भी AFSPA लागू कर दिया जैसे भारत के उत्तर पूर्व राज्य में पूर्व से लागू था!
AFSPA-Armed forces(special powers) act है जिससे प्रशासन को एक विशेष अधिकार प्राप्त हो जाता है गिरफ्तारी की जांच की किसी भी तरह के शक के बिना पर अरेस्ट करने की जैसे अधिकार जो अब तक लागू है और कश्मीर की स्थिति जस की तस बना हुआ है,

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