Sunday 17 June 2018

विश्व_रक्तदान_दिवस_14_जून_2018

#विश्व_रक्तदान_दिवस_14_जून_2018

विश्व रक्तदान दिवस 14 जून को घोषित किया गया है,विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून को 'रक्तदान दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली है। वर्ष 1997 में संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को ही बढ़ावा दें। उद्देश्य यह था कि रक्त की ज़रूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की ज़रूरत नहीं पड़नी चाहिए, पर अब तक लगभग 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है। तंजानिया जैसे देश में 80 प्रतिशत रक्तदाता पैसे नहीं लेते, कई देशों जिनमें भारत भी शामिल है, रक्तदाता पैसे लेता है। ब्राजील में तो यह क़ानून है कि आप रक्तदान के पश्चात् किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले सकते। ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ कुछ अन्य देश भी हैं जहाँ पर रक्तदाता पैसे बिलकुल भी नहीं लेते।

World Blood Donor Day 2018 theme focuses on blood donations as an act of solidarity with the slogan, “Be there for someone else. Give blood. Share life.”

14 जून को विश्व रक्तदान दिवस शरीर विज्ञान में नोबल पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध वैज्ञानिक #कार्ल_लैंडस्टाईन की याद में पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य रक्तदान को प्रोत्साहन देना एवं उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना है। 14 जून 1868 को ही महान वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म हुआ था, उन्होंने मानव रक्त में उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी और ओ समूह में वर्गीकरण किया। इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस महत्वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार दिया गया।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की ज़रूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। राजधानी दिल्ली में आंकड़ों के मुताबिक यहां हर साल 350 लाख रक्त यूनिट की आवश्यकता रहती है, लेकिन स्वैच्छिक रक्तदाताओं से इसका महज 30 फीसदी ही जुट पाता है। जो हाल दिल्ली का है वही शेष भारत का है। यह अकारण नहीं कि भारत की आबादी भले ही सवा अरब पहुंच गयी हो, रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। जबकि राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसदी है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट रक्त की कमी है। वहीं दुनिया के कई सारे देश हैं जो इस मामले में भारत को काफ़ी पीछा छोड़ देते हैं।

रिसर्च के मुताबिक भारत में रक्त की आवश्यकता का केवल 75 प्रतिशत ही उपलब्ध हो पाता है,नेपाल में 100 में से 90 फीसदी, श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलैंड में 95 फीसदी, इंडोनेशिया में 77 फीसदी और म्यांमार में आवश्यकता के कुल 60 फीसदी रक्त की पूर्ति हो जाती है। इस मामले में भारत अन्य देशों के मुकाबले पीछे है, लेकिन इसके बावजूद देश का पंजाब प्रांत रक्तदान के लेकर काफी जागरूक और सक्रिय है। भटिंडा में 10 हजार से भी अधिक रक्तदाता स्वैच्छिक एवं नियमित रक्तदान करते हैं, साथ ही यहां के ब्लड बैंकों से आसपास के क्षेत्रों- फरीदकोट, पटियाला, मेडिकल कॉलेजों में ब्लड सप्लाई किया जाता है। रेडक्रॉस द्वारा भी 85 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान होता है जिसे अब 95 फीसदी करने के लिए संस्था सक्रिय है।

रक्तदान की भ्रांतियां -

रक्तदान करने को लेकर आज भी समाज में तरह तरह की भ्रांतियां व्याप्त है, जैसे रक्तदान करने से शरीर कमजोर हो जाता है या बीमार हो जाता है।

इसके अलावा ये भी माना जाता है कि जितना रक्त दान किया जाता है, शरीर में उसकी आपूर्ति महीनों में होती है, और लगातार रक्तदान से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

दरअसल विश्व रक्तदान दिवस पर लोगों की इन्हीं भ्रांतियों को दूर कर उन्हें जागरूक किया जाता है।

शरीर में रक्त बनने की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है, और हम एक बार में जितना रक्त दान करते हैं, उसकी आपूर्ति 24 घंटे में ही हो जाती है, लेकिन शरीर में उसकी गुणवत्ता पूर्ति में 21 दिनों का समय लगता है।

बल्कि डॉक्टरों के अनुसार नियमित रूप से रक्तदान करने पर दिल से जुड़ी बीमारी से बचाव होता है।

कौन कर सकता है रक्तदान -

16 वर्ष की आयु से लेकर 60 वर्ष की आयुवर्ग का व्यक्ति,

जिसका वजन 45 किलो से अधिक हो,

और जो हेपेटाइटिस बी, सी या, एचआईवी पॉजिटिव न हो ।

कब दे सकते हैं-

जब आप पूरी तरह स्वस्थ हों,

3 माह में 1 बार रक्तदान कर सकते हैं।

क्योंकि लाल रक्त कणिकाएं हर तीन माह में बनती है।

लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह भी है, कि आवश्यकता से अधिक रक्तदान भी शरीर के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा रक्तदान के पहले रक्त की जांच होना चाहिए, यदि आप धूम्रपान करने के आदि हैं, तो अपने रक्त की जांच अवश्य कराएं।

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