Tuesday 29 May 2018

डिमेंशिया क्या है और किन कारणों से होता है

*डिमेंशिया क्या है और किन कारणों से होता है?*
डिमेंशिया तब होती है जब अल्जाइमर रोग या स्ट्रोक की श्रृंखला जैसी बीमारियों से मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है. हम कह सकते हैं कि अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम कारण है, लेकिन केवल एक ये ही कारण नहीं है. इसे मनोभ्रंश भी कहा जाता है.

डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं. Dementia शब्द 'de' मतलब without और 'mentia' मतलब mind से मिलकर बना है.

अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बिमारी से जानते हैं. याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है. हम आपको बता दें की डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलु पर होता है. दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और ये दिक्कतें उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं.

यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के दस लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है. 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि डिमेंशिया क्या है, कितने प्रकार का होता है, इसके क्या लक्षण हैं आदि.

डिमेंशिया के लक्षण

इस बिमारी से ग्रसित व्यक्ति में प्रमुख लक्षण दिखाई देते हैं:
- स्मरण शक्ति की क्षति का होना, ज़रूरी चीज़ें भूल जाना.
- सोचने में कठिनाई होना
- छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना
- भटक जाना
- व्यक्तित्व में बदलाव
- किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है
- नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत
- स्व: प्रबंधन में दिक्कत
- समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना
- यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं. यानी मूड या व्यवहार का बदलना.
- पहल करने में झिजक का होना आदि

यह बीमारी सबसे हल्के चरण से गंभीरता में तबदील हो सकती है और इस अधिक गंभीर चरण में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है.

नोट: बहुत से लोग memory loss से ग्रस्त होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनको अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया बिमारी है, memory loss होने के कई कारण हो सकते हैं.

डिमेंशिया के कारण

जब मस्तिष्क कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो डिमेंशिया हो सकता है. इसके कारण मस्तिष्क कोशिकाओं की एक दूसरे के साथ संवाद करने की क्षमता पर असर पड़ता है. पीड़ित व्यक्ति की सोच, व्यवहार और भावनाओं पर भी असर होता है.

इसको ऐसे भी समझा जा सकता है: हम जानते हैं कि मस्तिष्क के अलग-अलग भाग होते हैं और प्रत्येक भाग विभिन्न कार्य करता है. जब किसी विशेष क्षेत्र में कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर दिया जाता है, तो वह क्षेत्र सामान्य रूप से अपने कार्यों को पूरा नहीं कर पाता है.

डिमेंशिया सिर की चोट, स्ट्रोक, मस्तिष्क ट्यूमर या एचआईवी संक्रमण के कारण भी हो सकता है.

मस्तिष्क में अधिकांश परिवर्तन डिमेंशिया का कारण बनता है अर्थार्त समय के साथ स्थायी और खराब हो सकता है. यदि व्यक्ति को अवसाद, दवा के दुष्प्रभाव, थायराइड, विटामिन की कमी आदि जैसी स्थितियों का पता चलता है तो इसका समय पर इलाज कराया जाना चाहिए.

डिमेंशिया के प्रकार

डिमेंशिया के लक्षण और इसका बढ़ना इस बात पर निर्भर करता है कि किस व्यक्ति को कौन से प्रकार का डिमेंशिया है. सामान्य रूप से जिन डिमेंशिया का निदान कराया जा सकता है वह निम्नलिखित है:

- अल्जाइमर रोग: डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार अल्जाइमर रोग है. अल्जाइमर रोग होने का कारण दिमाग में परिवर्तन का होना है जिसमें ऐसे प्रोटीन का निर्माण होता है जो तंत्रिका को नुकसान पहुंचाता है. इससे पीड़ित व्यक्ति में मस्तिष्क का आकार घटता जाता है.

- लेवी बॉडीज डिमेंशिया: यह डिमेंशिया का एक रूप है जो कोर्टेक्स में प्रोटीन alpha-synuclein के एकत्र होने के कारण होता है. याददाश्त में कमी और भ्रम के अलावा, लेवी बॉडीज डिमेंशिया कुछ अन्य स्थिति भी पैदा कर सकता है, जैसे कि- नींद संबंधी परेशानियां, वहम, असंतुलन, अन्य गतिविधियों में कठिनाई इत्यादि.

- पार्किंसंस रोग: यह रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव अवस्था (ऐसी स्थिति जिसमें तंत्रिका तंत्र को क्षति पहुँचती है) होती है जो डिमेंशिया पैदा कर सकती है और बाद के चरणों में अल्जाइमर के जैसे भी काम कर सकती है. इस बीमारी के कारण अन्य गतिविधियों और गाड़ी आदि चलाने में कठिनाई होने लगती है. मगर इसके कारण कुछ लोगों को डिमेंशिया भी हो जाता है.

- मिश्रित डिमेंशिया: इसका का मतलब है कि व्यक्ति को एक ही समय में अल्जाइमर और वैस्कुलर डिमेंशिया दोनों हो सकता है. लेकिन इसमें अन्य प्रकार के डिमेंशिया भी शामिल रहते हैं.

- फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया: इसके एक समूह को दर्शाता है जो अक्सर व्यक्तित्व और व्यवहार में परिवर्तन का कारण होता है. इससे भाषा समझने या बोलने में भी कठिनाई हो सकती है. पिक रोग (Pick's Disease) और प्रगतिशील सुपरन्यूक्लियर पाल्सी (Progressive Supranuclear Palsy) सहित कई परिस्थितियों के कारण फ्रंटोटेमपोरल डिमेंशिया हो सकता है.

डिमेंशिया का इलाज

दुर्भाग्यवश, इस बिमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है और वैज्ञानिक अभी भी इस बीमारी के कारणों की खोज कर रहे हैं. यदि मस्तिष्क में कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं और इसको रोका नहीं जा सकता है, तो degenerative डिमेंशिया के लिए अभी तक कोई इलाज नहीं ज्ञात हो पाया है.

विकारों का प्रबंधन जैसे अल्जाइमर रोग इसके अंतर्निहित कारणों के बजाय, देखभाल और उपचार के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित करता है. इसलिए, कुछ दवाओं द्वारा अल्जाइमर रोग के लक्षणों को कम किया जा सकता है.

डिमेंशिया आमतौर पर सेरेब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral Cortex) में गड़बड़ी के कारण होता है, जो मस्तिष्क का एक है. यह विचार करने, निर्णय लेने और व्यक्तित्व को कायम रखने का भी काम करता है. जब इन हिस्सों में मस्तिष्क कोशिकाएं नष्ट हो जाती है तो यह संज्ञानात्मक दोष का कारण बन जाता है, जो डिमेंशिया की विशेषता है.

सिर पर चोट लगना,, मस्तिष्क में ट्यूमर, संक्रमण, हार्मोन विकार जैसे थायरॉइड रोग, हाइपोक्सिया (खून में खराब ऑक्सीजनजन), मेटाबोलिक संबंधी विकार, नशे की लत आदि डिमेंशिया ने कुछ ऐसे कारण है जिससे इस रोग के होने का जिखिम बढ़ सकता है.

डिमेंशिया के बारे में कुछ अन्य तथ्य

- भारत में कोई योजना और नीति नहीं है जो अल्जाइमर और संबंधित बीमारियों को लक्षित करती हो. चूंकि भारत में गरीबी रेखा से नीचे बहुत से लोग हैं, इसलिए भारत की स्वास्थ्य देखभाल नीति में अल्जाइमर रोग के होने पर विचार करना अनिवार्य है.

- अल्जाइमर और संबंधित डिसऑर्डर सोसाइटी ऑफ इंडिया (ARDSI) ने सरकार को अपनी योजना या नीति में डिमेंशिया को रखने की मांग की है जिसे सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिए और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित और निगरानी की जानी चाहिए.

- क्या आप जानते हैं कि ARDSI डिमेंशिया को केरल राज्य में शुरू करने में सफल रही है जो डिमेंशिया देखभाल और जागरूकता के लिए पहली सार्वजनिक-निजी साझेदारी है? केरल में इसलिए क्योंकि देश में वृद्ध व्यक्तियों का उच्चतम अनुपात यहीं है.

- यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया भर में 47.5 मिलियन डिमेंशिया पीड़ित लोग हैं और हर 4 सेकंड में इससे पीड़ित एक लोग सामने आता है.

डिमेंशिया की पहचान करने के लिए प्रावधानों के साथ राष्ट्रीय स्वास्थ्य और सामाजिक प्राथमिकता के रूप में डिमेंशिया को शामिल करने की तत्काल आवश्यकता है और इसके उपचार के लिए पर्याप्त सेवाओं को उपलब्ध करवाना. हम कह सकते हैं कि डिमेंशिया रोग ज्यादातर वृद्ध लोगों को प्रभावित कर रहा है लेकिन उम्र का बढ़न ही इसका सामान्य कारण नहीं है.

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