Thursday, 16 November 2017

व‍िरोध की शालीनता

All Sarkari Examination
नवभारत टाइम्स
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात के पालनपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं से एक बड़ी अच्छी बात कही। उन्होंने कार्यकर्ताओं को समझाया कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी से हमारे मतभेद हैं, इसलिए हम उनका विरोध करेंगे लेकिन प्रधानमंत्री पद का अनादर नहीं करेंगे। इससे पहले भी कांग्रेस की एक सभा में 'नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद' का नारा लगने पर वह लोगों को टोक चुके हैं। उनका कहना था कि मोदी हमारे राजनीतिक विरोधी हैं, इसलिए हम उनसे लड़ेंगे और उन्हें हराएंगे लेकिन मुर्दाबाद जैसे शब्द हम किसी के लिए नहीं कहेंगे।

लंबे अर्से बाद देश की राजनीति में किसी ने ऐसी बात कही है या यूं कहें कि ऐसी बात कहने की जरूरत हुई है वरना देश में विरोधियों का सम्मान करने की राजनीतिक संस्कृति हमेशा रही है। कांग्रेस की ही नेता इंदिरा गांधी के शासनकाल में विरोधी राजनीतिक नेताओं को जेल तक भेज दिया गया था। इसके बावजूद चुनाव लड़ने और जीतने के बाद भी कभी किसी बड़े नेता ने इंदिरा गांधी के लिए अशोभनीय बातें नहीं कहीं मगर पिछले कुछ समय से देश में ही नहीं, वैश्विक स्तर पर आक्रामक बयानों वाली राजनीति का चलन बढ़ता जा रहा है। इसके प्रभाव में विरोधियों के प्रति तीखी और सस्ती टिप्पणियों को अच्छी बात के रूप में लिया जाने लगा है।
माना जाता है कि आम जनता में ऐसे नेता की जल्दी धाक बन जाती है। हालांकि, ऐसे नेता की धाक उतरते भी ज्यादा वक्त नहीं लगता लेकिन अक्सर ऐसे नेताओं की काट ज्यादा तीखी और ज्यादा सस्ती टिप्पणी करने वाले नेताओं में देखी जाती है जिससे यह चलन राजनीति का स्तर गिराता चला जाता है। कांग्रेस में भी ऐसे नेताओं की कमी नहीं है जो ऐसी भाषा के इस्तेमाल के लिए जाने जाते हैं। अक्सर वे ऐसे बयान से राजनीति का ताप बढ़ाते भी रहे हैं लेकिन राहुल गांधी ने अब अपना निश्चित स्टैंड बताकर न केवल अपनी पार्टी के ऐसे नेताओं को आगाह किया है बल्कि देश की राजनीतिक संस्कृति में भी सुधार की एक महत्वपूर्ण पहल की है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य पार्टियों के महत्वपूर्ण नेता इस पहल की अहमियत को समझते हुए अपने अनुकूल रुख से इसे मजबूती देंगे।

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