UPSC के प्यारे छात्रों को समर्पित.......
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जिंदगी जैसे बोझ सी बन गयी है,
हाँ यही कहानी हर रोज सी बन गयी है।
सुबह arithmatic से शाम advance तक पहुंच गई,
एक तरफ उनकी मुस्कान किसी और के chance तक पहुंच
गई।
Noun से लेकर adjective तक error ढूंढ रहे हैं,
सच बताये तो खुद की शक्ल के लिए mirror ढूंढ रहे हैं।
एक पागल औरत फ़ोटो को इशारा कर रिश्तेदारी
समझाती है
ये कैसी Reasoning है जो दूसरों के घर मे ताकाझांकी
सिखाती है।
कहीं नल खुले छूट जाते हैं तो कहीं दूध में मिलावट है,
सच मे वो पागल धारा के विपरीत जाता है या महज
दिखावट है।
क्या जरूरत थी पानीपत के तीन तीन युद्ध लड़ने की,
और वास्कोडिगामा के जहाज को कालीकट से
भिड़ने की।
अजीब सी Demand है जिसकी Supply ही नही है,
पता नही कैसे errors हैं जहाँ rule भी apply नही है।
जब सूरज, चाँद और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं,
हमारे result पर कई कई ग्रहण लगा जाते हैं।
पाचन तंत्र तो परीक्षा के मारे इतना बिगड़ा हुआ है,
खुद गुरुत्वाकर्षण हाथ जोड़े नीचे आने की उम्मीद में
खड़ा हुआ है।
ये कैसी शासन प्रणाली है जो लोकतंत्र सिखाती है,
पिताजी से दो हजार extra मांगते ही तानाशाही
हो जाती है।
जितने बड़े कमरे में सुई सुबह से चलकर शाम कर देगी,
कसम से इसमें तो हमारी भैंस भी दूध देने से मना कर
देगी।
इस तैयारी में कितनी ही बार आंखे भर आयी हैं,
सुना है गर्मियों की छुट्टियों में वो भी मायके आयी
हैं।
😀😀😀😀
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