Thursday 10 June 2021

रेंगमा नागाओं द्वारा ‘स्वायत्त परिषद’ की मांग

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त परिषद (Karbi Anglong Autonomous Council- KAAC) को एक ‘क्षेत्रीय परिषद’ (Territorial Council) में अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है, इसी बीच असम के रेंगमा नागाओं (Rengma Nagas) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर केंद्र एक स्वायत्त जिला परिषद (Autonomous District Council) का गठन करने की मांग की है।

संबंधित प्रकरण:

असम सरकार, कार्बी-आंगलोंग क्षेत्र में स्थित प्रभावी उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौता करने की कगार पर है, इसी बीच NSCN-IM नामक नागा संगठन ने कहा है, कि रेंगमा नागाओं को पीड़ित करने वाला कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।

  • इस सारे प्रकरण के केंद्र में कार्बी आंगलोंग क्षेत्र है, जिसे पहले ‘रेंगमा हिल्स’ (Rengma Hills) के नाम से जाना जाता था। रेंगमा हिल्स को निहित स्वार्थों के चलते बाहरी लोगों के आक्रामक अंतः प्रवाह का शिकार बनाया जाता रहा है।
  • नागालैंड राज्य के निर्माण के समय वर्ष 1963 में, रेंगमा हिल्स को असम और नागालैंड के बीच विभाजित कर दिया गया था।

‘स्वायत्त जिला परिषदें’ क्या होती हैं?

  • संविधान की छठी अनुसूची के अनुसार, असममेघालयत्रिपुरा और मिजोरम, चार राज्यों के जनजातीय क्षेत्र, तकनीकी रूप से अनुसूचित क्षेत्रों से भिन्न हैं।
  • हालांकि ये क्षेत्र राज्य के कार्यकारी प्राधिकरण के दायरे में आते हैं, किंतु कुछ विधायी और न्यायिक शक्तियों के प्रयोग हेतु जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है।
  • इसके तहत, प्रत्येक जिला एक स्वायत्त जिला होता है और राज्यपाल एक अधिसूचना के माध्यम से उक्त जनजातीय क्षेत्रों की सीमाओं को संशोधित / विभाजित कर सकते हैं।

राज्यपाल एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा:

  • किसी भी क्षेत्र को शामिल कर सकते हैं।
  • किसी भी क्षेत्र को बाहर निकाल सकते हैं।
  • एक नया स्वायत्त जिला गठित कर सकते हैं।
  • किसी भी स्वायत्त जिले के क्षेत्र में वृद्धि कर सकते हैं।
  • किसी भी स्वायत्त जिले के क्षेत्र को कम कर सकते हैं।
  • किसी स्वायत्त जिले का नाम परिवर्तित कर सकते हैं।
  • किसी स्वायत्त जिले की सीमाओं को परिभाषित कर सकते हैं।

जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों का गठन:

  1. प्रत्येक स्वायत्त जिले में एक जिला परिषद होगी, जिसमें तीस से अधिक सदस्य नहीं होंगे और इनमे से अधिकतम चार सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किए जाएंगे और शेष सदस्यों को वयस्क मताधिकार के आधार पर चुना जाएगा।
  2. गठित किये गए प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक अलग क्षेत्रीय परिषद परिषद होगी।
  3. प्रत्येक जिला परिषद और प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में, क्रमशः जिला परिषद (जिले का नाम) तथा क्षेत्रीय परिषद (क्षेत्र का नाम) नामक निगमित निकाय (body corporate) होंगे, इनमें चिर उत्तराधिकार (perpetual succession) प्रणाली तथा एक सामूहिक मुहर होगी, तथा उक्त नामों से ही ये कार्रवाई करेंगे और इन पर कार्रवाई की जाएगी।

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