Wednesday 12 February 2020

मृत सागर: Dead Sea

#मृत_सागर
(#Dead_Sea)

मृत सागर के बारे में आपने शायद कहीं सुना होगा या शायद किताबों में इसके बारे में पढ़ा भी हो लेकिन इसका नाम आपको भी हैरान जरूर करता होगा कि आखिर किसी सागर का नाम डेड सी यानी मृत सागर कैसे रखा जा सकता है लेकिन इससे जुड़े किस्से और इस सागर की खूबियां भी इसके नाम की ही तरह काफी दिलचस्प हैं जिन्हें जानकर आपको इस डेड सी के बारे में बहुत कुछ पता चल जाएगा। तो चलिए, आज जानते हैं इस मृत सागर से जुड़े रहस्यों को-

मृत सागर का पूर्वी तट जॉर्डन है तो दक्षिण पश्चिम तट इजराइल है। समुद्र तल से 400 मीटर नीचे स्थित ये सागर दुनिया का सबसे निचला सागर है और इसका पानी खारा होने के कारण इसे खारे पानी की सबसे निचली झील भी कहा जाता है। ये सागर 65 किलोमीटर लम्बा और 18 किलोमीटर चौड़ा है।

वैसे तो दुनिया के अधिकतर समुद्रों का पानी खारा या नमकीन होता है जिससे समुद्री पानी का घनत्व काफी बढ़ जाता है और समुद्रों का खारा पानी काफी भारी हो जाता है लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि डेड सी का पानी सामान्य समुद्री पानी की तुलना में 6 से 7 गुना ज़्यादा खारा है।

इसका पानी ना केवल खारा है बल्कि इसमें कैल्शियम, जिंक, सल्फर, पोटाश, ब्रोमाइड, मैग्नेशियम जैसे खनिज लवण भी मौजूद हैं जिसके कारण इस सागर के नमक का इस्तेमाल खाने के लिए नहीं किया जा सकता है।

नमक की अधिकता के कारण ही इसमें मछली और दूसरे समुद्री जीव जीवित नहीं रह पाते और अगर अनजाने में कोई समुद्री जीव इस सागर में आ जाता है तो तुरंत उसकी मौत हो जाती है। समुद्री जीवों के अलावा यहाँ जलीय पौधे भी नहीं पनप पाते। सिर्फ कुछ बैक्टीरिया और शैवाल ही यहाँ पाए जाते हैं। इसी वजह से इस सागर को मृत सागर कहा जाने लगा और ये नाम एक ग्रीक लेखक द्वारा दिया गया था।

इसका घनत्व इतना ज़्यादा है कि अगर कोई व्यक्ति इस सागर में सीधे लेट जाये तो वो व्यक्ति डूबेगा नहीं और बिना किसी डर के आसानी से तैर सकेगा। इस सागर की ऐसी अनोखी खूबी की वजह से ही इसे 2007 में ‘विश्व के सात अजूबे’ में चुने गए 28 जगहों की लिस्ट में शामिल किया गया था।

इस मृत सागर में नदियों और बारिश के जरिये ताज़ा पानी भी आता रहता है लेकिन यहाँ का वातावरण और हवा बहुत शुष्क है और तापमान भी पूरे साल गर्म ही बना रहता है जिसके कारण वाष्पीकरण तेज़ी से होता है और हर साल इस मृत सागर का पानी एक मीटर से ज़्यादा कम होता जाता है जिससे सागर की लवणता बढ़ती जाती है।

मृत सागर का नमक भले ही हमारे खाने के लिए उपयुक्त नहीं है लेकिन इसका इस्तेमाल औषधियाँ और उर्वरक बनाने के लिए किया जाता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार इस सागर में मिलने वाला नमक और खनिज लवण हमारे लिए बहुत कीमती और उपयोगी साबित हो सकते हैं। इसमें मौजूद औषधीय गुणों के चलते कई लाइलाज रोगों के इलाज के लिए मृत सागर के पानी का इस्तेमाल किया जाता है जिनमें सोराइसिस, गठिया, एग्जिमा, चकत्ते पड़ने जैसे त्वचा रोग और पुराने घावों के उपचार शामिल हैं। इसके पानी में मौजूद नमक और खनिज मिलकर ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करके तनी हुयी नसों को राहत पहुंचाते हैं।

आज मृत सागर एशिया के मेडिकल टूरिज्म के रूप में आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। इसके निकट पर्यटन केंद्र और स्वास्थ्य केंद्र भी खोले गए हैं और इस सागर के किनारे की काली मिट्टी और नमक से मड थेरेपी और कई तरह के स्पा के जरिये भी इलाज किया जाने लगा है।

दोस्तों, अब आप जान चुके हैं कि मृत सागर का नाम मृत सागर कैसे पड़ा। साथ ही हमने ये भी जाना कि अनुपयोगी लगने वाली चीज़ें भी कुछ ना कुछ उपयोग तो जरूर रखती है बिलकुल मृत सागर की तरह, जिसे इसके खारे पानी के कारण लम्बे समय तक अनुपयोगी समझा जाता रहा लेकिन साइंटिस्ट्स के अनुसार इसके पानी से भी बहुत से फायदे लिए जा सकते हैं। ऐसे में आप भी अपने आसपास मौजूद चीज़ों को अनुपयोगी समझने से पहले एक बार गौर करके ज़रूर देखिये, शायद आपको उनका सही मूल्य और उपयोग भी समझ आ जाएगा।

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