#कोणार्क_सूर्य_मंदिर
केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने बताया कि ओडिशा में लगभग 800 वर्ष पुराने कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Sun Temple) को संरक्षित करने की योजना जल्द ही तैयार की जाएगी।
🌺कोणार्क सूर्य मंदिर के बारे में
•बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर भगवान सूर्य के रथ का एक विशाल प्रतिरूप है। यह मंदिर ओडिशा के पुरी ज़िले में चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित है।
•रथ के 24 पहियों को प्रतीकात्मक डिज़ाइनों से सजाया गया है और सात घोड़ों द्वारा इस रथ को खींचते हुए दर्शाया गया है।
•भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर, मंदिर वास्तुकला और कला के उत्कृष्ट उदाहरणों में से एक है। अंग्रेज़ी भाषा में इसे ‘ब्लैक पैगोडा’ कहते हैं।
•कोणार्क सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में गंग वंश के शासक नरसिंह देव प्रथम ने कराया था।
* गौरतलब है कि ओडिशा वास्तुकला की अपनी अलग पहचान है जिसमें देउल (गर्भगृह के ऊपर उठता हुआ विमान तल), जगमोहन (गर्भगृह के बगल का विशाल हॉल), नटमंडप (जगमोहन के बगल में नृत्य के लिये हॉल), भोगमंडप के निर्माण के साथ-साथ परकोटा तथा ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। कोणार्क का सूर्य मंदिर इस शैली का श्रेष्ठ उदाहरण है।
•ओडिशा स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर को यूनेस्को (UNESCO) ने वर्ष 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) इस मंदिर का संरक्षक है।
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