राजकुमारी अमृत कौर (राजनेता)
* राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्र भारत की दस वर्षों तक स्वास्थ्य मंत्री थीं
* वे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा सामाजिक कार्यकर्ता थीं
* वे महात्मा गांधी की अनुयायी तथा 16 वर्ष तक उनकी सचिव रहीं
* राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 फ़रवरी 1889 को उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ नगर में हुआ था
* इनकी उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई
* ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से एम. ए. पास करने के उपरांत वह भारत वापस लौटीं
* भारत लौटने के बाद वो भारत को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गईं
* वो महात्मा गांधी के साथ नमक सत्याग्रह और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गईं
* महात्मा गांधी अकसर अपने लेटर में अमृत कौर को 'मेरी प्यारी बेवकूफ' और 'बागी' बुलाते थे और आखिर में खुद को तानाशाह भी बुलाते थे
* 1945 में यूनेस्को की बैठकों में सम्मिलित होने के लिए जो भारतीय प्रतिनिधि दल लंदन गया था, राजकुमारी अमृत कौर उसकी उपनेत्री थी
* 1946 में जब यह प्रतिनिधिमंडल यूनेस्को की सभाओं में भाग लेने के लिए पेरिस गया, तब भी वे इसकी उपनेत्री (डिप्टी लीडर) थीं
* 1948 और 1949 में वह 'आल इंडिया कॉन्फ्रेंस ऑफ सोशल वर्क' की अध्यक्षता रहीं
* 1950 ई. में वह वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की अध्यक्षा निर्वाचित हुई
* 1947 से 1957 ई. तक वह भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहीं
* 1957 ई. में नई दिल्ली में उन्नीसवीं इंटरनेशनल रेडक्रास कॉन्फ्रेंस राजकुमारी अमृत कौर की अध्यक्षता में हुई
* 1950 ई. से 1964 ई. तक वह लीग ऑफ रेडक्रास सोसाइटीज की सहायक अध्यक्ष रहीं
* वह 1948 ई. से 1964 तक सेंट जॉन एमबुलेंस ब्रिगेड की चीफ कमिशनर तथा इंडियन कौंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर की मुख्य अधिकारिणी रहीं
* वह आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑव मेडिकल साइंस की अध्यक्षा भी रहीं
* राजकुमारी को खेलों से बड़ा प्रेम था नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑव इंडिया की स्थापना इन्होंने की थी और इस क्लब की वह अध्यक्षा शुरु से रहीं
* उनको टेनिस खेलने का बड़ा शौक था कई बार टेनिस चैंपियनशिप उनको मिली
* वे ट्यूबरक्यूलोसिस एसोसियेशन ऑव इंडिया तथा हिंद कुष्ट निवारण संघ की आरंभ से अध्यक्षता रही थीं
* वे गांधी स्मारक निधि और जलियानवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की ट्रस्टी, कौंसिल ऑव साइंटिफिक तथा इंडस्ट्रियल रिसर्च की गवनिंग बाडी की सदस्या, तथा दिल्ली म्यूजिक सोसाइटी की अध्यक्षा थीं
* राजकुमारी एक प्रसिद्ध विदुषी महिला थीं
* उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय, स्मिथ कालेज, वेस्टर्न कालेज, मेकमरे कालेज आदि से डाक्ट्रेट मिली थी
* उन्हें फूलों से तथा बच्चों से बड़ा प्रेम था
* वे बिल्कुल शाकाहारी थीं और सादगी से जीवन व्यतीत करती थीं
* बाइबिल के अतिरिक्त वे रामायण और गीता को भी प्रतिदिन पढ़ने से उन्हें शांति मिलती थी
* उनकी मृत्यु 2 अक्टूबर 1964 को दिल्ली में हुई
* उनकी इच्छा के अनुसार उनको दफनाया नहीं गया, बल्कि जलाया गया
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