#कोरकू_जनजाति_और_मेलाघाट_टाइगर_रिजर्व
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•कोरकू जनजाति मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिज़र्व (Melghat Tiger Reserve) के निकटवर्ती क्षेत्रों में पाई जाती है।
•'कोरकू' नाम की उत्पत्ति दो शब्दों 'कोरो' जिसका अर्थ ‘व्यक्ति’ होता है और 'कू' जिसका अर्थ जीवित होता है, से मिलकर हुई है।
•यह जनजाति कोरकू भाषा बोलती है जिसका संबंध मुंडा भाषायी समूह से है और इसकी लिपि देवनागरी है।
•भारत सरकार द्वारा कोरकू जनजाति को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
•कोरकू जनजाति घास और लकड़ी से बनी झोपड़ियों में रहती है। प्रत्येक घर की संरचना में सामने वाला हिस्सा एलिवेटेड स्टेज की तरह होता है, इस एलिवेटेड स्टेज का उपयोग कृषि उपज के भंडारण हेतु किया जाता है।
•वे स्थानीय रूप से तैयार की गई महुआ के फूलों से बनी शराब का सेवन करते हैं। इनकी अधिकांश आबादी कृषक है।
•इस जनजाति के पारंपरिक त्योहार हरि एवं जिटोरी हैं जिनमें एक महीने तक पौधा रोपण अभियान चलाया जाता है। इस तरह ये लोग कुपोषण एवं पर्यावरण क्षरण का मुकाबला करते हैं।
🌺मेलघाट टाइगर रिज़र्व के बारे में
यह टाइगर रिज़र्व महाराष्ट्र राज्य के अमरावती ज़िले में स्थित है, इसका क्षेत्रफल 1677 वर्ग किमी. है।
यह वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत घोषित किये गए पहले नौ टाइगर रिज़र्व में से एक है।
यह टाइगर रिज़र्व ताप्ती नदी और सतपुड़ा रेंज की गवलीगढ़ रिज़ से घिरा हुआ है।
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