Saturday 1 February 2020

चिट फण्ड

चिट फण्ड
* चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह या पडोसी आपस में वित्तीय लेन देन के लिए एक समझौता करे
* इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाती है और परिपक्वता अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित लौटा दी जाती है
* चिट फण्ड को कई नामों जैसे चिट, चिट्टी, कुरी से भी जाना जाता है
* चिट फण्ड के माध्यम से लोगों की छोटी छोटी बचतों को इकठ्ठा किया जाता है
* चिट फंड अक्सर माइक्रोफाइनेंस संगठन होते हैं
* भारत में चिट फंड का रेगुलेशन चिट फंड अधिनियम, 1982 के द्वारा होता है
* इस कानून के तहत चिट फंड कारोबार का पंजीयन व नियमन संबद्ध राज्य सरकारें ही कर सकती हैं
* चिट फंड एक्ट 1982 के सेक्शन 61 के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है
* चिट फंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और सम्बंधित राज्य सरकार का ही होता है
* चिट फण्ड की सफलता का राज यह है कि इन कंपनियों का बिज़नेस ऐसे एजेंटों के माध्यम से चलता है जो कि पने आस-पास के लोगों, रिश्तेदारों को जानते हैं इसलिए इन लोगों से पैसा निवेश करवाने में आसानी होती है
* कंपनियां ग्रामीण और टाउन इलाकों में ज्यादा सक्रिय रहती हैं बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं
* चिट फण्ड कम्पनियाँ कंपनी के विज्ञापन और बुकलेट में बड़ी-बड़ी फ़िल्मी हस्तियों, बड़े-बड़े नेताओं, के साथ अपने फोटो छपवा देते हैं जिसके कारण निवेशक कंपनी और एजेंटों पर आंख मूंद कर भरोसा कर लेते हैं
* कंपनियां निवेश की रकम का 25 से 40 फीसदी तक एजेंट को कमीशन के तौर पर देती हैं जिसके कारण ये एजेंट अपने सगे सम्बन्धियों का पैसा भी इनमें लगवा देते हैं
* चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) में तब्दील कर देती हैं
* इन चिट फण्ड कंपनियों में अक्सर मौजूदा एजेंटों को इस स्कीम में अन्य लोगों को जोड़ने पर और भी अधिक कमीशन दिया जाता है जिससे इनका नेटवर्क दिन रात बड़ा होता जाता है
* चिट फण्ड कम्पनियाँ मुख्य रूप से शेयर बाजार, रियल एस्टेट, होटल, मनोरंजन और पर्यटन, माइक्रो फाइनेंस, अखबार, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अभिनेताओं और हस्तियों के साथ अनुबंध में पैसा लगातीं हैं
* जब पुराने निवेशकों की संख्या (अर्थात देनदारियां) नए निवेशकों (नए निवेश) से ज्यादा हो जाती है अर्थात जब नकद प्रवाह में असंतुलन या कमी आ जाती है और कंपनी लोगों को उनकी परिपक्वता अवधि पर पैसे नहीं लौटा पाती है तो चिट फण्ड कंपनी पैसा लेकर गायब हो जाती है
* शारदा चिटफंड घोटाला और रोज वैली घोटाला इसी प्रकार के घोटाले हैं जिनमें लोगों के करोड़ों रुपये डूब गए हैं
* जब कभी आपको किसी चिट फण्ड कंपनी में पैसा लगाना हो तो सबसे पहले यह चेक करें कि जिस राज्य में वह कंपनी है क्या वह कंपनी उस राज्य रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड है या नहीं?

No comments: