Saturday 18 January 2020

(GS Capsule) - हिंगलाज भवानी मंदिर (पाकिस्तान)

हिंगलाज भवानी मंदिर (पाकिस्तान)
* हिंगलाज माता मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के हिंगलाज में हिंगोल नदी के तट पर स्थित एक हिंदू मंदिर है
* यहां के मुसलमान हिंगलाज भवानी को नानी और मंदिर की यात्रा को नानी की हज कहते हैं
* यह एक शक्तिपीठ है यहां माता सती का ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था
* इस मंदिर में त्रिपुर सुंदरी की पूजा होती है
* इस मंदिर में मुस्लिम भी सेवाभाव करते हैं
* यहां के हिंदुओं के लिए यह असीम आस्‍था का केंद्र है
* राम ने भी रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए त्रिपुर सुंदरी की पूजा की थी
* हिंदू ग्रंथों में बताया गया है कि भगवान परशुराम के पिता जमदग्नि ने भी यहां घोर तप किया था
* बताया जाता है कि हिंगलाज माता के इस मंदिर में मनोरथ सिद्धि के लिए गुरु गोरखनाथ, गुरु नानक देव ओर दादा मखान जैसे आध्‍यात्मिक संत भी यहां आ चुके हैं
* इंद्र और आल्हा उदल ने भी इस देवी की आराधना की थी
* कुणाल जातक में हिंगूल पब्बत को हिमवंत में बताया गया है बौद्ध जातकों का हिंगूल पब्बत ही आधुनिक हिंगलाज है जो अब पाकिस्तान में है
* यह सिंध व बलूचिस्तान की पहाड़ियों के बीच कराची से 90 मील उत्तर में है
* इस मंदिर के पुजारी ब्रोही जाति का मुसलमान होता है
* 19वीं शताब्दी में इस मंदिर की संरक्षिका एक मुस्लिम महिला थी
* मंदिर की मूर्ति को स्थानीय मुसलमान बीबी देवी और हिंदू काली कहते हैं
* ऊंची पहाड़ी पर बना यह मंदिर गुफा के रूप में है
* इस मंदिर में कोई दरवाजा नहीं है
* मान्‍यता है कि हिंगलाज माता यहां सुबह प्रतिदिन स्‍नान करने आती हैं
* मंदिर परिसर में श्रीगणेश, कालिका माता की प्रतिमा भी स्‍थापित है
* यहां ब्रह्मकुंड और तीरकुंड दो प्रसिद्ध तीर्थ भी हैं
* हिंगलाज माता का दूसरा रूप तनोट माता का मंदिर भारत में स्थित है तनोट माता का मंदिर जैसलमेर जिला से करीब 130 किमी दूर है
* 1965 की भारत-पाकिस्‍तान लड़ाई के बाद यह मंदिर देश-विदेश में चर्चित हो गया लड़ाई में पाकिस्तानी सेना कि तरफ से गिराए गए करीब 3000 बम भी इस मंदिर पर खरोच तक नहीं ला सके
* मंदिर परिसर में गिरे 450 बम तो फटे तक नहीं ये बम अब मंदिर परिसर में बने एक संग्रहालय में भक्तों के दर्शन के लिए रखे हुए हैं
* कराची से 6-7 मील चलकर हाव नदी पड़ती है यहीं से माता हिंगलाज की यात्रा शुरू होती है
* श्रद्धालु हिंगोल नदी के किनारे जयकारों के साथ माता का गुणगान करते हुए आगे बढ़ते हैं
* पहाड़ों को पार करने के बाद भक्‍त मंदिर तक पहुंचते हैं
* मार्ग में मीठे पानी के 3 कुंए पड़ते हैं मान्‍यता है कि इसका पानी पीकर यात्रीगण पवित्र होकर माता के दर्शन करते हैं

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