लुइस ब्रेल (ब्रेल लिपि के जनक)
* कहते हैं कि इंसान अक्षम सिर्फ अपनी सोच सेे होता है अगर वह ठान ले तो तमाम चुनौतियां और कमियां उसकी लगन के आगे घुटने टेक देती हैं
* जो लोग चुनौतियां पर विजय पाते है, वह सिर्फ अपने लिए ही नहीं, कई अन्य व्यक्तियों के लिए भी आगे बढ़ने के रास्ते और मिसाल छोड़ जाता है
* ऐसा ही एक नाम है लुइस ब्रेल का जिन्होंने एक हादसे में आंखों की रोशनी गंवाने के बाद ईजाद की ब्रेल लिपि
* ब्रेल लिपि के सहारे दुनिया में लाखों ऐसे लोग जो देख नहीं सकते, पढ़ना सीखकर अपने पैरों पर खड़े होते हैं
* ब्रेल लिपि को जन्म देने वाले लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 में हुआ था
* फ्रांस में जन्मे लुइस ब्रेल के पिता की घोड़े की काठी (जिसे घोड़े के ऊपर बैठने के लिए इस्तेमाल किया जाता है) बनाने की दुकान थी
* परिवार में चार भाई-बहन थे, जिसमें लुइस सबसे छोटे थे
* एक दिन तीन साल के लुइस दुकान में खेल रहे थे, उसी दौरान उन्होंने लेदर के टुकड़े में नुकीले औजार से छेद करना चाहा वह औजार उनके हाथ से फिसलकर उनकी आंख में जा लगा इससे उनकी आंख में गंभीर चोट आई और इन्फेक्शन हो गया
* धीरे-धीरे इन्फेक्शन दूसरी आंख में भी फैल गया. इस एक्सीडेंट के बाद पांच साल के होते-होते लुइस की आंखों की रोशनी पूरी तरह चली गई
* दुनिया को जानने की जिज्ञासा और पढ़ाई में लुइस की दिलचस्पी को देखते हुए लुइस के पिता साइमन ने उन्हें शिक्षा के लिए पेरिस के नेशनल ‘इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ’ में दाखिला दिला दिया यहां लुइस ने मैथ्स फिजिक्स आदि विषयों को अच्छी तरह समझ लिया था
* शिक्षा के दौरान लुइस की मुलाकात फ्रांसीसी सैनिक ‘चार्ल्स बार्बियर’ से हुई बार्बियर ने लुइस को सैनिकों के लिए बनी नाइट राइटिंग ‘मून टाइप’ लिपि के बारे में बताया जिसे अंधेरे में पढ़ा जा सकता था यह लिपि कागज पर उभरी हुई थी जिसे 12 प्वाइंट्स से अलग-अलग ध्वनियों के आधार पर कोडमय किया गया था
* आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी लुइस ने हिम्मत नहीं हारी। वे ऐसी चीज बनाना चाहते थे, जो उनके जैसे दृष्टिहीन लोगों की मदद कर सके
* बार्बियर की बताई लिपि से लुइस काफी प्रभावित थे और इसी आधार पर उन्होंने मात्र 16 साल की उम्र में एक ऐसी नई लिपि की रचना की जो दृष्टिबाधितों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी
* उन्होंने अपने नाम से एक राइटिंग स्टाइल बनाई, जिसमें सिक्स डॉट कोड्स थे वही स्क्रिप्ट आगे चलकर 'ब्रेल के नाम से जानी गई
* ब्रेल लिपि के तहत बिंदुओं को जोड़कर अक्षर, अंक और शब्द बनाए जाते हैं इस लिपि में पहली किताब 1829 में प्रकाशित हुई
* लुइस को संगीत में काफी दिलचस्पी थी और वह कई तरह के यंत्र बजा लेते थे
* लुइस की मृत्यु 43 साल की कम उम्र में टी.बी. की बीमारी से हुई थी
* भारत सरकार ने लुइस ब्रेल के जन्म दिन पर उनके सम्मान में 4 जनवरी 2009 को एक डाक टिकिट भी जारी किया था
* RBI ने हमारी करेंसी में ब्रेल लिपि के विशेष चिन्हों को शामिल किया है
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