गुरु गोबिंद सिंह के अनमोल विचार
> गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु है
* अगर आप केवल भविष्य के बारे में सोचते रहेंगे तो वर्तमान भी खो देंगे
* जब आप अपने अन्दर से अहंकार मिटा देंगे तभी आपको वास्तविक शांति प्राप्त होगी
* मैं उन लोगों को पसंद करता हूँ जो सच्चाई के मार्ग पर चलते हैं
* ईश्वर ने हमें जन्म दिया है ताकि हम संसार में अच्छे काम करें और बुराई को दूर करें
* इंसान से प्रेम ही ईश्वर की सच्ची भक्ति है
* अच्छे कर्मों से ही आप ईश्वर को पा सकते हैं
* अच्छे कर्म करने वालों की ही ईश्वर मदद करता है
* जो कोई भी मुझे भगवान कहे, वो नरक में चला जाए
* मुझे उसका सेवक मानो. और इसमें कोई संदेह मत रखो
* जब बाकी सभी तरीके विफल हो जाएं, तो हाथ में तलवार उठाना सही है
* असहायों पर अपनी तलवार चलाने के लिए उतावले मत हो, अन्यथा विधाता तुम्हारा खून बहायेगा
* उसने हेमशा अपने अनुयायियों को आराम दिया है और हर समय उनकी मदद की है
* हे ईश्वर मुझे आशीर्वाद दें कि मैं कभी अच्छे कर्म करने में संकोच ना करूँ
* ये मित्र संगठित हैं, और फिर से अलग नहीं होंगे, उन्हें स्वयम सृजनकर्ता भगवान् ने एक किया है
* सबसे महान सुख और स्थायी शांति तब प्राप्त होती है जब कोई अपने भीतर से स्वार्थ को समाप्त कर देता है
* दिन-रात, हमेशा ईश्वर का ध्यान करो
* हर कोई उस सच्चे गुरु की जयजयकार और प्रशंसा करे जो हमें भगवान की भक्ति के खजाने तक ले गया है
* भगवान के नाम के अलावा कोई मित्र नहीं है, भगवान के विनम्र सेवक इसी का चिंतन करते और इसी को देखते हैं
* आपने ब्रह्माण्ड की रचना की, आप ही सुख-दुःख के दाता हैं
* आप स्वयं ही स्वयं हैं, अपने स्वयं ही सृष्टि का सृजन किया है
* सत्कर्म कर्म के द्वारा, तुम्हे सच्चा गुरु मिलेगा, और उसके बाद प्रिय भगवान मिलेंगे, उनकी मधुर इच्छा से, तुम्हे उनकी दया का आशीर्वाद प्राप्त होगा
* सच्चे गुरु की सेवा करते हए स्थायी शांति प्राप्त होगी, जन्म और मृत्यु के कष्ट मिट जायेंगे
* अज्ञानी व्यक्ति पूरी तरह से अंधा है, वह मूल्यवान चीजों की कद्र नहीं करता है
* ईश्वर स्वयं क्षमाकर्ता है
* बिना गुरु के किसी को भगवान का नाम नहीं मिला है
* बिना नाम के कोई शांति नहीं है
* मृत्यु के शहर में, उन्हें बाँध कर पीटा जाता है, और कोई उनकी प्रार्थना नहीं सुनता है
* जो लोग भगवान के नाम पर ध्यान करते हैं, वे सभी शांति और सुख प्राप्त करते हैं
* मैं उस गुरु के लिए न्योछावर हूँ, जो भगवान के उपदेशों का पाठ करता है
* सेवक नानक भगवान के दास हैं, अपनी कृपा से, भगवान उनका सम्मान सुरक्षित रखते हैं
* स्वार्थ ही अशुभ संकल्पों को जन्म देता है
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