Tuesday 21 January 2020

बैलिस्टिक मिसाइल

बैलिस्टिक मिसाइल
* तकनीकी दृष्टि से बैलिस्टिक मिसाइल उस प्रक्षेपास्त्र को कहते हैं जिसका प्रक्षेपण पथ सब ऑर्बिटल बैलिस्टिक पथ होता है
* इसका उपयोग किसी हथियार (नाभिकीय अस्त्र) को किसी पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर दागने हेतु किया जाता है
* यह मिसाइल प्रक्षेपण के प्रारंभिक स्तर पर ही गाइड की जाती है
* इसके बाद का पथ आर्बिटल मैकेनिक के सिद्धांतों पर एवं बैलेस्टिक सिद्धांतों से निर्धारित होता है
* इसे अभी तक रासायनिक रॉकेट इंजन से छोड़ा जाता था
* सबसे पहला बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र (मिसाइल) A-4 था इसे सामान्यत V-2 रोकेट के नाम से भी जाना जाता है
* A-4 मिसाइल को नाज़ी जर्मनी ने साल 1930 से साल 1940 के मध्य में रोकेट वैज्ञानिक वेर्न्हेर वॉन ब्राउन की देखरेख में विकसित किया था
* V-2 रोकेट का पहला सफल परिक्षण 3 अक्टूबर 1942 को हुआ, इसका 6 सितम्बर 1944 को फ़्रांस के विरुद्ध और उसके दो दिन बाद लन्दन पर इसका प्रयोग किया गया
* द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक (मई 1945), इस V-2 रोकेट प्रक्षेपास्त्र को 3,000 से भी ज्यादा बार प्रयोग में लाया गया था
* बैलिस्टिक मिसाइलों का आकार काफ़ी बड़ा होता है और वो काफ़ी भारी वज़न का बम ले जाने में सक्षम होते हैं लेकिन उन्हें छोड़े जाने से पहले ही नष्ट किया जा सकता है क्योंकि उन्हें छिपाया नहीं जा सकता लेकिन एक बार छूट जाने के बाद उन्हें नष्ट करना आसान नहीं होता
* बैलिस्टिक मिसाइल अपना इंधन लेकर चलते हैं और उसमें इस्तेमाल होनेवाला ऑक्सीजन भी उनके साथ ही होता है
* बैलिस्टिक मिसाइल छोड़े जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलते हैं और जैसे ही रॉकेट के साथ उनका संपर्क खत्म होता है उनमें लगा हुआ बम गुरूत्व के प्रभाव में ज़मीन पर गिरता है इसलिए एक बार छोड़े जाने के बाद उनके लक्ष्य पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता
* बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों के लिए ही होता है लेकिन कुछ मामलों में पारंपरिक हथियारों के साथ भी इस्तेमाल हो रहा है उदाहरण के लिए चीन ने ताइवान के साथ सीमा पर बैलिस्टिक मिसाइल लगा रखे हैं और वो पारंपरिक हथियारों से लैस हैं
* बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र भारत की पृथ्वी, अग्नि, और धनुष मिसाइलें इस श्रेणी में आती हैं

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