Wednesday, 22 January 2020

जीसैट-14 (संचार उपग्रह)

जीसैट-14 (संचार उपग्रह)
* जीसैट-14 एक भारतीय संचार उपग्रह है जिसे जनवरी 2014 में सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया गया
* यह उपग्रह वर्ष 2004 में प्रक्षेपित जीसैट-3 का स्थान लिया था
* जीसैट -14 को जीएसएलवी डी 5 द्वारा प्रमोचित किया गया जिसके तीसरे चरण में भारत में निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल हुआ था
* जीसैट -14 जीसैट उपग्रह श्रृंखला का हिस्सा है
* इसरो द्वारा निर्मित यह उपग्रह आई-2k सेटेलाइट बस पर आधारित है
* इसका शुष्क वजन 851 किलोग्राम है
* ईंधन के साथ, इसका वजन 1,982 किलोग्राम है
* यान का आयुमान 12 साल है
* उपग्रह दो सौर सरणियों द्वारा संचालित है, जो की 2600 वाट बिजली के पैदा करने में सक्षम हैं
* 19 अगस्त 2013 उथापन समय 11:20 यूटीसी (4:50 pm स्थानीय समय) पर रॉकेट के दूसरे चरण की ईंधन प्रणाली से रिसाव का पता चलने के कारण प्रक्षेपण का पहला प्रयास स्थगित कर दिया गया था
* इसरो ने दूसरे द्रव चरण (जी एस -2) को बदलने का फैसला किया इसके अतिरिक्त सभी चार द्रव स्ट्रैप-ओन चरणों को भी बदला गया
* उपग्रह का प्रमोचन सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यान एमके.II (जीएसएलवी Mk.II) रॉकेट से 10:48 यूटीसी (16:18 स्थानीय समय) पर 5 जनवरी 2014 को किया गया
* प्रक्षेपण की उलटी गिनती 29 घंटे पहले, 4 जनवरी 2014 को शुरू की गई थी
* यह उड़ान भारत के 41वें उपग्रह प्रक्षेपण और जीएसएलवी के आठवें प्रमोचन को चिह्नित करता है
* यह जीएसएलवी प्रक्षेपण में लगातार चार बार से चली आ रही विफलताओं के एक दौर का भी समापन करता है, जिसकी शुरुआत 2006 में इनसैट-4सी के साथ शुरू हुई थी
* यह प्रक्षेपण भारत के पहले तुषारजनिक रॉकेट इंजन सीई-7.5 के प्रथम सफल परीक्षण को अंकित करता है
* जीसैट-14 इसरो द्वारा निर्मित 23वां संचार उपग्रह है
* जीसैट-14 मिशन के मुख्य उद्देश्य निम्नवत है :-
> कक्षा में विस्तारित सी-बैंड तथा कू-बैंड प्रेषानुकरों की क्षमता में वृद्धि करना
> नए प्रयोगों के लिए एक मंच उपलब्ध कराना

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