ग्वादर तेल रिफाइनरी
सऊदी अरब पाकिस्तान के गहरे पानी के बंदरगाह ग्वादर में एक नई तेल रिफाइनरी स्थापित करने के संदर्भ में निवेश करने के लिये राजी हो गया है।
इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिये पाकिस्तान सऊदी राज्य की तेल कंपनी अरामको के साथ साझेदारी में कार्य करेगा।
ग्वादर बंदरगाह अरब सागर में स्थित है। दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और पश्चिम एशिया के बीच स्थित होने के कारण यह रणनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण है। ग्वादर शहर एक 60 किमी चौड़ी तटवर्ती पट्टी पर बसा हुआ है जिसे मकरान के नाम से भी जाना जाता है। ईरान तथा फ़ारस की खाड़ी के समीप होने के कारण यह सैन्य एवं राजनैतिक रूप से काफी महत्त्व रखता है।
ग्वादर बंदरगाह परियोजना
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के तटीय कस्बे ग्वादर और इसके आसपास के इलाके को वर्ष 1958 में पाकिस्तान सरकार ने ओमान से ख़रीदा था।
इस तटीय क्षेत्र में एक बड़ा बंदरगाह बनाने की संभावनाओं पर उस समय से विचार किया जा रहा है जब वर्ष 1954 में एक अमेरीकी भूगर्भ सर्वेक्षण में ग्वादर को डीप सी पोर्ट के लिये एक बेहतरीन स्थान के रूप में रेखांकित किया गया।
परंतु वर्ष 2002 में वास्तविक रूप में इस विचार को अमल में लायए जाने के प्रयास शुरू किये गए। तत्कालीन सेना अध्यक्ष जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने ग्वादर बंदरगाह के निर्माण कार्य का उद्घाटन किया और 24 करोड़ डॉलर की लागत से यह परियोजना 2007 में पूरी हुई।
नीलामी के बाद इस बंदरगाह के संचालन का कार्य सिंगापुर की एक कंपनी को दे दिया गया। ग्वादर बंदरगाह पहली बार विवाद में तब आया जब 2013 में पाकिस्तान सरकार ने इसके निर्माण का ठेका सिंगापुर की कंपनी से लेकर एक चीनी कंपनी को दे दिया।
इस परियोजना को चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर का नाम दिया गया, जिसके तहत चीन को ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना है।
इस समझौते पर 2015 में हस्ताक्षर किये गए जिसके बाद यह स्पष्ट किया गया कि इस परियोजना में सड़कें, रेलवे और बिजली परियोजनाओं के अलावा कई विकास परियोजनाओं को भी शामिल किया गया है। चूँकि यह रास्ता ग्वादर से शुरू होता है (या समाप्त होता है), इसलिये ग्वादर और इस बंदरगाह का इस पूरी परियोजना में अहम स्थान है।
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