राज्यव्यवस्था : प्रस्तावना (Preamble)
यह संविधान के लिये आमुख की तरह है जिससे संविधान के उद्देश्यों, आदर्शों, शासन प्रणाली के स्वरूप व संविधान लागू होने का वर्णन होता है।
प्रस्तावना लिखित संविधान की विशेषता मानी गयी है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसम्बर 1946 को संविधान सभा में प्रस्ताव रखा व संविधान सभा ने इसे 22 जनवरी 1947 को स्वीकार कर लिया व यह प्रस्तावना बन गयी।
समाजवादी
सैंद्दांतिक रूप
- सम्पत्ति का समाजीकरण
- समानता
- शोषण हीनता
- मजदूर / वंचित का कल्याण
व्यवहारिक
- मार्क्सवाद / समाजवाद
- वर्ग संघर्ष
- हिंसा
- क्रांति
- लोकतांत्रिक समाजवाद
- चुनाव
- संसद के कानून
- योजना निर्माण
अधिकांश मामलो में भारत स्वतंत्र ही निर्णय लेता है, पर आर्थिक नीति ने भारत में समाजवाद को समाप्त नही किया भारत में समाजवाद एक विचारधारा नही बल्कि नीति है। अत: निजीकरण से समाजवाद को समाप्त नही कर सकते।
- भारत में आज भी गरीबों / वंचितो हेतु ढेरों योजनायें हैं, भारत में योजना आयोग समाप्त हुआ पर उसके स्थान पर NITI (National Institute for Transforming India) योजनायें बनाता है।
- भारत में आज भी विकास को समावेशित विकास के रूप में देखा जाता है इस प्रकार भारत में समाजवाद आज भी कायम है, यद्दपि उसका स्वरूप बदलता है।
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