तेल की बढ़ी क़ीमतों पर तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का तर्क है कि यूपीए सरकार ने 1.44 लाख करोड़ रुपये तेल बॉन्ड के ज़रिए जुटाए थे जिस पर ब्याज की देनदारी 70,000 करोड़ बनती है। मोदी सरकार ने इसे भरा है। 90 रुपये तेल के दाम हो जाने पर यह सफ़ाई है तो इस में भी झोल है। सरकार ने तेल के ज़रिए आपका तेल निकाल दिया है।
आनिन्द्यो चक्रवर्ती ने हिसाब लगाया है कि यूपीए ने 2005-6 से 2013-14 के बीच जितना पेट्रोल डीज़ल की एक्साइज़ ड्यूटी से नहीं वसूला, उससे करीब तीन लाख करोड़ ज़्यादा उत्पाद शुल्क एनडीए ने चार साल में वसूला है। उस वसूली में से दो लाख करोड़ चुका देना कोई बहुत बड़ी रक़म नहीं है।
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