Friday, 17 August 2018

राष्ट्रीय शोक का मतलब क्या होता है, इसमें क्या-क्या बदल जाता है?

राष्ट्रीय शोक का मतलब क्या होता है, इसमें क्या-क्या बदल जाता है?
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●गुजर चुके गणमान्य लोगों के लिए सात दिन का राष्ट्रीय शोक रखा जाता है. गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद भारत सरकार ने भी सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है.
●इस औपचारिक घोषणा में कहा गया, '22 अगस्‍त तक सात दिन का राजकीय शोक रहेगा.
●नई दिल्‍ली में स्‍मृति स्‍थल पर राजकीय सम्‍मान के साथ अटल बिहारी वाजपेयी का अंतिम संस्‍कार किया जाएगा.
●सभी केंद्रीय और पीएसयू में कल आधे दिन की छुट्टी होगी.
● 22 अगस्‍त तक देश में और देश के बाहर भारतीय दूतावास और उच्‍चायोग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधे झुके रहेंगे.'

सरकार सात दिन के शोक की घोषणा कब करती है?
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●आधिकारिक प्रोटोकॉल की बात करें तो सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा यूं तो राष्ट्रीय शोक केवल वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की मृत्यु पर ही होता है.
-इससे पहले राजीव गांधी (1991),
-मोरारजी देसाई (1995) और
-चंद्रशेखर सिंह (2007) भी ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री हैं जिनकी मृत्यु पद पर न रहते हुए हुई. और उनके लिए राजकीय अंतिम संस्कार का आयोजन किया गया.

●भारत के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनकी मौत पद पर रहने के दौरान ही हुई.
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-जवाहर लाल नेहरू (1964),
-लाल बहादुर शास्त्री (1966) और
/ इंदिरा गांधी (1984)

★राष्ट्रीय शोक के दौरान क्या-क्या होता है?
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-भारत के फ्लैग कोड के अनुसार, "गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया जाता है.
-" अटल बिहारी वाजपेयी के मामले में यह औपचारिक घोषणा की गई है, "22 अगस्‍त तक देश में और देश के बाहर भारतीय दूतावास और उच्‍चायोग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज आधे झुके रहेंगे."
- राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाने का प्रोटोकॉल नियमानुसार भी देश के बाहर भारत के दूतावासों और उच्चायोगों पर लागू होता है.
-राजकीय शोक में राजकीय अंत्येष्टि का आयोजन किया जाता है, गणमान्य व्यक्ति को बंदूकों की सलामी दी जाती है.
-साथ ही सार्वजनिक छुट्टी की भी घोषणा की जा सकती है और इसके अलावा जिस ताबूत में गणमान्य व्यक्ति के शव को ले जाया जा रहा होता है उसे तिरंगे में लपेटा जाता है.
-पहले यह घोषणा केवल केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति ही कर सकता था लेकिन हाल में बदले हुए नियमों के मुताबिक अब राज्यों को भी यह अधिकार दिया जा चुका है और वे तय कर सकते हैं कि किसे राजकीय सम्मान देना है और किसे नहीं.
-अटल बिहारी वाजपेयी का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कब होना है?
-अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा शुक्रवार दोपहर एक बजे दिल्ली में बीजेपी मुख्‍यालय से शुरू होकर पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय मार्ग, बहादुर शाह जफर मार्ग, दिल्‍ली गेट, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मार्ग, निषाद राज मार्ग और शांति वन चौक से गुजरते हुए राष्‍ट्रीय स्‍मृति स्‍थल पहुंचेगी.
- यहां पर शाम चार बजे उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा.

क्या स्कूल और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे?
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-जैसा केंद्र सरकार के 1997 के नोटिफिकेशन में कहा गया है राजकीय शवयात्रा के दौरान भी कोई सार्वजनिक छुट्टी जरूरी नहीं.
-इसके अनुसार अनिवार्य सार्वजनिक छुट्टी को राष्ट्रीय शोक के दौरान खत्म कर दिया गया है.
-केवल इसी हालत में छुट्टी की घोषणा होती है जब किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की पद पर रहते हुए मौत हो जाती है.
- लेकिन अक्सर पद पर न रहने वाले गणमान्य लोगों की मृत्यु के बाद भी सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी जाती है क्योंकि इसका अंतिम अधिकार राष्ट्रपति (केंद्रीय मंत्रिमंडल) के ही हाथों में है.
-इसके अलावा राज्य भी छुट्टी की घोषणा करते रहते हैं.
-अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद भी केंद्र और राज्य सरकारों ने अलग-अलग इस मामले में घोषणाएं की हैं.
-दिल्‍ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और बिहार में अटल बिहारी वाजपेयी के सम्‍मान में एक दिन का सार्वजनिक अवकाश और 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है.
-प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों अलावा कई मुख्यमंत्रियों को भी राजकीय सम्मान दिया गया. जिनमें ज्योति बसु, जयललिता और एम. करुणानिधि भी हैं.
-इसके अलावा कई कलाकारों और प्रमुख हस्तियों को भी राजकीय सम्मान दिया जा चुका है. आजाद भारत में पहला राजकीय सम्मान और राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी के लिए आयोजित हुआ था

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