Friday, 17 August 2018

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय

*अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय*

*Former Prime Minister of India Atal Bihari Vajpayee*

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित ग्वालियर के शिंदे की छावनी में हुआ था। वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वाले महापुरुषों में से एक हैं और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तथा फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार व प्रखर वक्ता भी हैं।



उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

*आरम्भिक जीवन*

उत्तर प्रदेश में आगरा जनपद के प्राचीन स्थान बटेश्वर के मूल निवासी पण्डित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे। वहीं शिन्दे की छावनी में २५ दिसम्बर १९२४ को ब्रह्ममुहूर्त में उनकी सहधर्मिणी कृष्णा वाजपेयी की कोख से अटल जी का जन्म हुआ था। पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य तो करते ही थे इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। पुत्र में काव्य के गुण वंशानुगत परिपाटी से प्राप्त हुए। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति "विजय पताका" पढकर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी०ए० की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी प्रारम्भ की लेकिन उसे बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गये। डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पण्डित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य[6] भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

सर्वतोमुखी विकास के लिये किये गये योगदान तथा असाधारण कार्यों के लिये 2014 दिसंबर में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

*राजनीतिक जीवन*

वह भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और सन् १९६८ से १९७३ तक वह उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सन् १९५५ में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, परन्तु सफलता नहीं मिली। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सन् १९५७ में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुँचे। सन् १९५७ से १९७७ तक जनता पार्टी की स्थापना तक वे बीस वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। मोरारजी देसाई की सरकार में सन् १९७७ से १९७९ तक विदेश मन्त्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनायी।

१९८० में जनता पार्टी से असन्तुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में मदद की। ६ अप्रैल १९८० में बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। लोकतन्त्र के सजग प्रहरी अटल बिहारी वाजपेयी ने सन् १९९७ में प्रधानमन्त्री के रूप में देश की बागडोर संभाली। १९ अप्रैल १९९८ को पुनः प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली और उनके नेतृत्व में १३ दलों की गठबन्धन सरकार ने पाँच वर्षों में देश के अन्दर प्रगति के अनेक आयाम छुए।

सन् २००४ में कार्यकाल पूरा होने से पहले भयंकर गर्मी में सम्पन्न कराये गये लोकसभा चुनावों में भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और भारत उदय (अंग्रेजी में इण्डिया शाइनिंग) का नारा दिया। इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से काँग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भा०ज०पा० विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई। सम्प्रति वे राजनीति से संन्यास ले चुके हैं और नई दिल्ली में ६-ए कृष्णामेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते हैं।

*कवि के रूप में अटल*

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवि भी हैं। मेरी इक्यावन कविताएँ अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। वाजपेयी जी को काव्य रचनाशीलता एवं रसास्वाद के गुण विरासत में मिले हैं। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर रियासत में अपने समय के जाने-माने कवि थे। वे ब्रजभाषा और खड़ी बोली में काव्य रचना करते थे। पारिवारिक वातावरण साहित्यिक एवं काव्यमय होने के कारण उनकी रगों में काव्य रक्त-रस अनवरत घूमता रहा है। उनकी सर्व प्रथम कविता ताजमहल थी। इसमें शृंगार रस के प्रेम प्रसून न चढ़ाकर "एक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताजमहल, हम गरीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मजाक" की तरह उनका भी ध्यान ताजमहल के कारीगरों के शोषण पर ही गया। वास्तव में कोई भी कवि हृदय कभी कविता से वंचित नहीं रह सकता। राजनीति के साथ-साथ समष्टि एवं राष्ट्र के प्रति उनकी वैयक्तिक संवेदनशीलता आद्योपान्त प्रकट होती ही रही है। उनके संघर्षमय जीवन, परिवर्तनशील परिस्थितियाँ, राष्ट्रव्यापी आन्दोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव एवं अनुभूति ने काव्य में सदैव ही अभिव्यक्ति पायी। विख्यात गज़ल गायक जगजीत सिंह ने अटल जी की चुनिंदा कविताओं को संगीतबद्ध करके एक एल्बम भी निकाला था।

*अटल जी की प्रमुख रचनायें*

उनकी कुछ प्रमुख प्रकाशित रचनाएँ इस प्रकार हैं :
मृत्यु या हत्या
भारत जमीन का टुकड़ा नहीं
कौरव कौन, कौन पांडव,
अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह)
कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
संसद में तीन दशक
अमर आग है
कुछ लेख: कुछ भाषण
सेक्युलर वाद
राजनीति की रपटीली राहें
बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि।

*श्री वाजपेयी निम्नलिखित पदों पर आसीन रहे:*

*श्री वाजपेयी से संभाले पद*

1951 - भारतीय जनसंघ के संस्थापक-सदस्य
1957 - दूसरी लोकसभा के लिए निर्वाचित
1957-77 - भारतीय जनसंघ संसदीय दल के नेता
1962 - राज्यसभा के सदस्य
1966-67 - सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष
1967 - चौथी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दूसरी बार)
1967-70 - लोक लेखा समिति के अध्यक्ष
1968-73 - भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष
1971 - पांचवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (तीसरी बार)
1977 - छठी लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (चौथी बार)
1977-79 - केन्द्रीय विदेश मंत्री
1977-80 - जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य
1980 - सातवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (पांचवीं बार)
1980-86 - भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष
1980-84, 1986 और 1993-96 - भाजपा संसदीय दल के नेता
1986 - राज्यसभा के सदस्य; सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
1988-90 - आवास समिति के सदस्य; कार्य-संचालन सलाहकार समिति के सदस्य
1990-91 - याचिका समिति के अध्यक्ष
1991 - दसवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (छठी बार)
1991-93 - लोकलेखा समिति के अध्यक्ष
1993-96 - विदेश मामलों सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष; लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता
1996 - ग्यारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (सातवीं बार)
16 मई 1996 - 31 मई 1996 - तक-भारत के प्रधानमंत्री; विदेश मंत्री और इन मंत्रालयों/विभागों के प्रभारी मंत्री-रसायन तथा उर्वरक; नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण; कोयला; वाणिज्य; संचार; पर्यावरण और वन; खाद्य प्रसंस्करण उद्योग; मानव संसाधन विकास; श्रम; खान; गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत; लोक शिकायत एवं पेंशन; पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस; योजना तथा कार्यक्रम कार्यान्वयन; विद्युत; रेलवे, ग्रामीण क्षेत्र और रोजगार; विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी; इस्पात; भूतल परिवहन; कपड़ा; जल संसाधन; परमाणु ऊर्जा; इलेक्ट्रॉनिक्स; जम्मू व कश्मीर मामले; समुन्द्री विकास; अंतरिक्ष और किसी अन्य केबिनेट मंत्री को आबंटित न किए गए अन्य विषय।
1996-97 - प्रतिपक्ष के नेता, लोकसभा
1997-98 - अध्यक्ष, विदेश मामलों सम्बन्धी समिति
1998 - बारहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (आठवीं बार)
1998-99 - भारत के प्रधानमंत्री; विदेश मंत्री; किसी मंत्री को विशिष्ट रूप से आबंटित न किए गए मंत्रालयों/विभागों का भी प्रभार
1999 - तेरहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (नौवीं बार)
13 अक्तूबर 1999 से 13 मई 2004 - तक-भारत के प्रधानमंत्री और किसी मंत्री को विशिष्ट रूप से आबंटित न किए गए मंत्रालयों/विभागों का भी प्रभार
2004 - चौदहवीं लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित (दसवीं बार)

*पुरस्कार*

१९९२: पद्म विभूषण
१९९३: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
१९९४: लोकमान्य तिलक पुरस्कार
१९९४: श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
१९९४: भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
२०१४ दिसम्बर : भारत रत्न से सम्मानित।
२०१५ : डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
२०१५ : 'फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड', (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदत्त)
*२०१५ : भारतरत्न से सम्मानित*

*जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य*

आजीवन अविवाहित रहे।
वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी हैं।
परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी।
अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
*अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।*

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